जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह

विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी। पार्टी में रहकर ही दलीय उम्मीदवार को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाले नेता समझ रहे थे कि मामला शांत हो गया है। मगर हार का दंश झेलने वाले उम्मीदवार मनीष यादव चुप नहीं बैठे पहले तो उन्होंने पार्टी के विभीषणों की सूची तैयार की फिर अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत जुटा कर पार्टी हाईकमान के हवाले कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 04:57 PM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 09:37 PM (IST)
जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह
जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह

खाकी का रौब नहीं जनता की सुनो

प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने पुलिस महकमे को सुधारने की मुहिम छेड़ रखी है। रोहतक जिले में वह थाने में जांच के दौरान यहां तक बोल चुके हैं कि थाना प्रभारी निजी थाने चला रहे हैं। गृह मंत्री गुरुग्राम में भी थाने का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। एक बार उनका कार्यक्रम भी बना, लेकिन सूचना लीक होने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया था। पुलिस आयुक्त मोहम्मद अकील को इस बात की चिता है कि गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज ने छापेमारी की और कमी निकली तो जवाबदेही उनकी भी बनेगी। ऐसी नौबत न आए इसके लिए उन्होंने पहले से ही सभी थाना प्रभारियों को चेतावनी दे डाली। कुछ थाना प्रभारी भी इधर से उधर कर संदेश दे दिया कि सब कुछ चाक-चौबंद रखना है। जो वर्दी की अकड़ में रहकर जनता जनार्दन की नहीं सुनेगा, वह उनकी टीम का हिस्सा नहीं रह पाएगा। पहचाने गए विभीषण, हो सकती कार्रवाई

विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी। पार्टी में रहकर ही दलीय उम्मीदवार को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाले नेता समझ रहे थे कि मामला शांत हो गया है। मगर हार का दंश झेलने वाले उम्मीदवार मनीष यादव चुप नहीं बैठे। पहले तो उन्होंने पार्टी के विभीषणों की सूची तैयार की। फिर अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत जुटा कर पार्टी हाईकमान के हवाले कर दिया। पार्टी ने छानबीन की तो कुछ नेताओं पर लगे आरोप मनीष द्वारा जुटाए गए सबू्त से मेल खा रहे हैं। ऐसे में संगठन पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में है। बस मंथन नफा-नुकसान का हो रहा है। दरअसल पार्टी संगठन कार्रवाई कर यह संदेश देना चाहता है कि कार्यकर्ता व नेता के लिए पार्टी से बढ़कर कुछ नहीं हैं। यह भारतीय जनता पार्टी का मूलमंत्र भी है। नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी

भाजपा ने जिले में तीन विधानसभा क्षेत्रों के मंडल अध्यक्ष चुन लिए हैं। जब गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में आने वाले चार मंडल अध्यक्षों के चुनने की बार आई तो चयनकर्ता पीछे हट गए। दरअसल पद चार, मगर चेहरे कई हैं। माला किसे पहनाई जाए इस बात को लेकर मंथन चल रहा है। नेता भी अपनी गोटी फिट कर अपने चहेते को ताज दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अगर किसी नाम पर सहमति भी बनती है तो विरोध करने वाले कई आगे आ जाते हैं। हर किसी के साथ उनके आका का नाम जुड़ा हुआ है। ऐसे में अब ऐसे चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी है, जिसके नाम पर किसी का मुंह नहीं खुले। चारों पदों के लिए किसी ऐसे कार्यकर्ता के नाम पर भी मुहर लग सकती है, जिसका कोई विरोध नहीं हो। क्योंकि पार्टी को नेताओं की खींचतान से नुकसान ही होता आया है।

रेट स्लैब तय करने में आ रहा पसीना

बिजली निगम की स्मार्ट मीटर की योजना विभागीय अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गई है। मोबाइल की तरह रिचार्ज होने वाले मीटर लगाए जा रहे हैं, जिन्हें भुगतान कर रिचार्ज कराया जा सकेगा। उपभोक्ता को जितनी बिजली की जरूरत होगी, उसी के अनुरूप रिचार्ज कर सकेगा। हालांकि रिचार्ज करने के लिए अभी निर्धारित पेमेंट स्लैब विभागीय अधिकारी तय नहीं कर पाए हैं। कई बार माथापच्ची भी कि कितनी यूनिट तक रेट स्लैब बनाएं, पर एक राय नहीं बन पाई। बैठक पर बैठक हो रही है, मगर फैसले पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है। एक स्लैब भी बनाया गया लेकिन इसे लागू किया तो उपभोक्ता को फायदा और बिजली निगम को घाटे का करंट लगेगा। अब तरकीब यह निकाली जा रही कि दोनों को परेशानी नहीं हो। बिजली निगम के चीफ इंजीनियर (दिल्ली डिवीजन) केसी अग्रवाल कहते हैं मामला पेचीदा है, मगर जल्द ही स्लैब रेट तय कर लिए जाएंगे।

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