200 करोड़ के घोटाले की जांच अटकी, चाबी लेकर अधिकारी फरार, रोहतक फिर पहुंची CBI

सोनीपत की दवा कंपनी से रिश्वत के मामले में सीबीआई ने छापेमारी की थी। इस दौरान कैश के साथ अधिकारी पकड़े थे। 3 अधिकारी फरार चल रहे है। फरार निरीक्षक के पास फर्जीवाड़े की चाबी है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 28 Aug 2020 12:10 PM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2020 12:10 PM (IST)
200 करोड़ के घोटाले की जांच अटकी, चाबी लेकर अधिकारी फरार, रोहतक फिर पहुंची CBI
200 करोड़ के घोटाले की जांच अटकी, चाबी लेकर अधिकारी फरार, रोहतक फिर पहुंची CBI

रोहतक [अरुण शर्मा] वस्तु और सेवाकर (सीजीएसटी) में सोनीपत की दवा कंपनी से रिश्वत के मामले में आरोपित अधिकारियों के तार बड़े घोटालों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। कुछ माह पहले ही हिसार की एक फर्म का 200 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया था। इस मामले की जांच फरार चल रहे अधिकारी कर रहे थे। फिलहाल जांच अटक गई है। बताया गया है कि जो अधिकारी इस मामले की जांच से जुड़े थे। उनके पास जांच से संबंधित अहम दस्तावेज थे। एक अलमारी में वह दस्तावेज हैं, लेकिन चाबी एक आरोपित के पास है। वहीं शुक्रवार को राेहतक में फिर से सीबीआई पहुंची है।

हिसार में एक फर्जी फर्म के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ था। पूरे प्रकरण की जांच कर अपवंचन रोधी शाखा (एंटी इवेजन ब्रांच) के अधिकारी कर रहे थे। इसी शाखा में तैनात रहे निरीक्षक रोहित मलिक हिसार के मामले की जांच कर रहा था। जांच से संबंधित अहम दस्तावेज रोहित के पास होने से अधिकारियों को फर्जीवाड़ा किस स्तर से किया और कितने टैक्स की चोरी हुई का ब्योरा जुटाने में अड़चन हो गईं। मंगलवार को इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू की है।

पुलिस ने जांच से संबंधित ब्योरा मांगा तब अधिकारियों ने दस्तावेज खंगालना शुरू किए। विभागीय सूत्रों का कहना है कि सोनीपत की दवा कंपनी रिसर्च मेडिसन प्राइवेट लिमिटेड के मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर मनोज कालरा और डायरेक्टर चंद्रमोहन से सीजीएसटी रोहतक के चार अधिकारियों ने नौ लाख की रिश्वत मांगी थी। इसी प्रकरण में सीबीआइ ने छापेमारी की थी। रोहतक सीजीएसटी में तैनात रहे अधीक्षक कुलदीप हुड्डा को सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं, अधीक्षक गुरङ्क्षवदर ङ्क्षसह सोहल, निरीक्षक रोहित मलिक व निरीक्षक प्रदीप फरार चल रहे हैं।

आरोपितों के सरेंडर का इंतजार

सीजीएसटी के सूत्रों का कहना है कि तमाम मामलों की जांच आरोपितों के फरार होने से अटक रही है। संबंधित ब्रांच में 13 अगस्त तक छह अधीक्षक और इतने ही निरीक्षक तैनात बताए गए। रिश्वत मामले में चार अधिकारी फंस चुके हैं। इन चारो के पास भी कई मामलों की जांच थी। इसलिए शेष तीन अधिकारियों के सरेंडर होने का इंतजार है। दूसरी ओर, सीबीआइ भी रोहतक में जांच करने आ सकती है। सीबीआइ से विभागीय अधिकारियों ने संपर्क भी किया है। अगले चार-पांच दिनों में सीबीआइ नहीं आई तो विभागीय अधिकारियों की अनुमति से हिसार मामले से जुड़ी फाइलों को अलमारी से निकाला जाएगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। फिर हिसार में हुए फर्जीवाड़े में सब स्पष्ट होगा।

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