असफलता को बनाया हथियार, कमियों को दूर कर हासिल की सफलता

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने वर्ष 2019 का अंतिम परीक्षा परिणाम मंगलवार को जारी किया। महज 24 वर्ष की उम्र में सेक्टर 14 निवासी अपराजित लोहान ने 174वां स्थान हासिल किया है। अपराजित मूलरूप से नारनौंद के रहने वाले अधिवक्ता सुरेश लोहान व मां कमला लोहान के पुत्र हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST)
असफलता को बनाया हथियार, कमियों को दूर कर हासिल की सफलता
असफलता को बनाया हथियार, कमियों को दूर कर हासिल की सफलता

जागरण संवाददाता, हिसार :

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने वर्ष 2019 का अंतिम परीक्षा परिणाम मंगलवार को जारी किया। महज 24 वर्ष की उम्र में सेक्टर 14 निवासी अपराजित लोहान ने 174वां स्थान हासिल किया है। अपराजित मूलरूप से नारनौंद के रहने वाले अधिवक्ता सुरेश लोहान व मां कमला लोहान के पुत्र हैं। वहीं बड़ी बहन डा. अपराजिता अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में नेत्र सर्जन हैं। इनकी शुरुआती पढ़ाई हिसार के सेंट फ्रांसिस स्कूल में हुई। वह अपनी सफलता में बड़ी बहन को रोल मॉडल मानते हैं।

वहीं हिसार मंडल के कमिश्नर, मूल रूप से नारनौल निवासी विनय सिंह व मां राजबाला की बेटी देव्यानी ने 222वां स्थान हासिल किया है। देव्यानी इससे पहले राजस्थान के अलवर जिले में बतौर सीडीपीओ (चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोटेक्शन ऑफिसर) अपनी सेवाएं दे रहीं थी। इनकी शुरुआती पढ़ाई चंडीगढ़ में हुई। इन युवाओं से जुड़ी खास बात यह है कि इन्होंने बिना कोचिग की मदद लिए खुद को यूपीएससी के लिए तैयार किया। साथ ही व्यस्त शेड्यूल होने पर बेहतर मैनेजमेंट प्लान बनाकर सफलता हासिल की। असफलताओं से हार नहीं मानी, बल्कि कमियों को दूर कर आगे बढ़े। अपराजित और देव्यानी की कहानी ऐसे कई युवाओं को प्रेरित करती है जो सिविल सर्विस में चयनित होना आज भी एक बड़ी चुनौती समझते हैं। अपराजित के चयन पर उनके मामा राजपाल नैन और वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने खुशी जताई।

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घर पर ऑनलाइन की पढ़ाई

अपराजित बताते हैं कि बचपन से ही उनके पिता ने सिविल सर्विस के जरिए लोगों की सेवा करने का भाव मन में जागृत कर दिया था। तभी से आइपीएस अधिकारी बनने की ठान ली थी। मुंबई आइआइटी से केमिकल इंजीनियरिग पास होने के बाद 2018 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की तैयारी ऑनलाइन माध्यम से ही की। कोचिग और घर पर पढ़ाई में अंतर समझा तो घर अधिक ठीक लगा। युवाओं के मन में डर रहता है कि बिना कोचिग के कैसे होगा, मगर खुद से परेशानियों को हल करना एक अच्छा रास्ता है। वहीं साक्षात्कार में चयन होने के लिए उन्होंने उन वरिष्ठ अधिकारियों का आभार जताया जिन्होंने उन्हें साक्षात्कार की बारीकियों से अवगत करवाया था।

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महिलाओं व बच्चों की सेवा से जगा लोक सेवा का भाव

हिसार के मंडल आयुक्त विनय सिंह की बेटी देव्यानी बताती हैं कि चंडीगढ़ से 12वीं करने के बाद उन्होंने बिट्स प्लानी इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटल विषय से इंजीनियरिग की। पिता 2003 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। पहले से ही घर में सिविल सर्विस का माहौल देखने को मिलता था। इंजीनियरिग के बाद लगा कि लोगों की सेवा ही सच्चा काम है। ऐसे में सिविल सर्विस में जाने का मन बना लिया। इससे पहले राजस्थान में सीडीपीओ के पद पर रहते हुए महिलाओं व बच्चों के लिए काम किया। इसके साथ-साथ बिना कोचिग के यूपीएससी की तैयारी भी करती रही। कमियों को दूर किया और सफलता हाथ लगी।

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ऐसे करें समय प्रबंधन

अपराजित ने बताया कि वे दिन में महज सात से आठ घंटे ही तैयारी करते थे। तैयारी के लिए ज्यादा पढ़ने की बजाय, जो भी पढ़े, उसी पर पूरा ध्यान रखें। एक ही सवाल और जवाब को आप एक हजार बार पढ़ें, लेकिन एक हजार सवालों के उत्तर एक बार न पढ़ें। क्योंकि इससे फायदा नहीं मिलता, बल्कि दिमाग में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कुशल समय प्रबंधन जरूरी

देव्यानी बताती हैं कि नौकरी के साथ सिविल सर्विस की तैयारी कठिन है। इसके लिए कुशल समय प्रबंधन जरूरी है। उन्होंने सुबह और सायं के समय का उपयोग किया। साथ ही वीकेंड पर विशेष रूप से तैयारी की।

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असफल होने पर क्या करें

देव्यानी बताती हैं कि उन्होंने चौथी बार में इस लक्ष्य को हासिल किया है। पिछली बार वह साक्षात्कार में चूक गई थी। अगर आप शिद्दत से तैयारी करें तो असफलता हाथ लगने पर दुख तो होता है, मगर खुद को टूटने न दें। मैंने हर बार असफल होने पर अपनी कमजोर कड़ियों को मजबूत करने का काम किया। परिजनों ने प्रेरित किया। बार-बार असफल होने का मतलब ये नहीं कि हम काबिल नहीं हैं, बल्कि हमें और काबिल बनने के लिए कई बार अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं।

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