PGI के चिकित्सकों की मिलीभगत से उपचार कर रहा था फर्जी डाक्टर, पकड़ा गया

फर्जी डॉक्‍टर पकड़े जाने के मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो पीजीआइ के कई बड़े चिकित्सकों के साथ मिलीभगत हो सकती है उजागर। पीजीआइ में अंदर घुसकर मरीजों का उपचार करने की भी बात

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Nov 2019 01:32 PM (IST) Updated:Sun, 17 Nov 2019 01:32 PM (IST)
PGI के चिकित्सकों की मिलीभगत से उपचार कर रहा था फर्जी डाक्टर, पकड़ा गया
PGI के चिकित्सकों की मिलीभगत से उपचार कर रहा था फर्जी डाक्टर, पकड़ा गया

रोहतक, जेएनएन। पीजीआइ में फर्जी चिकित्सक द्वारा मरीजों का उपचार करने के मामले में संस्थान के भी चिकित्सकों की मिलीभगत नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि मुन्ना भाई ने पीजीआइ के वार्ड में भर्ती मरीजों का न केवल उपचार किया बल्कि कई मरीजों का अल्ट्रासाउंड भी किया था। एक महिला मरीज ने आरोप लगाया कि वह पीजीआइ में भर्ती रहने के बाद उक्त मुन्ना भाई के संपर्क में आई थी। इसके बाद आरोपित ने उसके घर जाकर न केवल ब्लड सैंपल लिया था बल्कि मशीन घर ले जाकर अल्ट्रासाउंड भी किया था।  ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जहां भी आरोपित ने खुद को चिकित्सक बताते हुए मरीजों का उपचार किया, वहां के चिकित्सकों की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव नहीं है।

पीजीआइ से गिरफ्तार किए गए फर्जी चिकित्सक के मामले में अब नया खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि आरोपित ने पीजीआइ के वार्डों में भी मरीजों का उपचार किया है। एक महिला ने अधिकारियों को दिए गए बयान में दावा किया है कि पीजीआइ में उपचार के दौरान आरोपित से उसकी मुलाकात हुई थी। इसके बाद एक बार आरोपित ने उसके घर जाकर ब्लड सैंपल लिया था, जबकि एक अन्य महिला के घर पहुंचकर उसका अल्ट्रासाउंड भी किया था। पीजीआइ निदेशक पूर्व में रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष रहे हैं इसके बाद भी एक फर्जी चिकित्सक द्वारा विभाग में घुसकर मरीजों का अल्ट्रासाउंड भी करने का दावा किया जा रहा है।

ऐसे में यदि दावा सच है तो बिना अंदर के चिकित्सकों की मिलीभगत के यह संभव नहीं हो सकता है। संभावना जताई जा रही है कि आरोपित ने कई महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करते हुए ङ्क्षलग जांच भी की थी। ऐसे में यदि जांच में इसका खुलासा होता है तो कई बड़े अधिकारियों की न केवल गर्दन फंसेगी, बल्कि नौकरी पर भी संकट आएगा। अब देखना है कि अधिकारी आरोपित के खिलाफ जांच कराने में कितनी अहम भूमिका अदा करते हैं। पूरे मामले में पीजीआइ निदेशक डा. रोहताश यादव व पीआरओ डा. वरुण अरोड़ा से जवाब मांगा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

बता दें कि पीजीआई में एक फर्जी डॉक्‍टर पकड़ा गया था। जिसे थाने में ले जाया गया था मगर वह वहां से चकमा देकर भाग निकला था। इसके बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की थी और फर्जी डॉक्‍टर को फिर से पकड़ लिया गया। अब इस मामले में जांच चल रही है।

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