फर्जीवाड़े की हद : ऑपरेटर ने दे रखा था पासवर्ड और लैपटॉप, घर बैठ टाइपिस्ट बनाता था कार RC

चोरी की लग्जरी गाडिय़ों की फर्जी तरीके से आरसी बनाने के मामले में चार्जशीट में बड़ा पर्दाफाश हुआ है। आरोपित टाइपिस्ट महम एसडीएम कार्यालय के बाहर बैठता था। क्लर्क और ऑपरेटर के पकड़े जाने के बाद टाइपिस्ट ने ऑपरेटर का लैपटॉप खरकड़ा ड्रेन में फेंक दिया था

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 01:08 PM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 01:08 PM (IST)
फर्जीवाड़े की हद : ऑपरेटर ने दे रखा था पासवर्ड और लैपटॉप, घर बैठ टाइपिस्ट बनाता था कार RC
चोरीशुदा गाडिय़ों की आरसी बनाने के मामले में फर्जीवाड़े की हद पार की गई थी।

रोहतक [विनीत तोमर] चोरी की लग्जरी गाडिय़ों की आरसी बनाने के मामले में फर्जीवाड़े की हद पार की गई थी। महम एसडीएम कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर सोमबीर ने अपना ऑफिशियल यूजर-आइडी, पासवर्ड और लैपटॉप कार्यालय के बाहर बैठने वाले टाइपिस्ट महम के वार्ड-2 निवासी रमेश बामल को दे रखा था। जिससे वह जितनी चाहे बैकलॉग में एंट्री कर फर्जी आरसी बना सकता था। यूजर-आइडी और पासवर्ड मिलने के बाद रमेश बामल ने अपने घर और कार्यालय के बाहर बैठकर करीब 200-250 आरसी फर्जी तरीके से बनवाई।

इसके अलावा आरोपित क्लर्क अनिल कुमार और ऑपरेटर सोमबीर खुद भी फर्जी आरसी बनाने के लिए बैकलॉग में एंट्री करते थे। जिस समय एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) ने आरोपित सोमबीर और क्लर्क को गिरफ्तार किया तो टाइपिस्ट को इसका पता चल गया था। जिसके बाद टाइपिस्ट रमेश बामल ने सोमबीर के लैपटॉप को तोड़कर खरकड़ा गांव के पास ड्रेन में फेंक दिया था। जिससे बैकलॉग में एंट्री की जाती थी।

एसटीएफ की तरफ से कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में यह पर्दाफाश हुआ है। दरअसल, टाइपिस्ट रमेश बामल एसडीएम कार्यालय के बाहर बैठकर शादी पंजीकरण, निवास प्रमाणपत्र और अन्य छोटे-मोटे प्रमाणपत्र बनवाता था। इसके संपर्क में सीसरखास गांव निवासी रमेश आया। जिसने गिरोह के सरगना महम निवासी अमित से उसकी मुलाकात कराई। टाइपिस्ट रमेश बामल ने क्लर्क अनिल कुमार और ऑपरेटर से संपर्क कर उन्हें अपने गिरोह में शामिल किया।

15 लाख की फॉरच्यूनर में आता था टाइपिस्ट

गिरोह ने इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा कि कुछ महीने बाद ही टाइपिस्ट रमेश बामल ने 15 लाख रुपये की फॉरच्यूनर खरीदी थी। जो इसी गिरोह से खरीदी गई थी। हालांकि आरोपित बामल ने उस गाड़ी को खुद के नाम ना कराकर अपनी मां के नाम कराया है। आरोपित कई बार फॉरच्यूनर में ही टाइपिस्ट का काम करने के लिए आता था। इस वजह से भी वह आसपास के लोगों की नजरों में आ गया था। एसटीएफ ने फॉरच्यूनर को बरामद कर लिया था।

जमानत के लिए घूम रहे आरोपित

मामले में एसटीएफ अभी तक गिरोह के सरगना अमित, प्रवीण, रमेश, क्लर्क अनिल, ऑपरेटर सोमबीर, टाइपिस्ट रमेश बामल और धर्मवीर समेत कई आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि कई आरोपित अभी फरार चल रहे हैं। पकड़े गए आरोपित जमानत पर बाहर आने के लिए भी इधर-उधर हाथ-पैर मार रहे हैं।

गौरतलब है कि एसटीएफ ने चोरी की गाड़ी के साथ सबसे पहले आरोपित प्रवीण को चरखी दादरी से पकड़ा था। इसके बाद गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। जो लग्जरी गाडिय़ां चोरी कर फर्जी तरीके से महम एसडीएम कार्यालय में आरसी बनवाते थे।

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