1968 में टिकट न मिलने पर देवीलाल ने छोड़ दी थी कांग्रेस, फिर यूं आए उतार-चढ़ाव

1972 में बंसीलाल और भजनलाल के खिलाफ लड़ा चुनाव करारी हार मिलने पर डेढ़ साल तक राजनीति में हाशिये पर भी रहे। 1974 में जब रोड़ी सीट खाली हुई तो विधायक बन गए।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 30 Sep 2019 12:05 PM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 12:05 PM (IST)
1968 में टिकट न मिलने पर देवीलाल ने छोड़ दी थी कांग्रेस, फिर यूं आए उतार-चढ़ाव
1968 में टिकट न मिलने पर देवीलाल ने छोड़ दी थी कांग्रेस, फिर यूं आए उतार-चढ़ाव

बहादुरगढ़ [कृष्ण वशिष्ठ] भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल प्रदेश के एकमात्र ऐसे नेता थे, जो किसी भी क्षेत्र से और किसी भी बड़े नेता के खिलाफ उनके ही गढ़ में उतरकर चुनौती दे डालते थे। ऐसे में कई मौकों पर भले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन देवीलाल इस तरह चुनाव लड़ने में कभी नहीं घबराए। इसी तरह का एक वाक्या 1972 में भी हुआ था।

1968 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस ने देवीलाल को टिकट नहीं दिया। उस समय बंसीलाल मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि मुख्यमंत्री बंसीलाल ने देवीलाल को खादी बोर्ड का चेयरमैन बना दिया था लेकिन कुछ ही समय बाद बंसीलाल ने देवीलाल से इस्तीफा मांग लिया। ऐसे में देवीलाल ने तीसरी बार कांग्रेस को अलविदा कह दिया।

फरवरी 1972 में विधानसभा चुनाव हुए। देवीलाल ने मुख्यमंत्री रहे बंसीलाल के खिलाफ तोशाम से पर्चा भर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस के ही दिग्गज नेता भजनलाल के खिलाफ भी देवीलाल उनके गढ़ आदमपुर से चुनावी मैदान में उतर गए। एक साथ दो-दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर देवीलाल ने उस समय काफी वाहवाही बटोरी थी।

मगर चुनाव में दोनों सीटों से देवीलाल को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। तोशाम सीट पर बंसीलाल से 20 हजार 494 और आदमपुर सीट पर भजनलाल से 10 हजार 961 वोटों से देवीलाल हार गए थे। कुछ दिन बाद राज्यसभा का चुनाव भी देवीलाल हार गए थे। हरद्वारी लाल के सहयोगी रहे गांव छारा निवासी मुकेश उर्फ मटरू बताते हैं कि एक साथ विधानसभा की दो-दो सीटों पर और राज्यसभा के चुनाव में करारी हार मिलने पर देवीलाल निराश हो गए थे और करीब डेढ़ साल तक राजनीतिक हाशिये पर चले गए थे।

इस बात का जिक्र हरद्वारी लाल ने देवीलाल के नाम लिखे खुले पत्र में भी किया था। बाद में देवीलाल चांदराम के साथ चरण सिंह के साथ मिल गए और हरियाणा में उनकी पार्टी के अहम नेताओं में देवीलाल की गिनती होती थी। 1974 में जब रोड़ी सीट खाली हुई तो देवीलाल ने यहां से चरण सिंह की पार्टी से चुनाव लड़ा और इस तरह जीत हासिल कर देवीलाल विधायक बन गए थे।

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