जनहित जागरण: जल संरक्षण- रेनवॉटर हार्वे¨स्टग से हवा का प्रदूषण कर सकते हैं कम

गुरुग्राम में गिरते भूजल को लेकर शोध करने वाले जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग के प्रोफेसर गौहर महमूद कहते हैं कि रेनवाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को बनाने से हवा में प्रदूषण भी कम होगा। वे कहते हैं कि इस समय जब हवा में प्रदूषण की बात हो रही है। जहां भी भूजल संरक्षण होता है, वहां पेड़ पौधों में वृद्धि होती है। गुड़गांव की हवा में 60 फीसद धूल कण हैं, यह हवा की खराब गुणवत्ता की बड़ी वजह है। भूजल संरक्षणा से मिट्टी में नमी आएगी, पेड़-पौधे विकसित होंगे। रेन वाटर हार्वे¨स्टग का काम अगर गुरुग्राम जयपुर हाइवे के साथ-साथ और अन्य जगहों पर मास्टर प्लान बनाकर किया जाए तो इससे पेड़ पौधों में वृद्धि होगी, इससे हवा में धूलकण पर नियंत्रण होगा और हवा की गुणवत्ता बढ़ेगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 06:54 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 07:13 PM (IST)
जनहित जागरण: जल संरक्षण- रेनवॉटर हार्वे¨स्टग से हवा का प्रदूषण कर सकते हैं कम
जनहित जागरण: जल संरक्षण- रेनवॉटर हार्वे¨स्टग से हवा का प्रदूषण कर सकते हैं कम

पूनम, गुरुग्राम

गुरुग्राम में गिरते भूजल को लेकर शोध करने वाले जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग के प्रोफेसर गौहर महमूद कहते हैं कि रेनवॉटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को बनाने से हवा में प्रदूषण कम होगा। वे कहते हैं कि इस समय जब हवा में प्रदूषण की बात हो रही है। जहां भी भूजल संरक्षण होता है, वहां पेड़ पौधों में वृद्धि होती है। गुरुग्राम की हवा में 60 फीसद धूल कण हैं, यह हवा की खराब गुणवत्ता की बड़ी वजह है। भूजल संरक्षण से मिट्टी में नमी आएगी, पेड़-पौधे विकसित होंगे। रेनवॉटर हार्वे¨स्टग का काम अगर गुरुग्राम जयपुर हाइवे के साथ-साथ और अन्य जगहों पर मास्टर प्लान बनाकर किया जाए तो इससे पेड़ पौधों में वृद्धि होगी, इससे हवा में धूलकण पर नियंत्रण होगा और हवा की गुणवत्ता बढ़ेगी। रेनवॉटर हार्वे¨स्टग भूजल बढ़ाने के साथ हवा में प्रदूषण घटाने का भी जरिया हो सकता है, ज्यादा गहराई में जाने से पानी खारा निकलता है। दूसरे रेनवॉटर हार्वे¨स्टग जहां भी भूजल ऊपर आता है, पानी में खारापन नहीं रहता है।

प्रोफेसर गौहर महमूद ने भूजल पर कई शोध किए। उन्होंने जामिया विश्वविद्यालय परिसर में रेनवॉटर हार्वे¨स्टग तकनीक अपना कर भूजल के बढ़ने को लेकर जांच की है। प्रोफेसर महमूद के अनुसार आमतौर पर वर्षा का 70 से 80 फीसद पानी बहकर बर्बाद होता है। शहरीकरण और सड़क बनने के कारण जमीन में पानी जाने की गुंजाइश कम होती जा रही है। गुरुग्राम में पिछले सालों के दौरान भूजल खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। प्रो. महमूद ने रेनवॉटर हार्वे¨स्टग पिट और उससे वर्षा का पानी जाने के बाद भूजल की जांच की व्यवस्था रखी है। प्रो. महमूद ने वर्ष 2010 में गुरुग्राम को लेकर एक रिसर्च किया, इस बात को लेकर कि किस जगह रेनवॉटर हार्वे¨स्टग की कौन सी तकनीक की जरूरत है। उन्होंने नगर निगम को शहर का एक शोध पत्र सौंपा था। उस शोध में शहर में 265 प्वाइंट ऐसे बनाए जाए। नगर निगम ने करीब 85 पिट उनके निर्देश पर बनाए। प्रो. महमूद कहते हैं कि पिछले सालों में शहर का भू जल स्तर बढ़ा है। हमलोग उन जगहों पर जहां पिट लगे थे। अपना शोध कार्य कर रहे हैं। साल में करीब एक से डेढ़ फीट जमीन का पानी ऊपर आ रहा है। अभी रेनवॉटर हार्वे¨स्टग को लेकर काफी काम करने की जरूरत है। केवल पिट बनाने से नहीं होगा पिट ऐसी जगह बनाया जाए जहां ढलान हो। दूसरी और पिट की जांच होनी चाहिए एक बारिश के बाद कितना भूजल स्तर बढ़ा।

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