यहां समाज की बदल रही सोच, बेटों से ज्यादा संख्या में शिक्षा ग्रहण कर रही बेटियां

इस शैक्षणिक सत्र में आंकड़े बताते हैं कि हांसी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में लड़कों की संख्या में लड़कियां न सिर्फ ज्यादा शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं बल्कि पिछले 3 वर्षो में उनसे बेहतर परीक्षा परिणाम भी हासिल कर चुकी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Jul 2018 12:04 PM (IST) Updated:Sun, 22 Jul 2018 12:04 PM (IST)
यहां समाज की बदल रही सोच, बेटों से ज्यादा संख्या में शिक्षा ग्रहण कर रही बेटियां
यहां समाज की बदल रही सोच, बेटों से ज्यादा संख्या में शिक्षा ग्रहण कर रही बेटियां

मनप्रीत ¨सह, हांसी : इस शैक्षणिक सत्र में आंकड़े बताते हैं कि हांसी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में लड़कों की संख्या में लड़कियां न सिर्फ ज्यादा शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं बल्कि पिछले 3 वर्षो में उनसे बेहतर परीक्षा परिणाम भी हासिल कर चुकी हैं।

बेहतर समाज स्थापित करने में शिक्षा का अपरिहार्य योगदान है। उपमंडल के सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या में साल-दर-साल कई गुणा इजाफा हो रहा है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र में हांसी उपमंडल के 140 स्कूलों में लड़कों की संख्या 9 हजार 97 है जबकि लड़कियों की संख्या 12 हजार 139 है। हांसी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में लड़कियों को अधिक संख्या में पढ़ने के लिये भेजा जा रहा है। खास बात यह है कि ब्लॉक के अधिकतर स्कूल ग्रामीण आंचल में स्थित है।

पिछले तीन सालों से लगातार स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। सत्र 2016 में जहां सरकारी स्कूलों में लड़कियों की संख्या लड़कों से 12 फीसद अधिक थी। वहीं 2018 में दोनों के बीच यह अंतर 25 फीसद तक पहुंच गया है। शिक्षा विभाग के पिछले तीन सालों के आंकड़ों से स्पष्ट है कि स्कूलों में लड़कियों की संख्या बेतहाशा गति से बढ़ रही है। लड़कियों की बढ़ती संख्या से साफ है कि लड़कियों की शिक्षा के प्रति समाज के लोग जागरूक हो रहे हैं। समाज की बदलती सोच का फायदा लड़कियां भी उठा रही है और कड़ी मेहनत से परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करके अपने आपको साबित कर रही हैं। ब्लॉक के कुल 140 स्कूलों में ग‌र्ल्स स्कूल केवल 15, फिर भी लड़कियां आगे

सरकारी स्कूलों की ब्लॉक में कुल संख्या 140 है जबकि लड़कियों के मात्र 15 स्कूल हैं। इसके बावजूद लड़कियां पढ़ाई के मामले में लड़के से आगे निकल गयी है। 2018 के वर्तमान सत्र में सेकेंडरी सेक्शन में 2 हजार 966 लड़कों की तुलना में 4750 लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही है जो कि ये संख्या 38 फीसद अधिक है और साल 2016 के शैक्षणिक सत्र की अपेक्षा में कई गुणा अधिक हैं।

समाज की सोच बदली, पुरुषवादी सोच की हिलने लगी जड़े

लगातार महिला अधिकारों को लेकर चले रहे आंदोलन का भी ये असर है कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर समाज की मानसिकता में परिवर्तन आ रहा है। अब शहर के ही नहीं अपितु ग्रामीण इलाकों के लोग भी अपनी बेटियों की शिक्षा को लेकर गंभीर हैं। यहां तक कि लड़कियां कम सुविधाओं के बावजूद अपने आपको शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बेहतर साबित कर रही हैं।

तीनों सेक्शनों में लड़कों को पछाड़ रही हैं लड़कियां

खास बास यह है कि तीनों सेक्शनों प्राइमरी, मिडिल व हायर सेकेंडरी में लड़कियों की संख्या लड़कों से कहीं अधिक है। पिछले तीन सालों के दौरान किसी भी सेक्शन में लड़के संख्या के मामले में आगे नहीं निकल पाए। --आंकड़े गवाह हैं हर साल बढ़ रही है संख्या

सत्र लड़कियां लड़के अंतर

2016-17 12097 10738 12 फीसद

2017-18 11852 9778 18 फीसद

2018-19 12139 9097 25 फीसद --लड़का-लड़की में भेद हो रहा है खत्म

समाज की सोच में परिवर्तन आ रहा है और लड़कों व लड़कियों में अब लोग भेदभाव नहीं करते हैं। शिक्षा अधिकारी के रूप में मेरा अनुभव बताता है कि लड़कियां पढ़ाई के मामले में लड़कों से अपेक्षाकृत अधिक गंभीर होती हैं। ब्लॉक में लड़कियां की संख्या में लगातार हो रहा इजाफा अचंभित करने वाला है।

- सुभाष वर्मा, खंड शिक्षा अधिकारी।

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