प्यार की नई परिभाषा बनी कुछ भीगे अल्फाज, मुक्काबाज ने सिखाया जीने का नया अंदाज

जागरण फिल्म फेस्टिवल की इस सिनेमाई महफिल में लोगों ने वे फिल्में भी देखीं जो वे पहले कभी पर्दे नहीं देख पाए थे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Aug 2018 11:55 AM (IST) Updated:Mon, 27 Aug 2018 12:33 PM (IST)
प्यार की नई परिभाषा बनी कुछ भीगे अल्फाज, मुक्काबाज ने सिखाया जीने का नया अंदाज
प्यार की नई परिभाषा बनी कुछ भीगे अल्फाज, मुक्काबाज ने सिखाया जीने का नया अंदाज

जेएनएन, हिसार : तीन दिनों तक सजी सिनेमा की महफिल। फेस्टिवल की पहली फिल्म कुछ भीगे अल्फाज ने प्यार की नई परिभाषा समझाई तो वहीं फेस्टिवल की आखिरी फिल्म ने जीने का नया अंदाज सिखाया। फेस्टिवल में युवाओं से लेकर बुजुर्गाें तक सभी ने अपने-अपने अंदाज में इसका लुत्फ उठाया। जागरण फिल्म फेस्टिवल की इस सिनेमाई महफिल में लोगों ने वे फिल्में भी देखीं जो वे पहले कभी पर्दे नहीं देख पाए थे और करीम मोहम्मद जैसी फिल्मों के माध्यम से सिनेमा की परिभाषा को भी जाना। डाक्यूमेंट्री ने जहां लोगों को बहुत कम समय में बहुत कुछ सिखा दिया तो वहीं माचिस, मुक्काबाज जैसी फिल्मों ने हकीकत से रूबरू करवाया। कभी जयदीप अहलावत तो कभी यशपाल शर्मा ने अपने अनुभवों से दर्शकों की जिज्ञासा को भी शांत किया। कुछ इस तरह से रोमांच, रोमांस, ज्ञान और सीख के साथ दैनिक जागरण के 9वें जागरण फिल्म फेस्टिवल का समापन हुआ। अब यह फिल्म फेस्टिवल मेरठ में होगा और सितंबर के अंत में मुंबई में जाकर जागरण फिल्म फेस्टिवल की यात्रा का समापन होगा। अब हिसार के सिने प्रेमियों को दैनिक जागरण जागरण फिल्म फेस्टिवल के लिए करना होगा एक साल का इंतजार। सिनेमा की यह महफिल अब अगले साल नई उमगों, उत्साह और नई फिल्मों के साथ सजेगी।

खेल की दुनिया में तुम्हारी औकात सिर्फ जीभ जितनी है और..

मुक्काबाज। फिल्म की कहानी बरेली की छोटी गलियों में अपने बड़े भाई के साथ रहने वाले एक युवक की है। जिसका सपना मुक्केबाजी में नाम कमाने का है। गरीब परिवार का लड़का श्रवण मुक्केबाजी की ट्रे¨नग लेने के लिए फेडरेशन में प्रभावशाली और दबंग भगवानदास मिश्रा (जिम्मी शेरगिल) के यहां जाता है। भगवान दास उसे बॉ¨क्सग की ट्रे¨नग देने की बजाए अपने घर के कामकाज में लगा देता है। श्रवण को यह मंजूर नहीं और एक दिन भगवान दास के चेहरे पर मुक्का जड़ देता है। इसी बीच जिम्मी शेरगिल एक गंभीर डायलॉग बोलते हैं कि खेल की दुनिया में तुम्हारी औकात सिर्फ जीभ जितनी है और जीभ चाट नहीं रही हो तो..। इस तरह के डायलॉग के साथ फिल्म में खेलों में राजनीति और राजनीतिक षडयंत्रों की स्पष्टता को रखा गया है। इसी फिल्म के साथ रविवार को दैनिक जागरण के नौवें फिल्म फेस्टिवल का समापन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। जिनमें युवाओं की संख्या अधिक रही। इससे पहले दिन की शुरुआत एनाटॉलीज ड्रिम के साथ हुई। इसके बाद रिबन, कागज की कश्ती, सत्या और मुक्केबाज जैसी फिल्में दिखाई गई।

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