बिजली बिल घोटाले की जांच शुरू, केस भी दर्ज होगा
बिजली निगम के साउथ सिटी उपमंडल में
महावीर यादव, बादशाहपुर
बिजली निगम के साउथ सिटी उपमंडल में 8.66 लाख रुपये के बिजली बिल घोटाले की जांच शुरू कर दी गई है। घोटाले की जांच के लिए मुख्य प्रबंधक निदेशक (सीएमडी) शत्रुजीत कपूर ने हिसार कार्यालय में तैनात अधीक्षण अभियंता (एमएंडपी) एसके सिंह व गुरुग्राम सर्कल गुरुग्राम सर्कल-1 के अधीक्षण अभियंता मनोज यादव को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। जांच रिपोर्ट के साथ ही इस घोटाले के लिए दोषी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का भी निर्देश दिया गया है। जांच रिपोर्ट 15 दिन में देने को कहा गया है। बता दें कि इसी उपमंडल में एक अन्य घोटाले में बिजली निगम को नुकसान पहुंचाने के दोषी जेई (कनिष्ठ अभियंता) समेत 4 कर्मचारियों को 7 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था।
साउथ सिटी सब-डिवीजन में 4 उपभोक्ताओं के गलत बिल पकड़ में आए। उपभोक्ताओं की कंप्यूटर में गलत रीडिग दिखाकर उनका बिल कम कर दिया गया। जनवरी व फरवरी 2020 में दर्ज रीडिग को कम दर्शाया गया। पुराना बिल रद कर दिया गया। इसके बाद उपभोक्ता का नया बिल बना दिया गया। इसकी वजह से बिजली निगम को 8.66 लाख रुपये का घाटा हो गया।
24 अक्टूबर 2019 को बिल रद करने का उपमंडल स्तर से अधिकार खत्म कर दिया गया था। उसके बाद बिल बनाने वाली कंपनी एचसीएल की बैकएंड टीम बिल रद कर सकती है। वह भी बिजली निगम के संबंधित अधिकारी की सहमति से बिल रद कर सकती है। एचसीएल कंपनी का कार्यालय नोएडा में स्थित है। शत्रुजीत ने जांच अधिकारी नियुक्त कर इस मामले में पूरी गहराई से जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि गलत पोस्टिग करने वाले व बिल रद करने वाले के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया जाए।
बता दें कि एक अन्य मामले में 7 अगस्त को साउथ सिटी उपमंडल में बिजली निगम को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एक जेई समेत 4 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था। एक मामले में दो साल पहले बिजली उपभोक्ता को नया कनेक्शन दे दिया गया। उसका मीटर भी लगा दिया गया। लेकिन मीटर निगम का रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया, जिससे बिजली निगम को 3.58 लाख रुपये का घाटा हो गया। बिजली निगम में इन कर्मचारियों को निलंबित करने के साथ ही इस घाटे की भरपाई इन कर्मचारियों से ही करने के निर्देश दिए थे।