कानूनी सलाह को दरकिनार कर चल रही वार्डबंदी की प्रक्रिया

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम : नगर निगम चुनाव की वार्डबंदी के लिए अधिसूचना जारी कर आपत्ति दर्ज करन

By Edited By: Publish:Tue, 24 Jan 2017 04:34 PM (IST) Updated:Tue, 24 Jan 2017 04:34 PM (IST)
कानूनी सलाह को दरकिनार कर चल रही वार्डबंदी की प्रक्रिया
कानूनी सलाह को दरकिनार कर चल रही वार्डबंदी की प्रक्रिया

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम : नगर निगम चुनाव की वार्डबंदी के लिए अधिसूचना जारी कर आपत्ति दर्ज करने का काम शुरू कर दिया गया है। लोग आपत्ति भी दर्ज करा रहे हैं। अब सामने यह आ रहा है कि नगर निगम के चुनाव कराने की नींव ही अधिनियम के नियमों उल्लंघन कर रखी गई है। ऐसे में मामला अदालत में पहुंच सकता है और समय से नगर निगम चुनाव कराने की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही है। जो कमी फरीदाबाद में की गई थी वहीं कमियां यहां पर भी की जा चुकी हैं।

नगर निगम अधिनियम 1994 के परिसीमन वार्ड कानून के मुताबिक वार्डबंदी की एडहॉक कमेटी में पांच या पांच सदस्यों से कम होने चाहिए। जबकि सितंबर 2016 में बनाई गई एडहॉक कमेटी में 6 सदस्य लिए गए थे।

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कानून एवं विधायी विभाग हरियाणा की राय को भी किया दरकिनार

25 अप्रैल 2016 को सरकार द्वारा कानून एवं विधायी विभाग से मांगी गई राय में यह सुझाव दिया गया था कि वार्ड परिसीमन के लिए नवीनतम जनगणना को ही आधार बनाना चाहिए। इस आधार पर सरकार ने 2011 में हुई जनगणना को आधार मानते हुए वार्डो की संख्या 35 से घटाकर 32 कर दी लेकिन बाद में दबाव के चलते दिसंबर 2010 में नगर निगम द्वारा कराई गई सर्वे की जनगणना को आधार मानते हुए 32 वार्ड का नोटिफिकेशन रद कर फिर से 35 वार्ड कर दिए गए। जबकि अधिनियम के अनुसार नवीनतम जनगणना पर ही परिसीमन होना चाहिए। कई वार्ड में जनसंख्या घनत्व के आधार पर वोटरों की संख्या में भी अंतर है।

भौगोलिक ²ष्टि से ठीक नहीं

अधिनियम के अनुसार वार्डो की परिसीमन भौगोलिक ²ष्टि से, लोगों की सहूलियत, प्रशासनिक तौर पर, मतदाता संख्या में कोई भिन्नता नहीं इत्यादि तरीकों से ठीक होना चाहिए जबकि इन सभी मुद्दों पर शहर के अलग-अलग वार्डो से डीसी कार्यालय में लगभग 100 से अधिक आपत्ति दर्ज हुई हैं। एक ही कालोनी के रहने वाले लोगों को दो वार्ड में बांटा गया है। उनमें भी कई किलोमीटर की दूरी है।

एडहॉक कमेटी के सदस्यों के चयन में भी सही नहीं हुआ

एडहॉक कमेटी के सदस्यों की संख्या नियमों के खिलाफ तो चयन में भी अनियमतताएं बरती गई। एक्ट में साफ लिखा है कि पांच सदस्य अलग-अलग हित एवं समूह के होने चाहिए बावजूद इसके सभी सदस्य सत्तासीन पार्टी से संबंध रखते हैं। एक भी सदस्य अन्य राजनीति दल व सामाजिक संगठन का नहीं।

फरीदाबाद में मिली थी चुनौती

फरीदाबाद नगर निगम चुनावों में भी लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एडहॉक कमेटी के गठन एवं सदस्यों के चयन पर सवाल खड़े किए थे और लगभग डेढ़ वर्ष के बाद सरकार को उच्च न्यायालय के निर्देश पर फिर से एडहॉक कमेटी के सदस्यों का चयन करना पड़ा था। जिसके बाद ही चुनाव हो पाए थे।

वर्जन-----------

आपत्तियां लेने का काम चल रहा है, उन पर विचार करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जानी है, पूरा काम नियमों के तहत ही होगा।

--हरदीप ¨सह, उपायुक्त गुरुग्राम।

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