गुलाम नबी आजाद बोले- काश! प्रियंका छह माह पहले आतीं, लोकसभा चुनाव में मिलता लाभ

कांग्रेस के रथ पर सवार आजाद ने कांग्रेस पार्टी की रणनीति तथा अन्य पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। जिनमें कई पहलुओं पर उन्‍होंने खुलकर बाेला। प्रस्तुत है इसके प्रमुख अंश

By manoj kumarEdited By: Publish:Fri, 29 Mar 2019 12:55 PM (IST) Updated:Sat, 30 Mar 2019 02:33 PM (IST)
गुलाम नबी आजाद बोले- काश! प्रियंका छह माह पहले आतीं, लोकसभा चुनाव में मिलता लाभ
गुलाम नबी आजाद बोले- काश! प्रियंका छह माह पहले आतीं, लोकसभा चुनाव में मिलता लाभ

फतेहाबाद, जेएनएन। लोकसभा चुनाव से पूर्व धड़ों में बंटी हरियाणा कांग्रेस को एकजुट कर चुनावी बढ़त लेने की जुगत में परिवर्तन रथ यात्रा सिरसा लोकसभा क्षेत्र पहुंची। यात्रा की कमान हाथ में लिये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने सिरसा के बाद फतेहाबाद जिले के अनेक क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं व आमजन को संबोधित किया। कांग्रेस के रथ पर सवार आजाद से मुख्य संवाददाता मणिकांत मयंक ने पार्टी की रणनीति तथा अन्य पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। प्रस्तुत है इसके प्रमुख अंश :

सवाल : सियासी जमीन से उठकर अंतरिक्ष तक जा पहुंचा चौकीदार ... इस सियासत में इतना बवाल क्यों?

जवाब : (टोकते हुए) देखिये, पहले तो यह स्पष्ट कर दूं कि हम चौकीदारों की बेहद इज्जत करते हैं। रही बात कहने सुनने की, अब तो हमने कहना बंद कर दिया है। लोग ही कह रहे हैं। लालकिले के प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था कि वे देश के चौकीदार हैं। हमने उन्हें ही कहा था। तर्कों के साथ। चोरियां तो हो रही हैं। जितने बैंक लूटे गए, सब इनके करीबी थे। जितने स्कैम हुए उनमें इनके नजदीकियों का हाथ रहा। सो, यह चौकीदार तो चोर है ही।

सवाल : तो क्या यह विषय कांग्रेस के लिए भारी नहीं पड़ेगा?

जवाब : नहीं। बेशक, इसका संदर्भ लाखों चौकीदारों से नहीं था।

सवाल : लेकिन एक चौकीदार को राजनीतिक जमीन पर परास्त करने के लिए आपकी पार्टी ने तो महागठबंधन की नींव रख दी?

जवाब : दरअसल, यह महागठबंधन शब्द भी प्रधानमंत्री व उनके सिपहसालारों ने ही रचा। हमने तो कभी नहीं महागठबंधन शब्द इस्तेमाल किया। यह मोदी जी व उनकी पार्टी की साजिश थी कांग्रेस को कमजोर करने की। आने वाले दिनों में देखना कि उनका हमसे चार गुना ज्यादा दलों के साथ गठबंधन होगा।

सवाल : क्या यह सच नहीं कि आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए गठबंधन के अन्य दलों में सहमति नहीं है?

जवाब : नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे भी हमने कभी यह नहीं कहा कि राहुल गांधी गठबंधन की सरकार के प्रधानमंत्री होंगे। जहां तक गठबंधन की बात है तो देश की एकता व अखंडता के लिए समान विचारधारा की पार्टियां एकजुट होंगी। यूपी हो अथवा बंगाल, वहां की पार्टियों में हमारी विचारधारा से फर्क नहीं है। हम उन्हें मानते हैं और वे हमें।

सवाल : क्या आपको लगता है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में प्रियंका गांधी राहुल से अधिक प्रभावी हो सकेंगी?

जवाब : देखिये, इसमें दो राय नहीं कि थोड़ी देर हो गई। प्रियंका अगर छह माह पहले सक्रिय होतीं तो लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को अधिक लाभ मिलता। वैसे लीडर तो राहुल गांधी ही हैं। प्रियंका गांधी की सक्रियता का वृहद लाभ उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में मिलेगा।

सवाल : कांग्रेस इस लोकसभा में किन अहम मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी?

जवाब : अनेक मुद्दे हैं। किसान विरोधी एनडीए सरकार ने किसानों का वादा पूरा नहीं किया। छह हजार रुपये उनके जख्मों पर मरहम लगाने में नाकाफी है। दूसरी, बढ़ती बेरोजगारी अहम मसला है। 15 लाख देने के वादे कहां गए? ब्लैक मनी के 1 लाख करोड़ कहां गए? ऐसे अनेक मुद्दे हैं?

सवाल : लेकिन भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे को काउंटर कैसे करेंगे? कहीं न्याय योजना इसका काउंटर तो नहीं?

जवाब : नहीं। कांग्रेस से बड़ी राष्ट्रवादी पार्टी कौन-सी है? भाजपा कब से राष्ट्रवादी हो गई। कांग्रेस के लोगों ने देश की खातिर जान दी। बीजेपी के तो चूहे-मच्छर भी नहीं मरे। अब बने राष्ट्रवादी तो स्वागत है। कांग्रेस आजादी के वक्त से राष्ट्रवादी है। देश की सुरक्षा के जान देने वाली पार्टी है। कश्मीर में आतंकवादी आ रहे हैं। हमारी सरकार के समय से दस गुना बढ़ गया आतंकवाद। सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक श्रेय जरूर ले रहे हैं, जबकि हमारी सरकार की तुलना में दस गुना ज्यादा फौजी मर रहे हैं।

सवाल : तीन तलाक बिल का आपकी पार्टी और आपने मुखर होकर विरोध किया। इसका कितना असर पड़ेगा?

जवाब : यह बिल तो मुसलमानों को देश से खत्म करने की साजिश का हिस्सा था। मुस्लिम औरतों को मुखौटा बनाया गया। मेरे साथ कई मीटिंग्स हुईं। मैंने समझाया था, लेकिन ये तो सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे की नीति पर अड़ गए। ऐसे विषय मुद्दे नहीं बन सकते या चुनाव में जीत-हार नहीं दे सकते।

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