काऊ डंग स्टिक एक्सपोर्ट में पहचान बनाएगी साइबर सिटी

आइटी आटोमोबाइल एवं गारमेंट सेक्टर में विश्वस्तरीय पहचान बनाने वाली साइबर सिटी से आने वाले वर्षों में काऊ डंग स्टिक भी एक्सपोर्ट किया जाएगा। यह संभव होगा गुजरात की प्रसिद्ध स्वामीनारायण संस्था के प्रयास से।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 08:31 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 08:31 PM (IST)
काऊ डंग स्टिक एक्सपोर्ट में पहचान बनाएगी साइबर सिटी
काऊ डंग स्टिक एक्सपोर्ट में पहचान बनाएगी साइबर सिटी

आदित्य राज, गुरुग्राम

आइटी, आटोमोबाइल एवं गारमेंट सेक्टर में विश्वस्तरीय पहचान बनाने वाली साइबर सिटी से आने वाले वर्षों में काऊ डंग स्टिक भी एक्सपोर्ट किया जाएगा। यह संभव होगा गुजरात की प्रसिद्ध स्वामीनारायण संस्था के प्रयास से। संस्था ने गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर स्वामीनारायण गुरुकुल एवं गोशाला के लिए लगभग 20 एकड़ जमीन ले ली है। अगले महीने से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। दिसंबर 2023 में गोशाला का निर्माण पूरा करने का जबकि मार्च 2024 में गुरुकुल का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। दोनों का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह भी अभी से ही तय है।

संस्था की ओर से इंटरनेशनल फंड मैनेजमेंट का काम देखने वाले विकास दुरेजा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि पूरी दुनिया में गुरुग्राम की पहचान है। स्वामीनारायण संस्था के मंदिर, गुरुकुल एवं गोशाला अधिकतर शहरों में है। इसी को ध्यान में रखकर गुरुग्राम में भी गुरुकुल एवं गोशाला बनाने का निर्णय कई वर्ष पहले लिया गया था। संस्था की ओर से कहीं भी गुरुकुल एवं गोशाला एक ही परिसर में बनाए जाते हैं लेकिन गुरुग्राम में एक ही जगह आवश्यकतानुसार जमीन उपलब्ध नहीं होने से ग्वालपहाड़ी में गुरुकुल एवं गांव बंधवाड़ी में गोशाला बनाई जाएगी। गुरुकुल में दो हजार बच्चों की क्षमता होगी। गोशाला में गायों के गोबर से लट्ठे (स्टिक), धूप, दीये आदि तैयार किए जाएंगे। खासकर स्टिक तैयार किए जाएंगे क्योंकि इसकी मांग पूरी दुनिया में जहां भी भारतीय रह रहे हैं, वहां बढ़ती जा रही है। अमेरिका में अधिकतर भारतीय अपनों का अंतिम संस्कार काऊ डंग स्टिक से ही करते हैं।

एक हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

विकास दुरेजा ने बताया कि गोशाला में सैकड़ों गीर गाय होंगी। लगभग एक हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रोजगार आसपास के लोगों को दिए जाएंगे। गोबर की कमी न रहे इसके लिए नगर निगम से भी बातचीत की जाएगी। निगम गोशाला में गोबर पहुंचाएगा। संस्था का प्रयास है कि जहां भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो वहीं लोगों को रोजगार भी मिले। गुरुकुल इसलिए खोले जा रहे हैं ताकि बच्चों को भारतीय सभ्यता-संस्कृति के अनुरूप ढाला जा सके। बता दें कि संस्था द्वारा ही दिल्ली में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का निर्माण किया गया है। इसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग पहुंचते हैं।

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