रंग- बिरंगी मिठाइयों को देखकर जी ललचाए तो खाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

गहरे रंग की मिठाईयों में मिलावट हो सकती है। इनसे गुर्दे, आंत व लिवर तक खराब हो सकता है, इसलिए मिठाई खरीदते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

By manoj kumarEdited By: Publish:Sun, 04 Nov 2018 03:43 PM (IST) Updated:Mon, 05 Nov 2018 10:49 AM (IST)
रंग- बिरंगी मिठाइयों को देखकर जी ललचाए तो खाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
रंग- बिरंगी मिठाइयों को देखकर जी ललचाए तो खाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

भिवानी [दीपक शर्मा]। त्योहारी सीजन में मिलावटी व नकली मिठाईयों की भरमार रहती है। इन मिठाईयों का सेवन लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। यहां तक कि गुर्दे, पेट व आंत को खराब करने के साथ-साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म देती है। ऐसे में लोगों द्वारा बरती जाने वाली सावधानी ही उनके स्वास्थ्य को बचाने का काम करेगी। खासकर चमकीली व रंगदार मिठाईयों में हानिकारक केमिकल अधिक मिलावट होने की संभावना है। जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। लोगों को घर में बनी मिठाईयों को खाने की ही सलाह दी जाती है।

 दीवाली पर्व पर बाजारों में मिठाईयां दुकानों में भारी भरकम स्टॉल लगाकर सजाई गई हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए चमकदार व रंगदार मिठाईयों को सजाया गया है। लोगों के मन को लुभाती ये मिठाईयां, खाने में बेशक स्वादिष्ट हो, लेकिन स्वास्थ्य पर इनका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मिठाईयों की सजावट को देखकर उनके बहकावे में न आएं। संभलकर व परखकर ही मिठाईयों को खरीदें। हालांकि चिकित्सक भी लोगों को घर में बनी मिठाईयां व खाद्य सामग्री खाने की सलाह देते हैं। घर में बनी मिठाईयां ही सबसे अच्छी व सेहत के लिए लाभकारी मानी जाती है।

मिलावट के लिए इन चीजों का इस्‍तेमाल

मिलावट के लिए यूरिया, कास्टिक सोडा, डिटर्जेन्ट आदि का इस्तेमाल किया जाता है जो शरीर के लिए अत्यंत नुकसानदायक होते हैं। मांग और आपूर्ति में अंतर, मौके का फायदा उठाने की कोशिश और लालच के चलते मिलावट का नासूर खत्म होने के बजाय बढ़ता जाता है। त्योहार करीब आने के साथ साथ बाजार में सिंथेटिक दूध या दूषित मावे से बनी मिठाइयों की बहुतायत हो गई है। आम नागरिक इसे आसानी से पहचान नहीं सकता कि यह असली है या नकली। सिंथेटिक दूध और दूषित मावे में कास्टिक सोडा और यूरिया मिला होता है। यूरिया कीटनाशक है। जब इसके इस्तेमाल से कीट मर जाते हैं तो सोचिए कि मानव शरीर पर इसका कैसा दुष्प्रभाव होता होगा।

ये बरतें सावधानी

* गहरे रंग की मिठाईयां न खरीदे। बिना रंग या नेचुरल रंग की मिठाई का प्रयोग करें।

* रसगुल्ला, गुलाब जामुन, घी आदि के कंटेनर पुराने हो तो नुकसानदायक होते हैं। इनमें अच्छे से सफाई नहीं होती, मिठाई की खुशबू सही नहीं होने पर इसे न खरीदें।

* मिठाईयां पॉलीथिन में न डालें। पॉलीथीन में मिठाईयों डालने से मिठाईयां नुकसान पहुंचाती हैं।

* मिठाईयों को सीधे हाथों के संपर्क में न लाए। चम्मच का प्रयोग करें।

* खुले में रखी मिठाईयों को न खरीदे। खुले में रखी मिठाईयों में धूल गिरने व मक्खी बैठने से उसे हानिकारक बना देती है।

* चमकीली व रंगदार मिठाईयों का प्रयोग न करें। इनमें सिंथेटिक कलरिंग एजेंट का प्रयोग किया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

* दूध व खोया से बने खाद्य पदार्थों का कम प्रयोग करें। इनमें अधिक मिलावट होने की आशंका होती है।

ऐसे करें मिलावटी मिठाईयों की पहचान

-अगर मिठाईयों में गहरे रंग हैं तो वह मिलावटी हो सकती है।

-मिठाई को बीच से तोड़ें। उसे उंगली व हथेली से दबा दें। यदि वह आसानी से दबे तो वह ताजा होगी। यदि आसानी से न दबे तो पुरानी होगी। जितनी मुश्किल से दबेगी उतनी पुरानी मिठाई मिलेगी।

-मिठाई अगर अधिक चमकीली हो भी उसमें केमिकल मिलाए होते हैं। ताकि मिठाईयां आकर्षित बनें।

-मिलावटी व नकली मावे का रंग व स्वाद भी अलग होता है। मावे को उंगलियों में लेकर रगड़े। यदि चिकनापन नहीं है तो वह मिलावटी है।

छापेमारी के‍ लिए चलाए जा रहे हैं अभियान

खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी डा. सुरेंद्र पूनिया  ने कहा कि विभाग की टीम मिलावटखोरी को रोकने के लिए लगातार छापेमारी अभियान चलाए हुए है। इसका असर भिवानी में साफ देखने को मिल रहा है। आगे भी मिलावटी मिठाईयों पर रोकथाम के लिए छापेमारी अभियान चलता रहेगा।

गुर्दे, आतं और लिवर भी हो सकता है खराब

चौ. बंसीलाल नागरिक अस्‍पताल भिवानी के चिकित्‍सक डा. रघुवीर शांडिल्‍य ने बताया कि मिलावटी मिठाईयों के खाने से गुर्दे, आंत, पेट, लीवर से संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है। मिलावटी मिठाईयां कैंसर का भी कारण बन सकती हैं। घर में बनी मिठाईयों का ही प्रयोग करें। खुले में रखी मिठाईयों का प्रयोग भी न करें, इनके खाने से टाइफाइड, उल्टी-दस्त व पीलिया जैसी बीमारी हो सकती हैं।

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