घोड़ी पालकों ने घोड़ियों के सैंपल देने से किया मना, एक लाख मुआवजा देने की उठाई मांग
जागरण संवाददाता हिसार शहर के सब्जी मंडी स्थित घोड़ी पालकों ने सोमवार को एकजुट होक
जागरण संवाददाता, हिसार : शहर के सब्जी मंडी स्थित घोड़ी पालकों ने सोमवार को एकजुट होकर बैठक की। जिसमें एक मत से निर्णय लिया कि अब से घोड़ी पालक पशुपालन विभाग को ग्लैंडर्स ग्रसित घोड़ियों के खून के सैंपल जांच के लिए नहीं लेने देंगे। क्योंकि सरकारी उनकी घोड़ी मरने पर सिर्फ 25 हजार रुपये का मुआवजा मुहैया कराती है, इतनी कीमत में घोड़ी नहीं खरीदी जा सकती है। घोड़ी पालकों ने मांग की है कि उन्हें कम से कम एक लाख रुपये बतौर मुआवजा दिए जाएं। उन्होंने बताया कि एक घोड़ी खरीदने में उनके डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में अब पशुपालन विभाग के सामने एक बड़ी समस्या सर्विलांस की खड़ी होने वाली है। क्योंकि अगर घोड़ी पालक नहीं माने तो पशुपालन विभाग सर्विलांस के लिए घोड़ियों के खून के आगामी तीन महीने तक सैंपल नहीं जुटा पाएगा। मुआवजा मिलने में न हो देरी
इस बैठक में घोड़ी पालकों ने बताया कि मुआवजा मिलने में काफी समय लग जाता है। मुआवजे की प्रक्रिया ऐसी बनाई जाए कि पशुपालकों को जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके। ताकि वह अपना काम फिर से कर सकें। इसके साथ ही सरकार से मांग की है कि घोड़ी पालकों की घोड़ियों का बीमा भी कराया जाए। इस दौरान संत लाल, हरि सिंह, रामफल, सुरेश, हीरालाल, रामशेर, शिव कुमार, पाले राम, विक्रम व अन्य घोड़ी पालक मौजूद रहे।