अतीत के आइने से : जहां डोलू में लाते थे पीने का पानी, वहां अब खेतो में लहलहाती हैं फसलें

बंसीलाल तीन बार सीएम रहे लेकिन गोलागढ़ आज भी गांव ही है। गोलागढ़ भजनलाल के आदमपुर की तरह हाईटेक नहीं हो पाया। आइए जानें दैनिक जागरण की लाइव रिपोर्ट में इस गांव की कहानी

By manoj kumarEdited By: Publish:Fri, 12 Apr 2019 01:52 PM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 02:31 PM (IST)
अतीत के आइने से : जहां डोलू में लाते थे पीने का पानी, वहां अब खेतो में लहलहाती हैं फसलें
अतीत के आइने से : जहां डोलू में लाते थे पीने का पानी, वहां अब खेतो में लहलहाती हैं फसलें

हिसार [ संजय ढांडा] बंसीलाल। विकास पुरुष। नाम जेहन में सामने आते ही एक सख्त प्रशासक का अक्स उभरकर सामने आता है। हरियाणा के मशहूर तीन लालों में शुमार बंसीलाल हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रहे। वे एक बार जो ठान लेते थे, उसे पूरा करके ही दम लेते थे। उनकी प्रशासनिक पकड़ जबरदस्त थी। जब भी प्रदेश में विकास की कहानी का जिक्र होता है तो विरोधी भी उनका नाम लेना नहीं भूलते। वे मूल रूप से भिवानी के गांव गोलागढ़ के रहने वाले थे। हालांकि वे तीन बार सीएम रहे लेकिन गोलागढ़ आज भी गांव ही है। भजनलाल के आदमपुर की तरह हाईटेक नहीं हो पाया। छोटा गांव होने की वजह से बंसीलाल का फोकस नजदीकी जुई पर ज्यादा रहा। वे वहीं ज्यादा आते थे। आइए जानते हैं भिवानी-जुई मार्ग पर जुई से महज चार किलोमीटर दूर बसे गांव गोलागढ़ की कहानी, वहीं के ग्रामीणों की जुबानी : 

--सूरज पूरे यौवन पर। दोपहर के डेढ़ बजे है। गांव का मुख्य बस स्टैंड सडक से धंसा हुआ। सड़क के एक तरफ गांव की गौरवगाथा की गवाही देता गौरव पट लगा था तो दूसरा ओर गांव गोलागढ़ लिखा पट बमुश्किल नजर आया। वजह, उस पर चस्पे पोस्टर थे। खैर सामने दो व्यक्ति आते दिखाई दिए तो उनके पास जाकर चौधरी बंसीलाल के बारे में पूछा तो उनमें से एक बोला- देवता आदमी थे चौधरी बंसीलाल। पूछने पर शख्स ने नाम बताया रामफल। कहा- लोग हामनै बागड़ी कहया करदे।

म्हारे इलाके म्हं सिवाय बालू रेत के कुछ नहीं था। पीण का पाणी भी दूर-दूर तै ल्याया करदे, वो भी डोलूआं (एक बर्तन) म्हं। पाणी खारा। पूरा सिमाणा खाली अरै रेत उडय़ा करदा। खेती राम भरोसे थी। बस याहे कसक थी बंसीलाल कै। अर आज बढिय़ा रोड, आच्छे पीण के पाणी के साधन, हर घर अर खेत म्हं बिजली कनैक्शन यो विकास नहीं तो और के सै। आज कोयल बोलैं सैं। उरै-उरै नहीं, पूरे हरियाणा म्हं विकास का लठ सा गाडण आले चौधरी बंसीलाल जिसा नेता फेर नहीं होण का। आज नेता कम दिखावा घणा करैं सैं, चौधरी बंसीलाल की तुलना तो किसे तै भी नहीं करी जा सकदी। बात के धणी थे। तभी वहां मौजूद दूसरे शख्स नै बिना नाम बताए बोलणा शुरू कर दिया- देख भाई पहले नंबर बंसीलाल का नाम लिया जा रहया सै तो दूसरे नंबर पै मोदी का लिया जावै सै।


जब उनसे चौधरी बंसीलाल के मकान और उनके परिवार में रहने वाले सदस्यों के बारे में पूछा तो बोले- भाई थोड़ा सा आगे नै चाले जाइयो बंसीलाल स्मृति स्थल के साथ म्हं ए एक दुकान मिलेगी उडै ए मिल ज्याएंगे बंसीलाल के भाई हरिसिंह। उसके बाद हमारे कदम बढ़े उनके बताए रास्ते की ओर। वहां खराद की दुकान पर दो व्यक्ति मूढ़े पर बैठे दिखाई दिए। वहां पहुंचकर राम-राम करी तो एक व्यक्ति मूढ़े से उठा बैठने के लिए हमारी तरफ सरका दिया और वहां से चला गया। मटमेले कुर्ता पायजामा पहने बैठे दूसरे शख्स वहीं बैठे रहे। उम्र 70 से पार। पूछा आप ही हो बंसीलाल के भाई। इस पर उन्होंने कहा-हां। जब मन को यकीन नहीं हुआ तो फिर यही प्रश्न किया आप चौधरी बंसीलाल के भाई हो। उन्होंने भी हलके-हलके गर्दन को उठाते हुए कहा कि के बात भाई, मैं ए सूं बंसीलाल का भाई अर नाम सै हरिसिंह। एक बार अजीब सा लगा पर फिर हाल चाल पूछते हुए सीधा प्रश्न किया- आप बंसीलाल के बारे में हमें बताएं कुछ। तो बोले-बंसीलाल शुरू तै तेज दिमाग का था। पढ़ लिखकै वकील बणग्या। फेर भ्याणी ए वकालत करण लागग्‍या।

ओड तै फेर वो लोहारू प्रजामंडल का अध्यक्ष बणग्या। बंसीलाल बहोत बढिय़ा नेता था पर जिद्दी भी बहोत था। एक बार अड जाया करदा तो उसनै पूरा करकै मान्या करदा। गाम आले कदे कहया भी करदे तो बंसीलाल कह दिया करदा मैं पूरे हरियाणा का सीएम सूं। मेरी नजर म्हं पूरा हरियाणा गोलागढ़ सै। जडै भी किसी काम की जरूरत दिखैगी वो चाहे प्रदेश के किसे कोणे में हो पूरा करवाउंगा। अर बेटा, जुई फीडर जब बणाई तो सारे न्यूं कहया करदे के भाई बंसीलाल तो पागल हो रहया सै, इतणी उंचाई पर अर रेत के टिब्यां पै पाणी क्यूकर जावैगा। फेर जिद नहर बणगी अर लिफ्ट तै पाणी छोडया गया तो भाई सबनै न्यूं कही थी कि बंसीलाल आदमी नहीं देवता सै भाई। फेर भाई गाम गेल एक-एक नलका लाग्या। उनसे पूछा गया कि अब उनकी जमीन।

तो हरिसिंह ने कहा कि उनकी जमीन रणबीर महेंद्रा संभाल रहे सैं भानगढ़ म्हं। जब उनसे पूछा गया कि आपके उनके साथ कैसे संबंध रहे हैं तो बोले- भाई जिद छोटे थे तो कटठे रहया करदे। पर म्हारा तो बेटा कुछ करया नहीं उननै। फेर भी कोए बात नै, आपां तो इसमें ए खुश सां। या दुकान सै।

बातों-बातों में भाई हरिसिंह की आंखों से झलका दर्द
जब बंसीलाल के भाई हरिसिंह से बातचीत चल रही थी तो अचानक उनकी आंखें भी भर आईं और रुंधे गले से कहा- बंसीलाल भाई था मेरा। विकास भी खूब कराया पर म्हारे लिए कुछ खास नहीं किया। इसका मलाल रहेगा।

गांव में बना है समाधि स्थल
बंसीलाल के भाई से मिलने के बाद पूर्व सीएम का समाधि स्थल देखने पहुंचे। वहां चौधरी बंसीलाल, बंसीलाल के पिता चौधरी मोहर सिंह लेघां, उनकी मां और सुरेंद्र सिंह की समाधियां बनी हुई हैं।

चार जमात तक का था गाम म्हं स्कूल, इसतै आगे बीए तक प्राइवेट करी पढ़ाई
बकौल हरिसिंह- पहले गाम म्हं चार जमात तक का ही स्कूल होता था। भाई बंसीलाल ने भी चार जमात तक की पढ़ाई गांव से पूरी की। इसके बाद प्राइवेट परीक्षाएं देते हुए बीए तक की पढाई प्राइवेट पूरी की। इसके बाद वे जालंधर चले गए लॉ करने के लिए। वहां से कानून की डिग्री लेने के बाद भिवानी में शिफ्ट हो गए। वकालत करने लगे। यहीं से उनका राजनीति में प्रवेश भी एक तरह से हो चुका था।

सीएम से लेकर रक्षामंत्री तक का सफर
भिवानी में वकालत करते हुए बंसीलाल पिछड़े हुए किसानों के नेता बन गए। बंसीलाल ने कांग्रेस की अनेक स्थानीय समितियों में भी स्थान बना लिया और 22 मई 1968 को वह 41 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के राज्य के मुख्यमंत्री बने। वे 30 नवंबर, 1975 तक पद पर बने रहे। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंसीलाल को केंद्र में रक्षामंत्री बना दिया। बंसीलाल 5 जुलाई, 1985 से 19 जून 1987 तक सीएम रहे। तीसरी बार वे 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 सूबे के मुख्यमंत्री रहे। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में बंसीलाल ने हरियाणा में बिजली, पानी, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और यातायात के क्षेत्र में इतना काम किया कि हरियाणा उन्नति के मार्ग में कई कदम तक आगे बढ़ गया। देश में यहां की मिसाल दी जाने लगी।

पिता की लोहारू में आढ़त की दुकान पर करते थे मदद
बंसीलाल के पिता मोहर सिंह लेघां लोहारू में व्यापार का काम करते थे। उन्होंने बंसीलाल को भी चौथी कक्षा के बाद से अपने साथ अनाज के व्यापार में झोंक दिया था। वहां भी बंसीलाल ने न केवल पिता की मदद की बल्कि अपनी शिक्षा को भी जारी रखा। उस समय दुकान पर एक प्राइवेट शिक्षक भी आता था, जिनसे बंसीलाल ने काफी कुछ सीखा था।

बंसीलाल गांव में मनाते थे दीवाली
सीएम बनने के बाद बंसीलाल साल में दीपावली मनाने गांव में जरूर आते थे। इसका अलावा जब भी कोई विशेष कार्यक्रम होता तो वे यहां आना नहीं भूलते थे।

जब बिजली-पानी की सुविधा मिली तो हालात कठिन थे
गांव के लोगों का कहना है बंसीलाल वाकयी विकास पुरुष थे। विकास उन्होंने उस वक्त करवाया जब न  टैक्नोलॉजी थी और न हीं उतने संशाधन। एक तरह से असली संघर्ष का दौर तो वहीं था, लेकिन बंसीलाल ने दिमाग का इस्तेमाल किया। जहां पानी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, वहां न केवल नहरों का निर्माण करवाया बल्कि लिफ्टों के जरिये नहरों में पानी डालकर हर घर तक पानी भी पहुंचाया।

एक समान विकास करवाने वाले शख्स थे बंसीलाल
पूर्व सीएम भजनलाल ने अपने कर्मक्षेत्र आदमपुर में खूब विकास करवाया लेकिन बंसीलाल के पैतृक गांव में इतना नहीं दिखता तो बंसीलाल के नजदीकी रहे श्रद्धानंद बोले- यही तो फर्क है चौधरी बंसीलाल और अन्य मुख्यमंत्रियों में। वे किसी एक गांव, कस्बा और जिले तक सीमित नहीं थे। वह तो पूरे प्रदेश का जरूरत के हिसाब से एक समान विकास करवाने वाले शख्स थे। उनकी यही बात आज हमें गौरवान्वित करती है।

जब पूछा कि देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल तीनों में से बंसीलाल को आप सबसे अलग कैसे मानते हैं तो बोले- नेता वो होता है जो लोगों का दुख-दर्द समझ सके और समस्याओं का समाधान करवा सके। चौधरी बंसीलाल ईमानदार थे। अपनी बात पर खरे उतरते थे। जो काम जिस समय पर होना तय कर दिया, वो उसी समय पर हर हाल में पूरा होता था। वे ढिलाई बरतने वाले अफसर को बख्शते भी नहीं थी। उनकी प्रशासनिक पकड़ जबरदस्त थी। चौधरी बंसीलाल राजनीति के रीयल हीरो थे, जो किसान, गरीब और मजदूर का ख्याल करते हुए समाज को एकता के सूत्र में पिरोने की सोच रखते थे।
 

--परिवार संग गेहूं की कटाई में व्यस्त भले राम से जब करीब चालीस साल पहले और अब के हालात में अंतर जाना तो वे बोले-भाई मन्नै भी देख्या सै और म्हारे बुजुर्ग भी बताया करदे अक आडै नहीं था कुछ सिवाय बालू रेत कै। आज की बात बताउं तो भाई काम खूब चाल रहया सै। जडै कदे पाणी की बूंद-बूंद नै तरसया करदे आज गेहूं तक की पैदावार भी ठीक-ठाक ले रहये सैं। अर जै चौधरी बंसीलाल ना होते तो इसा कदे नहीं हो पांदा। चौधरी बंसीलाल नै गाम-गुहांड  अर जिले का ही नहीं पूरे हरियाणे का ए विकास करया सै।
 

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