New technology: बिना गर्म किए भी संरक्षित रह सकता है दूध, ये उपकरण सात डिग्री तक ला सकता है Temperature

अब दूध दोहने के बाद उसे बिना उबाले दिनभर संरक्षित रखा जा सकेगा। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान NDRI के Dairy engineering के छात्र रवि प्रकाश ने ऐसा उपकरण तैैैैैयार किया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 08:07 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 09:03 PM (IST)
New technology: बिना गर्म किए भी संरक्षित रह सकता है दूध, ये उपकरण सात डिग्री तक ला सकता है Temperature
New technology: बिना गर्म किए भी संरक्षित रह सकता है दूध, ये उपकरण सात डिग्री तक ला सकता है Temperature

करनाल [प्रदीप शर्मा]। अब दूध दोहने के बाद उसे बिना उबाले दिनभर संरक्षित रखा जा सकेगा। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute) के Dairy engineering के छात्र रवि प्रकाश ने ऐसा उपकरण तैैैैैयार किया है। रवि प्रकाश ने बाल्टी की तरह का Nano Dairy Technology पर एक कंटेनर तैयार किया है। इसे बिजली से चार्ज किया जा सकता है। एक बार चार्ज करने पर यह पूरा दिन दूध को ठंडा रखने के काम आता है।

रवि प्रकाश के मुताबिक जब हम दूध दोहते हैं तो इसका Temperature 37 डिग्री होता है। इस कंटेनर में आधे घंटे के लिए दूध रख दिया जाए तो इसका Temperature सात डिग्री पर आ जाता है। एक कंटेनर की क्षमता 5 से 6 लीटर है। इस कंटेनर पर करीब 5 हजार रुपये की लागत आई है।

ब्राजील में 6 से 8 नवंबर को हुए BRICS-Young Scientist Forum में इंडिया की तरफ से प्रतिभागी रहे रवि प्रकाश को इस शोध के लिए पहले पुरस्कार के रूप में 25 हजार डॉलर का अवार्ड भी मिला है। दूसरा रूस व तीसरा ब्राजील के विज्ञानी को मिला। इस फोरम में पांच देशों के 100 युवा विज्ञानियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 20 भारत के थे।

उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स पांच देशों का समूह है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों में होने वाले शोध को International platform पर रखने के लिए हर साल ब्रिक्स यंग साइंटिस्ट फोरम का आयोजन होता है। 2016 में पहली बार भारत से ही इसकी शुरुआत हुई थी। संस्थान के निदेशक डॉ. आरआरबी सिंह व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजन शर्मा ने उन्हें सम्मानित भी किया।

आम लोगों को मिलेगा फायदा

देश में करीब 90 फीसद छोटे पशुपालक हैं। ऐसे लोग जो दूध को शहर में बेचने जाते हैं, उनके लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं है। दूध को जब इस कंटेनर में डाला जाता है इसकी Bacterial growth रुक जाती है और दूध खराब होने की संभावना न के बराबर रहती है।

काम के दौरान आया आइडिया

रवि ने बताया कि जब वह बिहार की सुधा डेयरी में सहायक अधिकारी के तौर पर काम कर रहे थे तो वहां पर पहुंचने वाले कुछ किसानों का दूध फट जाता था। ऐसे में जिस गाय का दूध लाते थे, उसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे। यहीं से उन्होंने काम शुरू कर दिया। पशुपालकों से बातचीत की कि दूध निकालने के बाद वह कितनी देर तक इसे रखते हैं? कितने समय बाद डेयरी तक लाते हैं।

प्रधानमंत्री ने शोध को भाषण में किया था शामिल

रवि प्रकाश के मुताबिक BRICS-Young Scientist Forum के बाद विदेश मंत्रालय ने उन्हें बुलाया था और इस शोध पर कुछ जानकारियां लिखवाई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में देशवासियों को इस शोध की विशेषता की जानकारी दी थी।

रवि प्रकाश का संक्षिप्त परिचय

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के हर्षहरी गांव के साधारण परिवार में जन्मे रवि प्रकाश ने वर्ष 2009 में NDRI से Dairy engineering से B.Tech की पढ़ाई शुरू की। NDRI बेंगलुरु के दक्षिणी क्षेत्रीय स्टेशन में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मेनन रेखा रविंद्र के मार्गदर्शन में अपना शोध कर रहे हैं। इस इनोवेशन को बढ़ाने और फील्ड स्तर पर परीक्षण करने के लिए भारत Innovation Growth Program - University Challenge 2019 द्वारा इस इनोवेशन को सहायता दी गई है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी