कृषि कानूनों को समझने और समझाने की है जरूरत

डाडावास गांव के प्रगतिशील किसान बीरसिंह किसानों के लिए बनाए गए कृषि कानूनों के पूरी तरह पक्षधर हैं। उनका कहना है कि केवल इन कानूनों को ठीक से नहीं समझने और नहीं समझाने के कारण असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Dec 2020 06:17 PM (IST) Updated:Wed, 16 Dec 2020 07:02 PM (IST)
कृषि कानूनों को समझने और समझाने की है जरूरत
कृषि कानूनों को समझने और समझाने की है जरूरत

महावीर यादव, बादशाहपुर

डाडावास गांव के प्रगतिशील किसान बीरसिंह किसानों के लिए बनाए गए कृषि कानूनों के पूरी तरह पक्षधर हैं। उनका कहना है कि केवल इन कानूनों को ठीक से नहीं समझने और नहीं समझाने के कारण असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। केंद्र सरकार को किसान विरोधी कहना बिल्कुल गलत है। किसानों के हित में इससे पहले कभी कोई निर्णय नहीं लिए गए। आंदोलन की राह पकड़ने वाले किसानों को इन कृषि कानूनों को केवल समझने की जरूरत है।

किसान बीरसिंह उन्नतिशील किसान क्लब के साथ जुड़े हैं। उन्होंने अपनी फसल की बेहतर कीमत लेने के लिए कृषि उत्पादन समूह (एफपीओ) भी बना रखा है। वे कहते हैं कि किसान क्लब के साथ जुड़ने से उनको अनेक फायदे हो रहे हैं। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। कृषि अधिकारियों के साथ इस क्लब के माध्यम से तालमेल रहता है।

किसान बीरसिंह ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मनोहर लाल के नेतृत्व में जब से सरकार बनी है, तब से ही किसानों की बेहतरी के लिए काम किया जा रहा है। इससे पहले की सरकार केवल किसानों की गेहूं की खरीद करती थी। बाकी अन्य फसलों पर ध्यान नहीं दिया जाता था। गेहूं के अलावा दूसरी फसलें किसानों को औने-पौने दामों में ही बेचनी पड़ती थीं।

भाजपा सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य में काफी बढ़ोतरी की है। गेहूं के साथ सरसों और बाजरे की फसल को खरीदने की तरफ भी ध्यान दिया गया है। जब किसान अपनी फसल सरकारी खरीदने न होने पर आढ़तियों को बेचते थे, तो उस समय पैसा भी समय से नहीं मिल पाता था। अब सरकारी खरीद होने से पैसा सीधा किसान के खाते में आता है।

कृषि कानूनों के बारे में उनकी राय है कि मंडी और फसल की एमएसपी खत्म नहीं होनी चाहिए। केवल एमएसपी के बारे में सरकार को लिखित आश्वासन दे देना चाहिए। कृषि कानूनों में किसानों के हित में क्या-क्या बातें हैं, इस बात का भी जोर शोर से प्रचार प्रसार करने की जरूरत है, ताकि किसान इस को पूरी तरह समझ सकें। इसके अलावा जो किसान आंदोलन कर रहे हैं। उनको भी कानूनों को वापस लेने की बात न करके इन कानूनों में जो खामियां हैं, उनको दूर करने के लिए संशोधन की बात करनी चाहिए। सरकार को किसान अपनी बात समझाएं और सरकार को भी किसानों को इन कानूनों को पूरी तरह समझाने का काम करना चाहिए।

chat bot
आपका साथी