एकता भ्‍याण की मेडल के प्रति ऐसी दिवानगी, कोरोना काल में भी व्हीलचेयर पर कर रही प्रैक्टिस

हादसे में कमर से नीचे पैरालाइज हुई और विश्व पैरा एथलेटिक्स में पदक विजेता एकता भ्‍याण सोनीपत स्थित साई अकादमी में ट्रेनिंग लेनी थी। अब लॉकडाउन में अब घर को जिम बना लिया है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 11:32 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 11:32 AM (IST)
एकता भ्‍याण की मेडल के प्रति ऐसी दिवानगी, कोरोना काल में भी व्हीलचेयर पर कर रही प्रैक्टिस
एकता भ्‍याण की मेडल के प्रति ऐसी दिवानगी, कोरोना काल में भी व्हीलचेयर पर कर रही प्रैक्टिस

हिसार [वैभव शर्मा] टोकियो में आयोजित होने वाले पैरालंपिक खेलों को 2021 के लिए भले ही टाल दिया गया हो मगर प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए अभी भी कई चुनौती सामने खड़ी हैं। कोविड-19 में इन चुनौतियों का सामना कर पैरा एथलीट अपने खेल को निखारने में लगे हुए हैं। हिसार की पैरा एथलीट एकता भ्याण के सामने कोराेनाकाल में बड़ी चुनाैती सामने हैं। उनकी श्वसन तंत्र काफी कमजोर है, ऐसे में कोविड संक्रमण से बचने की जरूरत है तो व्हीलचेयर के प्रयोग पर निर्भर रहने के कारण कभी भी वह संक्रमित हो सकती हैं।

ऐसी परिस्थितियां होने के बावजूद एकता ने अब अपने घर में ही छोटी जिम बना ली है। जहां सुबह व सायं नियमित रूप से एक्सरसाइज करती हैं। वहीं घर की छत पर भी योग व एक्सरसाइज करती हुई दिखाई देती हैं। इतनी मेहनत करने के पीछे एक ही उद्देश्य है कि पैरालंपिक में देश के लिए मैडल लाने के लिए कोई कोर कसर न छूटे। यह काम वह सहायक रोजगार अधिकारी के पद का कार्य देखते हुए कर रही हैं।

सोनीपत साईं के सेंटर में होनी थी ट्रेनिंग

एकता बताती हैं कि पैरालंपिक खेलों में भाग लेने के लिए उन्हें सोनीपत के साईं सेंटर में ट्रेनिंग के लिए जाना था, मगर लॉकडाउन के कारण वह वहां नहीं जा सकी। इसके साथ ही मेडिकल कंडीशन कोविड के अनुकूल न होने के कारण वह जल्द ही फील्ड में प्रैक्टिस के लिए भी नहीं जा सकती हैं। इस लिए घर पर ही तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि बार-बार व्हीलचेयर से हाथ लगाने पर और दिव्यांग होने पर किसी की मदद लेनी पड़ती है तो शारीरिक रूप भी लागू नहीं हो पाती। ऐसेमें कई चुनौतियों हैं मगर अभी नजर सिर्फ पैरालंपिक खेलों में देश के लिए मैडल लाने पर है। उन्होंने बताया कि वैसे 2020 में टोकियो में पैरालंपिक प्रतियोगिताएं होनी थी अब 2021 में यह कार्यक्रम शिफ्ट होने से समय जरूर मिला है मगर घर में रहकर प्रोफेशनल तरीके से प्रैक्टिस कर पाना बहुत मुश्किल है। इसके लिए उनके कोच फोन पर समय-समय पर निर्देशित कर रहे हैं। एकता क्लब थ्रो व डिस्कस थ्रो की खिलाड़ी हैं। इसके साथ ही नेशनल व इंटरनेशनल स्तर पर कई मैडल भी प्राप्त कर चुकी हैं।

पीएम ने मन की बात कार्यक्रम में एकता का दिया था उदाहरण

हिसार की एकता भ्याण की काबीलियत को देखते हुए कुछ समय पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में एकता के संघर्ष की कहानी को देश के सामने साझा किया था। इसके साथ ही पीएम ने खुद भी सम्मानित किया था। इसके बाद से देश में पैरा एथलीट खेलों में एकता का नाम सबसे ऊपर लिया जाने लगा। अब उन्हें ट्विटर पर फैन फॉलोइंग को देखते हुए ब्लू टिक भी मिल गया है। जो कि सेलिब्रिटी या महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दिया जाता है।

एकता ने जीती हैं यह प्रतियोगिताएं

- ट्यूनीशिया में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स-2018 में एक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते  

- बर्लिन में तीसरी पैरा इंटरनेशनल ग्रांड प्रिक्स में सिल्वर मेडल। - फाजा इंटरनेशनल ओपन चैंपियनशिप दुबई में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चौथी रैंक। - चंडीगढ़ में आयोजित पैरा एथलेटिक खेलों में 400 ग्राम क्लब थ्रो खेल में जीत दर्ज की। - जर्मनी में आयोजित चैंपियनशिप में 400 ग्राम क्लब थ्रो में रजत पदक प्राप्त किया।

एक हादसा, स्पाइनल इंजरी का नौ महीने चला इलाज, एकता ने नहीं खोया हौसला

बात 16 साल पहले की है। एकता सोनीपत के राई स्कूल में कार्यरत अपनी मामी के पास गई थी। वहां से दिल्ली मेडिकल की कोचिंग लेने के लिए पांच अन्य सहेलियों के साथ वैन में जा रही थी। रास्ते में वैन का टायर पंक्चर हो गया। जब चालक वैन का टायर बदल रहा था तो वहां से गुजर रहे एक ट्रक वैन पर पलट गया, जिससे मौके पर ही वैन में सवार चार लड़कियों की मौत हो गई, मगर एकता एक अन्य लड़की गंभीर रूप से घायल हो गई। एकता का नौ माह तक दिल्ली स्पाइनल इंजरी सेंटर में उपचार चला लेकिन उसने अपना हौसला नहीं खोया और उसके बाद व्हील चेयर के माध्यम से चलना शुरू कर दिया। इसके बाद एक पैरा एथलीट ने उन्हें खोजा और उन्हें अचानक से पैरा एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया। इसके घर कई वर्ष की ट्रेनिंग के बाद वह खेलों में अब नाम कमा रही हैं।

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