विफलताओं से न घबराएं, सीखने का जज्बा बनाए रखें : मीनाक्षी सारंगदेवोत

विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे कम्युनिकेशन और सॉफ्ट स्किल जैसे कौशल हासिल करें। लगातार उपयोग में लाते रहें। आलोचनाओं से घबराने की बजाय सीखते रहें। विशिष्ट अतिथि हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस की पूर्व छात्रा शीतल सिवाच ने विद्यार्थियों को नेटवर्किंग स्किल्स को निखारने का आह्वान किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Nov 2020 06:42 AM (IST) Updated:Tue, 10 Nov 2020 06:42 AM (IST)
विफलताओं से न घबराएं, सीखने का जज्बा बनाए रखें :  मीनाक्षी सारंगदेवोत
विफलताओं से न घबराएं, सीखने का जज्बा बनाए रखें : मीनाक्षी सारंगदेवोत

जागरण संवाददाता, हिसार : सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। सीखने की चाहत, आत्मविश्वास और विफलताओं के महत्व को समझकर ही संतोषजनक नौकरी और मंजिल हासिल की जा सकती है। सफल होने के लिए नैतिक रूप से सही रास्ता चुनना चाहिए, चाहे वो लंबा और मुश्किल ही क्यों न हो। यह बातें मुख्य अतिथि मीनाक्षी सारंगदेवोत ने कही। वह गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस में मीट द एलुमिनाई के एचएसबीएन टॉक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। मीनाक्षी न्यूयार्क की एक कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अपना मूल कौशल पहचानने व उसी में दक्षता हासिल करने की सलाह दी।

विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे कम्युनिकेशन और सॉफ्ट स्किल जैसे कौशल हासिल करें। लगातार उपयोग में लाते रहें। आलोचनाओं से घबराने की बजाय सीखते रहें। विशिष्ट अतिथि हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस की पूर्व छात्रा शीतल सिवाच ने विद्यार्थियों को नेटवर्किंग स्किल्स को निखारने का आह्वान किया।

हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक प्रो. कर्मपाल नरवाल ने कहा कि विद्यार्थियों में पूर्व नियोजित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वांछित दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो ऊंचे प्रोफेशनल मुकाम को भी हासिल किया जा सकता है। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक प्रो. संजीव कुमार थे। संचालन डा. प्रमोद कुमार व प्रेरणा टुटेजा ने किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा ने शिक्षकों व विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर प्रो. हरभजन बंसल, प्रो. ऊषा अरोड़ा, प्रो. एससी कुंडू, प्रो. बीके पूनिया, प्रो. महेश गर्ग, प्रो. शबनम सक्सेना, प्रो. विनोद कुमार बिश्नोई, प्रो. अनिल कुमार, प्रो. तिलक सेठी, प्रो. टीका राम, प्रो. सुरेश मित्तल, डा. खजान सिंह, डा. उबा सविता, डा. अंजू वर्मा आदि मौजूद थे।

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