किसान आंंदोलन : दमन विरोध और नौजवान किसान दिवस के जरिये बॉर्डरों पर भीड़ जुटाने की कवायद
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा और लाल किले की घटना के बाद आंदोलन तो जारी है मगर ट्रैक्टर-ट्रालियों के मुकाबले किसानों की संख्या धरना स्थल पर पहले जितनी दिखाई नहीं दे रही है। तीन सप्ताह से प्रदेश भर में खाप पंचायतों का दौर चल रहा है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। सरकार से वार्ता को लेकर बने गतिरोध के बीच अब आंदोलनकारियों द्वारा आगामी गतिविधियों के जरिये बॉर्डरों पर चल रहे धरनों पर भीड़ बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इसी कड़ी में फरवरी के आखिरी सप्ताह के कार्यक्रम तय हो चुके हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा और लाल किले की घटना के बाद आंदोलन तो जारी है, मगर ट्रैक्टर-ट्रालियों के मुकाबले किसानों की संख्या धरना स्थल पर पहले जितनी दिखाई नहीं दे रही है। तीन सप्ताह से प्रदेश भर में खाप पंचायतों का दौर चल रहा है। इसको लेकर किसान संगठनों के नेताओं की अलग-अलग राय सामने आ चुकी है।
इसमें यही बात उभरकर सामने आई है कि दिल्ली के बॉर्डरों पर जारी धरना-प्रदर्शन में आंदोलनकारियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। समझा जा रहा है कि इसीलिए दमन विरोध दिवस और नौजवान किसान दिवस मनाने का ऐलान किया गया है, ताकि आंदोलन को तेज किया जा सके। आंदोलन स्थलों पर भीड़ बढ़े। दमन विरोध दिवस पर तहसील और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के बाद ज्ञापन सौंपने की तैयारी है।
गेहूं की फसल में अंतिम सिंचाई का चल रहा दौर
आंदोलन के बीच अब गेहूं की फसल में अंतिम सिंचाई का दौर चल रहा है। फसल में बालियां निकल रही हैं। वैसे तो बीच-बीच में घना कोहरा भी छा रहा है। इसका भी फसल काे फायदा मिल रहा है, लेकिन अधिकतर रकबे में अब सिंचाई इसलिए हो रही है ताकि फसल का पकाव अच्छी तरह हो। ऐसे में क्षेत्र के किसान व्यस्त भी हैं। गेहूं की फसल खेतों से निकलकर मंडियों में पहुंचने में अब सवा महीने का वक्त रह गया है। अमूमन 1 अप्रैल से खरीद शुरू होती है। जबकि उससे पहले सरसों की खरीद शुरू होनी है।
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