मानसिक स्वास्थ्य के बिना अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना मुश्किल : प्रो. टंकेश्वर कुमार

जागरण संवाददाता हिसार कोरोना महामारी के चलते जहां कुछ लोगों ने परिवार के सदस्यों क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 11:41 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 11:41 PM (IST)
मानसिक स्वास्थ्य के बिना अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना मुश्किल : प्रो. टंकेश्वर कुमार
मानसिक स्वास्थ्य के बिना अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना मुश्किल : प्रो. टंकेश्वर कुमार

जागरण संवाददाता, हिसार : कोरोना महामारी के चलते जहां कुछ लोगों ने परिवार के सदस्यों को खोया है वहीं रोजगार से भी हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने मानसिक स्वास्थ्य पर दूसरा वेबिनार आयोजित किया।

इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के बिना कुशल शारीरिक स्वास्थ्य की कल्पना करना मुश्किल है। आज के दौर हमारे लिए खुश रहना मानसिक स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चाबी है।

कुलपति ने एनएसएस की टीम को शुभकामनाएं और कहा कि आज का वेबिनार वर्तमान दौर में सबसे ज्यादा जरूरी है राष्ट्रीय सेवा योजना हर मुश्किल परिस्थिति में समाज में उदाहरण पेश करती हैं। उन्होंने गुजवि को हरियाणा में प्रथम रैंकिग एवं भारत में 28वा स्थान पाने पर भी सभी को बधाई दी।

कार्यक्रम में कुलसचिव डा. अविनेश वर्मा ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने स्वयंसेवकों को बधाई देते हुए कहा हमारी राष्ट्रीय सेवा योजना सराहनीय कार्य कर रही है ।

हर इंसान को पता हो उसकी कार्यक्षमता क्या है

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पीजीआई रोहतक में मनोरोग विशेषज्ञ एवं दिल्ली में ड्रग्स डि एडिक्शन सेंटर एवं लेडी हार्डिंग कालेज दिल्ली से डा. दिनेश कटारिया रहे उन्हें स्वयंसेवकों को मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक से अवगत कराया। 1. हर मनुष्य को अपनी क्षमता पता होना चाहिए हमें कुछ करने से पहले हमारी कार्य करने की क्षमता पता होना जरूरी है। 2 डा. कटारिया ने दूसरे घटक के बारे में जिक्र करते हुए कि हमें परेशानियों के साथ जीना भी सीखना चाहिए जैसे कोरोना महामारी में हमने सहन किया है 3 . हमें जरूरत के अनुसार कार्य करने चाहिए और हमें वो कार्य करने की जरूरत जिसके परिणाम समाज के लिए अच्छे आएं। 4 हमारे अंदर इंसानियत का होना जरूरी है। उन्होंने कहा हम तरीके से सोचते हैं किस तरीके से कार्य कर रहे हैं वो भी हमारे मानसिक स्वास्थ्य का अंग है। आज महामारी में हमने हमारी आकांक्षाएं को दबा कर हम लोगों ने जीना सिखा है बहुत से बदलाव हमने हमारी दिनचर्या में किये है । कुछ लोग अफवाहों के शिकार हुए तो कुछ लोग लोग नशे की तरफ भी गए।

उन्होंने बहुत से मानसिक रोगों पर एवं उनके बचाव पर भी बातचीत की । उन्होंने कहा हमें खुद में बदलाव लेके आना जरूरी है हमें सरकार की गाइडलाइन को पालना करने की जरूरत है हमें मिलकर सकारत्मक सोच के साथ महामारी से लड़ना है और आशा है हम जल्द ही जीतेगें। कार्यक्रम में डा विक्रमजीत सिंह, डा. सुनील वर्मा, डा. अंजू गुप्ता तथा डा. विजयपाल व स्वयंसेवक भी मौजूद रहे।

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