लाइफस्टाइल: फेस्टिव सीजन में बदलने लगा घरों का इंटीरियर
एक दौर था जब घरों के बाहर से ही त्योहारी मौसम खासतौर पर दिवाली पर इसकी चमक दिखाई देने लगती थी। यह चमक आज की तरह कृत्रिम रोशनी से नहीं बल्कि परंपरा के रंगों से बिखरती थी।
प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
एक दौर था जब घरों के बाहर से ही त्योहारी मौसम, खासतौर पर दिवाली पर इसकी चमक दिखाई देने लगती थी। यह चमक आज की तरह कृत्रिम रोशनी से नहीं बल्कि परंपरा के रंगों से बिखरती थी। अब फिर से लोग जड़ों से जुड़ने की चाह में दशकों पुराने उसी सजावट को इंटीरियर में शामिल कर रहे हैं। इंटीरियर डिजाइनर व डेकोरेटर फिर से उसी तरह का अनुभव देने के लिए राजस्थानी व गुजराती खिलौने, पारंपरिक बंदनवार और तोरण से घरों को सजा रहे हैं। कुछ लोगों को यह सजावट यादों के दरीचों में ले जा रही है तो कुछ को अनूठापन दे रही है। हाथी-घोड़ों से सजी बेडशीट: इस समय ऐसी बेडशीटों और सोफा कवर से घर सजाए जा रहे हैं, जिसमें हाथी, घोड़े या फिर डोली कहार के चित्र अंकित होते हैं। इसके अलावा इनके रंग इतने गहरे होते हैं कि इससे ही घर में फेस्टिव और पारंपरिक अनुभव मिलने लगता है। इंटीरियर एक्सपर्ट अमिता कोठारी का कहना है कि दिवाली साजसज्जा की वजह से इन दिनों इस तरह की बेडशीट और अन्य लीनन की मांग बढ़ गई है। इस बार रोशनी बिखेरेंगे लकड़ी के लैंप: इंटीरियर डिजाइनर प्रतिमा के मुताबिक इन दिनों लोग फिर से हैंडमेड वस्तुओं की तरफ रुख कर रहे हैं। राजस्थानी टच के लिए कलात्मक वस्तुओं की मांग बढ़ी है। ऐसे में लोग हाथ से बने मिट्टी के दिए पर की गई कटिग और उसमें लगे रंगीन बल्ब की रोशनी को तरजीह दे रहे हैं इसके अलावा देसी लड़ियां और लकड़ी से बनी कटवर्क की मूर्तियों को घरों के हर हिस्से में रखा जा रहा है। इसके अलावा वहां के तोरण, बंदनवार आदि के साथ-साथ शीशे को खासा महत्व दिया जाता है। दिवाली के पहले लोग इंटीरियर में अपनी संस्कृति की झलक चाहते हैं। ऐसे में राजस्थानी से लेकर गुजराती और मध्यप्रदेश में बनने वाले सजावटी सामानों से घर सजा रहे हैं। इस दौरान लोगों को एक सकारात्मक बदलाव की दरकार महसूस हो रही है, इंटीरियर में इस तरह का बदलाव कलात्मकता से जोड़ रहा है।
- हिना अबरोल, इंटीरियर डिजाइनर घरों में फिर से लोग उसी तरह की सजावट चाहते हैं जो दशकों पहले होती थी, जिसमें सीप और मोतियों की लड़ियों के पर्दे, कपड़ों से बने बंदनवार, सीप से बने तोरण आदि होते थे। लोग अब त्योहारों का पूरा अनुभव लेने के लिए इस तरह के इंटीरियर की तरफ रुख कर रहे हैं।
- अमिता, इंटीरियर सलाहकार