ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के खिलाफ दाखिल अर्जी पर गुरुग्राम कोर्ट में सुनवाई टली

अलीबाबा के संस्थापक जैक मा के खिलाफ पहले से ही गाजियाबाद एवं दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में चार अर्जी लंबित हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 29 Jul 2020 09:45 AM (IST) Updated:Wed, 29 Jul 2020 09:45 AM (IST)
ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के खिलाफ दाखिल अर्जी पर गुरुग्राम कोर्ट में सुनवाई टली
ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के खिलाफ दाखिल अर्जी पर गुरुग्राम कोर्ट में सुनवाई टली

नई दिल्ली/गुरुग्राम [आदित्य राज]। देश-दुनिया की चर्चित ई-कॉमर्स सेक्टर की कंपनियों में शुमार चीनी कंपनी अलीबाबा के अधिकारियों के खिलाफ गुरुग्राम की जिला अदालत में बुधवार को अहम सुनवाई होनी थी, लेकिन टल गई। बताया जा रहा है कि अब बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। बताया जा रहा है कि इस दौरान कंपनी के खिलाफ ऐसे-ऐसे खुलासे होंगे, जिससे दुनिया भी हैरान रह जाएगी। अलीबाबा कंपनी व उसके संस्थापक सहित 10 से अधिकारियों के खिलाफ गुरुग्राम की अदालत में याचिका दायर करने वाले पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह परमार उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते हैं। उन्होंने अलीबाबा कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि संस्थापक जैक मा के खिलाफ पहले से ही गाजियाबाद एवं दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में चार अर्जी लंबित हैं। सभी अर्जी कंपनी के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह परमार ने ही दाखिल की है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल अहलावत का कहना है कि पुष्पेंद्र सिंह परमार ने ईडी से लेकर एनआइए तक को अलीबाबा कंपनी के बारे में शिकायत दे रखी है। गुरुग्राम की अदालत में डाली गई अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी है। जैसे-जैसे सुनवाई आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे काफी जानकारी अपने आप ही सामने आ जाएगी।

अलीबाबा कंपनी के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह परमार का कहना है कि जब वे नौकरी में थे तो उस दाैरान उनके नाम पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपमानजनक ईमेल किसी को भेज दिया था। इस बारे में अर्जी गाजियाबाद की अदालत में मार्च 2018 से लंबित है। इस बारे में दो वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ पांच बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। इसी तरह दो अन्य अर्जी पर सुनवाई भी गाजियाबाद अदालत में लंबित है। दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में आइआरसीटीसी के सिस्टम को हैक करने के बारे में अर्जी दाखिल है।

आरोप है कि कंपनी ने बिना भारत सरकार की अनुमति के ही ऐप बनाकर ट्रेनों की बुकिंग शुरू कर दी थी। इससे देश की सुरक्षा को खतरा था। ऐप के माध्यम से यह पता करना आसान था कि कौन व्यक्ति कहां व किस ट्रेन से आ-जा रहा है।

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