Azadi Amrit Mahotasav: लेखराम शर्मा ने बनाई थी लार्ड इरविन की ट्रेन को उड़ाने में प्रयुक्‍त होने वाली बम की सामग्री

लेखराम ने रोहतक में एक लैबोरेट्री स्थापित की जिसमें विस्फोटक सामग्री तैयार की जाती थी और फिर यह सामग्री दिल्ली की बम फैक्ट्री को भेजी जाती थी। क्रांतिकारियों द्वारा 23 दिसंबर 1929 को वायसराय लार्ड इरविन की ट्रेन को बम से उड़ाने का प्रयास किया गया था।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 15 Aug 2022 11:34 AM (IST) Updated:Mon, 15 Aug 2022 11:34 AM (IST)
Azadi Amrit Mahotasav: लेखराम शर्मा ने बनाई थी लार्ड इरविन की ट्रेन को उड़ाने में प्रयुक्‍त होने वाली बम की सामग्री
डा. शमीम शर्मा ने बताया लेखराम शर्मा की ड्यूटी क्रांतिकारियों को हथियार सौंपने की लगा दी गई थी

जागरण संवाददाता, हिसार। फतेहाबाद के गांव ढिंगसरा में लेखराम का जन्म पंडित कान्हीराम शर्मा के परिवार में 4 अप्रैल 1901 को हुआ था। इन्होंने पढ़ना देर से प्रारंभ किया था। प्रारंभिक शिक्षा चूली बागड़ियां के स्कूल और राजकीय स्कूल सिरसा में हुई। दसवीं कक्षा के लिए सीएवी हाई स्कूल, हिसार में प्रवेश लिया किंतु असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध अनेक सार्वजनिक जलसों में इन्होंने भावोत्तेजक भाषण दिए। इनके ओजस्वी भाषणों में क्रांति का सुर अत्यंत प्रखर था। परिणामस्वरूप 1921 में सिरसा से इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और दो वर्ष तक जेल में बंद रखा गया।

पहले 6 महीने ये हिसार जेल में रहे और 18 महीने की कैद इन्होंने मियांवाली जेल में काटी। जेल से छूटने के बाद लेखराम ने पढ़ाई प्रारंभ की और तिलक स्कूल आफ पालिटिक्स और फिर डीएवी आयुर्वेदिक कॉलेज लाहौर से ‘वैद्य कविराज’ की उपाधि प्राप्त की। इस दौरान ये भगत सिंह, भगवतीचरण, यशपाल और धनवंतरी आदि क्रांतिकारियों के संपर्क में आए और देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाने लगे। सन 1926 में लेखराम ने अपना वैद्य का काम रोहतक में प्रारंभ किया।

सितंबर 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी स्थापित होने पर लेखराम की ड्यूटी क्रांतिकारियों को हथियार सौंपने की लगा दी गई। लेखराम ने रोहतक में एक लैबोरेट्री स्थापित की, जिसमें विस्फोटक सामग्री तैयार की जाती थी और फिर यह सामग्री दिल्ली की बम फैक्ट्री को भेजी जाती थी। क्रांतिकारियों द्वारा 23 दिसंबर 1929 को वायसराय लार्ड इरविन की ट्रेन को बम से उड़ाने का प्रयास किया गया था।

इन बमों में लेखराम शर्मा की ही लैबोरेट्री में बनी विस्फोटक सामग्री प्रयु1त हुई थी। क्रांतिकारियों के लिए धन संचय करने के लिए दिल्ली की गदोदिया स्टोर फर्म से 6 जुलाई 1930 को की गई लूट में वैद्य लेखराम का भी हाथ था। इस लूट में चंद्रशेखर आजाद, विद्याभूषण, भवानी सिंह, विश्वंभर दयाल और धनवंतरी आदि भी शामिल थे।

लेखराम ने रख लिया था अपना नाम अमर सिंह

साहित्‍यकार डा. शमीम शर्मा ने बताया कि 1930 में भेष बदलकर लेखराम रोहतक से अमृतसर चले गए और वहां जाकर अपना नाम अमरसिंह रख लिया लेकिन अक्टूबर 1930 को चंद्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारियों का साथ देने के लिए इन्हें मुंबई बुला लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दोबारा रोहतक आकर अपना कार्य प्रारंभ किया और 1952 में हिसार आ गए। इन पर कई केस थे। देश की आजादी के बाद ये खारिज कर दिए गए। 12 सितंबर 1989 को कालका में इनका निधन हो गया था।

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