नवरात्र में क्या करें और क्या नहीं, क्यों बोए जाते हैं जौ, इस बार क्या है खास, आइए जानें
इस बार नवरात्र में खास-बात यह है कि दो दिन षष्ठी तिथि होने के कारण एक ही दिन दो नवरात्र होंगे। अगर आप नवरात्र करने वाले हैं तो ये खबर आपके लिए है।
जेएनएन, हिसार। इस बार शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। खास-बात यह है कि इस बार दो दिन षष्ठी तिथि होने के कारण एक ही दिन दो नवरात्र होंगे। पहला और दूसरा पहले ही दिन होगा। 18 अक्टूबर तक चलने वाले नवरात्र में 14 और 15 को षष्ठी मनाई जाएगी। नवरात्र के पहले दिन सुबह 7 बजकर 25 मिनट तक कलश स्थापना की जाएगी। नवरात्र को लेकर घरों और शहर के मंदिरों में भी तैयारियां शुरू हो चुकी है।
इसलिए रखे जाते हैं नवरात्र
हिसार कैंप चौक निवासी ज्योतिर्विद एवं आचार्य पवन शास्त्री के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए नौ दिनों तक मां दुर्गा और महिषासुर का महासंग्राम चला था। अंत में महिषासुर का वध करके मां दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। तभी से नवरात्र पूजन का शुभारंभ हुआ। एक दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान राम ने युद्ध में रावण को पराजित करना था तब श्रीराम ने नौ दिनों तक व्रत और पूजा विधि के अनुसार चंडी पूजन किया और युद्ध में विजय हासिल की। अधर्म पर धर्म की इस विजय के कारण लोगों ने नवरात्र पूजन शुरू किया था ।
व्रत के दौरान क्या करें
नवरात्र व्रत के दौरान क्या नहीं करें मान्यता के अनुसार नवरात्र के दौरान दाढ़ी-मूंछ, बाल नहीं काटने चाहिए। अखंड ज्योति जलाने वालों को नौ दिनों तक अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए। पूजा के दौरान किसी भी तरह के बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए। काले रंग का कपड़ा वर्जित करें क्योंकि यह रंग शुभ नहीं माना जाता है। मांस, मछली, उत्त्जेक पदार्थ जैसे शराब ,गुटखा और सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए। किसी का दिल दुखाने औ झूठ बोलने से बचें। नौ दिन तक व्रत रखने वाले को अस्थियों (मुर्दों) शव के पास नहीं जाना चाहिए। इसके अलावा इन दिनों शारीरिक संबध बनाने से भी बचें।
मां के नौ रूपों का क्या है महत्व
नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों नव व रात्रि का संयोजन है। जो इस त्यौहार के लगातार नौ रातों तथा दस दिनों तक मनाए जाने को इंगित करता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार दुर्गा का मतलब जीवन के दु:ख को हटाने वाली होता है और नवरात्रि, मां दुर्गा को अर्पित एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की पूजा-अर्चना, उपासना व आराधना आदि की जाती है।
ये हैं मां के नौ स्वरूप
शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री होता है। ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी। चंद्रघंटा – चांद की तरह चमकने वाली। कूष्माण्डा – पूरा जगत उनके पैर में है। स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता। कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मी। कालरात्रि – काल का नाश करने वाली। महागौरी – सफेद रंग वाली मां। सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली।
आखिर नवरात्र में क्यों बाेए जाते है जौ
कहा जाता है कि अगर बोए हुए जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा है तो इसका मतलब यह है कि आपके आने वाले साल का आधा समय ठीक नहीं रहेगा, लेकिन बाद में सब ठीक हो जाएगा। यदि जौ नीचे से आधा हरा है और ऊपर से आधा पीला तो इसका मतलब यह है कि आपके साल का शुरूआती समय ठीक से बीतेगा, लेकिन बाद में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
वहीं अगर आपका बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ संकेत है। ऐसा अगर होता है तो मान लीजिए कि आपकी पूजा सफल हो गई। आने वाला समय खुशियों से भरा होगा। अगर आपका बोया जौ अशुभ संकेत दे तो आप मां दुर्गा से अपने कष्टों और परेशानियों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें। नवरात्रि की दसवीं तिथि को नवग्रह के नाम से 108 बार हवन में आहुति दें।