बेटी का सपना सच होता नहीं देख पाए पिता, एशियन गेम्स में इंडियन हॉकी टीम की शान बनी उदिता

हैंडबॉल प्लेयर पिता ने बेटी उदिता की रुचि देख बनाया हॉकी प्लेयर, पिता का देहांत होने के बावजूद उदिता ने नहीं हारी हिम्मत, एशियन गेम्स में फाइनल मैच में इंडियन हॉकी टीम का हिस्सा बनेंगी उदिता

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Aug 2018 02:05 PM (IST) Updated:Thu, 30 Aug 2018 02:05 PM (IST)
बेटी का सपना सच होता नहीं देख पाए पिता, एशियन गेम्स में इंडियन हॉकी टीम की शान बनी उदिता
बेटी का सपना सच होता नहीं देख पाए पिता, एशियन गेम्स में इंडियन हॉकी टीम की शान बनी उदिता

जेएनएन, हिसार : यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी कामयाबी हासिल की जा सकती है। ऐसा ही बुधवार को जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में देखने को मिला। हम बात कर रहे हैं पुलिस लाइन में रहने वाली उदिता की। उदिता एशियन गेम्स में हॉकी टीम में खेल रही हैं। उदिता के पिता जसबीर का वर्ष 2015 में बीमारी के चलने निधन हो गया था। वह एएसआइ के पद पर कार्यरत थे। भले ही वह बेटी का सपना नहीं देख पाए, लेकिन जहां एक और उसे आज परिवार में पिता के न होने की कमी खल रही है, वहीं भारत के फाइनल में पहुंचने की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है। आज उसके गेम को पूरा भारत देख रहा है। भारत के फाइनल में पहुंचने पर उदिता के परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। घर पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। अब भारत का फाइनल मैच बृहस्पतिवार को जापान के साथ खेला जाएगा। वहीं इस गेम्स में सिरसा के जोधका की रहने वाली सविता पूनिया भी खेल रही है। उदिता पिछले काफी समय से हिसार में कोच आजाद मलिक की देखरेख में अभ्यास कर रही है।

उदिता ने पांचवीं कक्षा से किया था खेलना शुरू

उदिता की शुरू से ही हॉकी में रुचि रही है। उसने कक्षा पांचवी से पुलिस लाइन में खेलना शुरू किया था। वहीं स्वर्गीय पिता जसबीर भी हैंडबॉल खेलते थे। वह सुबह अपने पिता के साथ खेलने जाती थी, लेकिन बेटी की रुचि को देखते हुए उदिता ने हॉकी गेम चुन लिया। आज वह अपने परिवार का ही नहीं,बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन कर रही है। - आज हर क्षेत्र में बेटियां परचम लहरा रही हैं। बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं रखना चाहिए। मुझे बहुत खुशी है कि भारत फाइनल में पहुंच गया है। बेटी ने अब तक देश की झोली में कई मेडल डाले है।

- गीता, उदिता की माता। - आज 20 साल बाद भारत एशियन गेम्स के फाइनल में पहुंचा है। इससे पहले वर्ष 1998 में भारत ने सिल्वर मेडल हासिल किया था। टीम में सभी खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बार भारत गोल्ड मेडल हासिल करेगा।

- आजाद मलिक, कोच, हॉकी।

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