गांवों में बनेंगे नौ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव: शहर के लोगों को सीवर जाम, गंदगी और बदबू से जल्द राहत मिलने वाली ह

By Edited By: Publish:Sat, 28 Feb 2015 06:06 PM (IST) Updated:Sat, 28 Feb 2015 06:06 PM (IST)
गांवों में बनेंगे नौ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव: शहर के लोगों को सीवर जाम, गंदगी और बदबू से जल्द राहत मिलने वाली है। नगर निगम ने छोटे-छोटे कुल नौ एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने का फैसला किया है। ये नौ संयंत्र नौ गांवों में लगाए जाएंगे। इनके निर्माण पर करीब बीस करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये प्लांट पूरी तरह आधुनिक तकनीक से लैस होंगे।

निगम के दायरे में कई गांवों के लोग सीवर संबंधी समस्या से लगातार जूझ रहे हैं। मुख्य सीवर लाइन से इन गांवों के सीवर लाइन का संपर्क न होने और मास्टर लाइन जाम होने के चलते गांव में गंदगी पसर रही है। इस समस्या की शिकायतें लगातार निगम को मिल रही थीं। कई दफ लोगों ने सड़क से भी आवाज उठाई है। इसे ध्यान में रखते हुए निगम ने नौ एसटीपी लगाने की योजना बनाई है। इसके तहत इन गांवों और आसपास के क्षेत्रों की सीवर लाइनों को आपस में जोड़ कर वहीं पर छोटे-छोटे एसटीपी बनाए जाएंगे। ऐसा करने से मास्टर सीवर लाइन पर दबाव कम हो जाएगा। लोकल सीवर लाइन भी आसानी से काम कर सकेगी। फिलहाल धनवापुर एसटीपी में क्षमता से अधिक सीवर का पानी पहुंच रहा है, जो वहां शोधित नहीं हो पा रहा है। इसके चलते सीवर ओवरफ्लो की समस्या बनी हुई है।

एसटीपी से कोई दिक्कत नहीं

गांवों में एसटीपी बनाने से वहां के लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी। जिस तरह डीएलएफ में नौ एमएलडी क्षमता का एसटीपी रिहायशी क्षेत्र में बना है, उसी तरह के एसटीपी गांवों में भी बनाए जाएंगे। यह आधुनिक तकनीक से लैस होंगे। इससे न तो बदबू आएगी, न ही गंदगी होगी।

ट्रीट पानी का उपयोग गांव में होगा

सीवर के पानी का एसटीपी में शोधन के बाद गांव में ही कई तरह के कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा। मसलन पार्को की सिंचाई, सर्विस सेंटर तथा निर्माण कार्यो में इस पानी का उपयोग होगा। इसके लिए लोगों को भी जागरूक किया जाएगा ताकि वे दूसरे कार्यो के लिए भूजल की जगह एसटीपी में शोधित पानी का ही इस्तेमाल करें।

''योजना के तहत सर्वे का काम शुरू करा दिया गया है। इसके लिए जो एस्टीमेट बनाया गया है, उसके मुताबिक करीब 20 करोड़ रुपए खर्च होंगे। एसटीपी आधुनिक तकनीक पर आधारित होंगे। शोधित पानी का इस्तेमाल अन्य कामों में किया जाएगा। इससे भू-जल का दुरुपयोग रुकेगा।''

-विकास गुप्ता, निगमायुक्त।

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