वायु सेना के पूर्व पायलट 100 साल के दलीप सिंह मजीठिया ने पत्नी के साथ लगवाया कोविड-19 टीका

दुनिया में आजतक जितनी भी बीमारियां आई हैं उनका इलाज टीका-दवाओं से ही हुआ हैं। इसलिए कोरोना टीका लगवाने में किसी तरह का डर नहीं होना चाहिए। न ही टीके को लेकर किसी प्रकार का भ्रम मन में पालना चाहिए। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से सुरक्षित रहने के लिए यह टीका लगवाना जरूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 07:06 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 07:06 PM (IST)
वायु सेना के पूर्व पायलट 100 साल के दलीप सिंह मजीठिया ने पत्नी के साथ लगवाया कोविड-19 टीका
वायु सेना के पूर्व पायलट 100 साल के दलीप सिंह मजीठिया ने पत्नी के साथ लगवाया कोविड-19 टीका

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: दुनिया में आजतक जितनी भी बीमारियां आई हैं उनका इलाज टीका-दवाओं से ही हुआ हैं। इसलिए कोरोना टीका लगवाने में किसी तरह का डर नहीं होना चाहिए। न ही टीके को लेकर किसी प्रकार का भ्रम मन में पालना चाहिए। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से सुरक्षित रहने के लिए यह टीका लगवाना जरूरी है। यह बातें भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट 100 साल की उम्र पूरी कर चुके दलीप सिंह मजीठिया ने कहीं। वह बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के सनराइज अस्पताल में कोरोना का पहला टीका लगवाने दिल्ली के महरौली से आए थे। उन्होंने कहा कि वह कोरोना टीका लगवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। अब जब बुजुर्गों को टीका लगाए जाने का क्रम शुरू हुआ तो उन्होंने स्वयं और अपनी 99 वर्षीय पत्नी जॉन मजीठिया के साथ टीका लगवाया है। टीका लगवाने के बाद वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि टीका लगवाने के बाद कई घंटे हो गए हैं लेकिन किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई है। मजीठिया ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए टीका बनाया है। अब भारत से कोरोना वायरस समाप्त करने के लिए सभी को कोरोना टीका लगवाना चाहिए। दुनिया ने चेचक, प्लेग, स्वाइन फ्लू, पोलियो, मलेरिया, डेंगू और अब कोरोना जैसी बीमारी का सामना कर रही है। इनसे जंग दवाओं के माध्यम से ही जीती जा सकती है। किसी भी बीमारी की दवा पर संशय नहीं रखना चाहिए। दलीप सिंह मजीठिया की बेटी किरन सिधू ने बताया कि वह स्वयं उत्तराखंड में रहती हैं और उनके माता-पिता दिल्ली के महरौली में रहते हैं।

मजीठिया ने कहा कि 1940 में जब वह बीस साल के थे तो रायल भारतीय वायु सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने हाकर फाइटर प्लेन को उस समय के बर्मा के ऊपर से उड़ाया था। उसके बाद आस्ट्रेलिया चले गए और वहीं पर उनकी मुलाकात जॉन से हुई थी। जॉन आस्ट्रेलिया में नेवी में थी। बाद में दोनों ने 1947 में उप्र के गोरखपुर में शादी की।

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