Farmer Protest: सु्प्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आंदोलनकारी नेताओं में रही बेचैनी, किसानों की इस अपील का नहीं हुआ असर
आंदोलन सभाओं से लेकर इंटरनेट मीडिया तक पर आंदोलनकारी नेताओं ने किसानों से बुधवार को बार्डर पर जुटाने का आह्वान किया था। इस अपील में ये नेता साफ तौर पर यह कहते सुने गए थे कि कानूनी फैसले की आड़ में सरकार आंदोलन खत्म करने की कोशिश कर रही है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आंदोलनकारी नेताओं में बेचैनी रही। कोर्ट की ओर से खुद के खिलाफ फैसला आने की आशंका में आंदोलनकारियों ने बार्डरों पर भीड़ बढ़ाने की अपील तो की, लेकिन बुधवार को इसका असर होता नहीं दिखा।
कानूनी फैसले की आड़ में सरकार द्वारा आंदोलन खत्म करने की कोशिश की जा रही है
आम दिनों में यहां पर सभा में जितने आंदोलनकारी होते हैं, उतने ही थे। उन पर भी सुस्ती और निराशा छाई हुई थी। जबकि मंगलवार को आंदोलन सभाओं से लेकर इंटरनेट मीडिया तक पर आंदोलनकारी नेताओं ने किसानों से बुधवार को बार्डर पर जुटाने का आह्वान किया था। इस अपील में ये नेता साफ तौर पर यह कहते सुने गए थे कि कानूनी फैसले की आड़ में सरकार द्वारा आंदोलन खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इसलिए सभी किसान अपना खेतों का कामकाज छोड़कर दिल्ली के टीकरी और सिंघु बार्डर पर जुट जाएं, ताकि किसानों की ताकत देखकर किसी भी तरह के आंदोलन के विपरीत फैसले की आशंका न रहे।
कोर्ट के फैसले से दिल्ली के बार्डर न खुल पाए
मगर दिल्ली के बार्डरों पर नए जत्थे नहीं पहुंचे। इधर, आंदोलनकारियों की इस कवायद को लेकर आम आदमी अब फिर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि एक तरफ तो आंदोलनकारी दिल्ली के बार्डरों को दिल्ली पुलिस द्वारा बंद किए जाने का दावा कर रहे हैं और दूसरी तरफ आंदोलनकारी इस तरह की कोशिश भी कर रहे हैं कि कोर्ट के फैसले से दिल्ली के बार्डर न खुल पाए। यदि आंदोलनकारी चाहे तो बार्डर खुल सकते हैं, जिससे कि आवागमन का रास्ता मिल जाए। दरअसल 26 अक्टुबर को आंदोलन को चलते हुए 11 महीने हो जाएंगे। इतने महीनों से आंदोलनकारी दिल्ली के बार्डरों पर टिके हुए हैं। फसलों के सीजन के चलते कई किसान जत्थे खेतों में वापिस लौट गए थे, जिसके चलते अब किसानों नेताओं द्वारा उन्हें वापिस आंदोलन में बुलाने की अपील की जा रही है।