जीवन जीने की कला सिखाती है गीता : बीके उषा

जागरण संवाददाता हिसार प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के हिसार केंद्र की तरफ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Mar 2020 06:40 AM (IST) Updated:Mon, 16 Mar 2020 06:40 AM (IST)
जीवन जीने की कला सिखाती है गीता : बीके उषा
जीवन जीने की कला सिखाती है गीता : बीके उषा

जागरण संवाददाता, हिसार : प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के हिसार केंद्र की तरफ से पीस पैलेस बालसमंद रोड पर अध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें राजयोगिनी ऊषा बहन ने कहा कि आजकल मनुष्य की बुद्धि स्थिर नहीं है। वह फैसला नहीं कर पाता ये कार्य करूं या अन्य कार्य करूं। गीता में भगवान ने बताया है कि बुद्धि को कैसे स्थिर किया जाए। कैसे श्रेष्ठ कर्म करने हैं। अत: गीता जीवन जीने की कला सिखाती है। गीता में बताया गया है कि अपने स्वधर्म के आधार पर किए गए कार्य श्रेष्ठ कर्म बन जाते हैं। गीता में बताया है कि राजयोग द्वारा बुद्धि को स्थिर किया जा सकता है। गीता भौतिकता और अध्यात्मिकता का संतुलन रखना सिखाती है। उन्होंने कहा कि परमार्थ के आधार पर ही मनुष्य व्यवहार कुशल बन सकता है। गीता का ज्ञान आज के मनुष्य के लिए है, जो कर्मक्षेत्र पर कार्य करते हुए संघर्ष कर रहा है। उसके मन में सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का युद्ध चल रहा है। गीता उसे सही मार्गदर्शन करती है। इस दौरान नगर निगम के मेयर गौतम सरदाना, डा. केसी गुलाटी, डा. सावित्री गुलाटी, ओपी हकुंडू, पूर्व कमांडेंट होम गार्डस, डा. दीपक नागपाल, डा. रमेश जिदल, डा. बीबी बांगा, ओपी मनचंदा, राजेंद्र गोयल, सुभाष अग्रवाल, डा. एनके अरोड़ा आदि मौजूद थे।

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