अमोनियम नाइट्रेट और फास्फोरस के मिश्रण से किया गया था रोहतक आइएमटी में विस्फोट, आरोपितों का नहीं सुराग
रोहतक में अमाेनियम नाइट्रेट और फास्फोरस के मिश्रण से यह विस्फोट किया गया था जिसमें धागे के साथ डिटेक्टर जोड़ा गया था और बैटरी का भी इस्तेमाल किया गया था। ताकि कोई व्यक्ति धागे को आकर हाथ लगाएगा तो बैटरी में स्पार्किंग के कारण विस्फाेट होगा।

जागरण संवाददाता, रोहतक : आइएमटी एरिया में हुए विस्फोट के मामले में बड़ा पर्दाफाश हुआ है। अमाेनियम नाइट्रेट और फास्फोरस के मिश्रण से यह विस्फोट किया गया था, जिसमें धागे के साथ डिटेक्टर जोड़ा गया था और बैटरी का भी इस्तेमाल किया गया था। बैटरी को इस तरीके से जोड़ा गया था कि जैसे ही कोई व्यक्ति धागे को आकर हाथ लगाएगा तो बैटरी में स्पार्किंग के कारण विस्फाेट होगा। कई माह बाद लैब से रिपोर्ट आने पर यह पर्दाफाश हुआ है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए रंजिशन ऐसा किया गया था। लैब से रिपोर्ट आने के बाद पुलिस एक बार फिर से सतर्क हो गई है। मामले की गहनता से जांच शुरू की गई है कि आखिर ऐसा कौन कर सकता है।
यह था मामला
खरावड़ गांव का रहने वाला इलेक्ट्रीशियन राजकुमार अपने साथी गीतादत्त, सुभाष और नरेश के साथ 31 जुलाई की सुबह आइएमटी एरिया में घूमने के लिए गया था। वहां पर एक हैंडपंप के पास पालीथीन पड़ी थी, जिसमें धागा बांधा गया था। राजकुमार ने उसे उठाने की कोशिश की, तभी तेज विस्फोट हो गया था। इसमें राजकुमार गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसकी आंख की रोशनी भी चली गई थी। मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम ने भी यहां पर पहुंचकर मौका मुआयना किया था। यह मामला आइएमटी थाने में दर्ज किया गया था।
इन सात सबूतों की हुई जांच, तब हुआ पर्दाफाश
जांच टीम ने मौके से खून, मिट्टी, पालीथीन, बैटरी, बोतल और वायर की टूकड़े बरामद किए गए थे। इसके बाद इन सबूतों को जांच के लिए मधुबन लैब में भेजा गया था। इसके अलावा घायल राजकुमार के कपड़े भी लैब में भेजे गए थे। इन सभी की जांच के बाद पता चला है कि विस्फोट में अमोनिया नाइट्रेट और फास्फोरस का इस्तेमाल किया गया है। यह सभी सबूत उसी समय लैब में भेज दिए गए थे, जहां से हाल ही में रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट को जल्दी मंगवाने के लिए पुलिस की तरफ से कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया था।
इस तरह होता है इस्तेमाल
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के एमिरेट्स साइंटिस्ट प्रो. एसपी खटकड़ ने बताया कि अमोनिया नाइट्रेट और फास्फोरस का इस्तेमाल खेतीबाड़ी के अलावा अन्य कई जगह पर भी होती है। माचिस में आगे वाले हिस्से पर भी रेड फास्फोरस रहता है। इसके अलावा डीएपी खाद में भी इनका इस्तेमाल होता है। सामान्य तौर पर दोनों के मिश्रण से विस्फोट संभव नहीं होता। अगर इन्हें स्पार्किंग या हीट मिल जाए तो तेज धमाका हो सकता है। जो काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
विस्फोट के मामले में लैब से रिपोर्ट आ गई है। जिसमें पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट समेत कई केमिकल से यह विस्फोट हुआ है, जो रंजिशन लग रहा है। मामले की गहनता से जांच की जा रही है। जल्दी ही आरोपित का पता कर लिया जाएगा।
- कृष्ण लोहचब, एडिशनल एसपी रोहतक
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