ग्रूमिंग सेशन बन रहा नया ट्रेंड

By Edited By: Publish:Fri, 30 Mar 2012 06:43 PM (IST) Updated:Fri, 30 Mar 2012 06:43 PM (IST)
ग्रूमिंग सेशन बन रहा नया ट्रेंड

प्रियंका दुबे मेहता, गुड़गांव :

उत्तर प्रदेश से आए नितिन यादव दसवीं व बारहवीं में वरीयता सूची में सम्मानजनक स्थानअर्जित कर चुके हैं। ग्रेजुएशन तथा पोस्ट ग्रेजुएशन भी अच्छे संस्थान से की है। अंकों के मामले में किसी भी इंटरव्यू में उनको सबसे अधिक वेटेज मिलता है, लेकिन अंत में उनका चयन नहीं हो पाता था। कई जगह से इंटरव्यू देकर थक चुके नितिन को अंत में एक कंपनी में जगह मिली तो उन्हें सबसे पहले ग्रूम कर उनके व्यक्तित्व विकास पर काम किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें उनका काम सौंपा जाएगा। यह किसी प्रकार की दया भावना से नहीं, बल्कि उस कल्चर का हिस्सा है जो कि आजकल ऑफिसों में अपनाया जा रहा है। शहर के कई कारपोरेट ऑफिस इसी तर्ज पर चलते हुए प्रतिभावान विद्यार्थियों का चयन कर उनके व्यक्तित्व को निखार कर उन्हें तराशने का काम करते हैं व बाद में उन्हें काम पर लगाया जाता है। नितिन जैसे सैकड़ों लोगों को इससे फायदा पहुंच रहा है।

आज के दौर में केवल अकादमिक ज्ञान ही योग्यता का पैमाना नहीं रह गया है। योग्य उसी को माना जा रहा है जो कि पढ़ाई में अच्छा होने के साथ -साथ अच्छे व्यक्तित्व का धनी भी हो। ऐसे में कंपनियों ने अच्छे विद्यार्थियों को मौका देने तथा उन्हें तराशने का बीड़ा उठा लिया है जो कि अपनी योग्यता को प्रजेंटेशन नहीं दे पाते। इन दिनों लगभग सभी बड़ी कंपनियां इस तरह के ग्रूमिंग सेशन करवा रही हैं जिसमें कर्मचारी को बाकायदा व्यक्तित्व विकास के टिप्स दिए जाते हैं। इस काम के लिए कंपनियों ने इंस्ट्रेक्टर भी रखे हुए हैं। एक कंपनी के एचआर विभाग से ताल्लुक रखने वाले मयंक मिश्र का कहना है कि उनकी कंपनी में काम के साथ-साथ लगातार क्लाइंट से मीटिंग तथा उन्हें कनविंस करने का काम भी काम होता है। ऐसे में कर्मचारी में सूझबूझ के साथ अच्छा भाषा ज्ञान तथा अच्छे व्यक्तित्व का होना भी जरूरी होता है। उनके मुताबिक नए आने वाले कर्मचारियों को तो प्रशिक्षण दिया ही जाता है, साथ ही पुराने कर्मचारियों को भी समय-समय पर सेशन दिए जाते हैं। एक कंपनी कर्मचारी कंचन गर्ग का कहना है कि कर्मचारियों में ग्रूमिंग के बाद काफी अंतर देखने को मिलता है। उनके मुताबिक उन्हें भी तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया था और उसके बाद उनमें काफी बदलाव आ गए। उनके मुताबिक ग्रूमिंग अब कारपोरेट सेक्टर का नया कल्चर बन गया है।

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