Kisan Andolan: टीकरी बार्डर के मंच से अब नहीं लगेंगे भाजपा विरोधी नारे, आंदोलनकारी नेताओं ने की अपील

आंदोलन अभी कितने समय तक चलेगा और इस तरह की अपील का आंदोलनरियों पर कितना असर होता है यह देखने वाली बात होगी। अब ताे सभी की नजरें 27 नवंबर पर टिकी हुई है। इस दिन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 07:34 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 07:34 AM (IST)
Kisan Andolan: टीकरी बार्डर के मंच से अब नहीं लगेंगे भाजपा विरोधी नारे, आंदोलनकारी नेताओं ने की अपील
आंदोलनकारियों के नजरें 27 नंवबर की बैठक पर टिकी।

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से वापस लिए जाने के बाद अब टीकरी बार्डर के मंच से पार्टी विशेष विरोधी नारों से परहेज किया जा रहा है। आंदोलन की शुरूआत से सत्तारूढ़ दल भाजपा के खिलाफ जिस तरह की नारेबाजी आंदोलनकारियों द्वारा की जाती रही है, अब उस पर विराम की अपील आंदोलनकारियों के बीच से ही की जाने लगी है। यदि कोई वक्ता आन्दोलन के मंच से इस तरह के नारे लगाता है, ताे उसे राेका जाएगा।

किसान नेताओं ने की अपील

हालांकि आंदोलन अभी कितने समय तक चलेगा और इस तरह की अपील का आंदोलनरियों पर कितना असर होता है, यह देखने वाली बात होगी। अब ताे सभी की नजरें 27 नवंबर पर टिकी हुई है। इस दिन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी है। उसमें आंदोलनकारियों द्वारा क्या फैसला लिया जाता है, इसका सभी को इंतजार है। संसद का सत्र 29 नवंबर से शुरू होना है और इसी दिन से आंदोलनकारियों द्वारा दिल्ली कूच का ऐलान कर रखा है। गाजीपुर और टीकरी बार्डर से रोजाना 500-500 किसानों को ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली भेजने का निर्णय लिया गया है, लेकिन यह होगा या नहीं, इस पर अभी असमंजस है, क्योकि जिस तरह से प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कानूनों को इसी संसद सत्र के दौरान निरस्त करने की प्रक्रिया पूरी करने की बात कही गई है, उससे संयुक्त मोर्चा की बैठक में दिल्ली कूच को टाला भी जा सकता है।

किसानों को अब बरतना होगा संयम

इधर, पंजाब कि किसान यूनियन के नेता परगट सिंह ने कहा कि उन्होंने मंच से यह अपील की है कि अब सत्तारूढ़ दल के खिलाफ नारेबाजी न की जाए। प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कानूनाें को वापस लेने की घोषणा कर दी गई है, तो जाहिर है कि किसानों की सबसे बड़ी मांग पूरी होने की उम्मीद है। बाकी मांगों को लेकर भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। ऐसे में किसानों को भी अब संयम बरतना होगा। 

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