उद्योग जगत के लिए खलनायक बन गया है वायु प्रदूषण
साइबर सिटी के उद्यमियों ने कहा कि वायु प्रदूषण उनके लिए खलनायक बन गया है। दिल्ली-एसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन एनसीआर की ओर से डीजल जनरेटर को चलाने को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी के उद्यमियों ने कहा कि वायु प्रदूषण उनके लिए खलनायक बन गया है। दिल्ली-एसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन, एनसीआर की ओर से डीजल जनरेटर को चलाने को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। वहीं गैर-पीएनजी औद्योगिक इकाइयों के संचालन को लेकर मानक तय कर दिए गए हैं। इसके अनुसार ऐसी औद्योगिक इकाइयां सप्ताह में पांच दिन सिर्फ आठ घंटे तक ही संचालित हो सकती हैं। यदि इसका उल्लंघन किया गया तो उन पर कार्रवाई की जाएंगी। इससे उद्योग जगत की परेशानी काफी बढ़ गई है। बिजली जाते ही काम पूरी तरह से ठप हो जाता है। ऐसे में विदेशी और घरेलू आर्डर को पूरा करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। उद्यमियों का कहना है कि इससे उन्हें रोजाना भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उद्यमियों का कहना है कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति की बात की जाए तो गुरुग्राम में दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। यदि पावर लाइन में किसी प्रकार का फाल्ट आ जाए तो उसे ठीक होने में काफी समय लगता है। अब स्थिति यह हो गई है कि उद्योगों का कामकाज बढ़ा है पर वह उसे पूरा करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। इस प्रकार के प्रतिबंध को लेकर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए। जिले में ऐसी लगभग 700 औद्योगिक इकाइयां हैं जिनमें बायलर का संचालन गैर-पीएनजी ईंधन से होता है। इनका काम अब पूरी तरह से ठप हो गया है। आटोमोबाइल, वस्त्र उद्योग सहित इंजीनियरिग सेक्टर की स्थिति इससे काफी खराब हो रही है। गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जेएन मंगला ने उद्योगों को प्रतिबंध से राहत दिलाने के लिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन, एनसीआर के चेयरमैन को पत्र लिखा है।
जिले में माल्ट कंपनियों को काफी दिक्कत हो रही है। माल्ट तैयार करने की एक सतत प्रक्रिया होती है। इसके अंतर्गत एक बैच में 25 टन जौ का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले जौ को भिगोया जाता है। इसे फूलने में चार दिन का समय लगता है। इसके बाद दो दिन इसकी धुलाई में लगता है। फिर सुखाया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कम से कम सात दिन की होती है। जौ को सुखाने के काम में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है।
वायु प्रदूषण को लेकर उद्योगों पर पाबंदी उचित नहीं है। गुरुग्राम में ऐसी औद्योगिक इकाइयां नहीं हैं जो वायु प्रदूषण का कारण हों। फिलहाल इस समय प्रतिबंधों से औद्योगिक सेहत प्रभावित हो रही है। आर्डर पूरा करना मुश्किल हो गया है। सतत प्रक्रिया वाले उद्योगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एसके आहूजा, महासचिव, गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर उचित कदम उठाने की जरूरत है। सिर्फ उद्योगों पर सख्ती करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है, क्योंकि उद्योग इसके बड़े जिम्मेदार नहीं है। जो भी प्रतिबंध उद्योगों को पर लगाए गए हैं उसे जल्द से जल्द हटाने की जरूरत है। इससे भारी नुकसान हो रहा है।
दीपक मैनी, महासचिव, फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री, हरियाणा