एनजीटी ने नप से मांगा काम का ब्योरा, रिपोर्ट भेजी, सांसत में अधिकारी

विनोद कुमार फतेहाबाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) प्रदेश के सभी शहरों को मॉडल ि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Mar 2020 10:21 PM (IST) Updated:Mon, 16 Mar 2020 06:19 AM (IST)
एनजीटी ने नप से मांगा काम का ब्योरा, रिपोर्ट भेजी, सांसत  में अधिकारी
एनजीटी ने नप से मांगा काम का ब्योरा, रिपोर्ट भेजी, सांसत में अधिकारी

विनोद कुमार, फतेहाबाद :

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) प्रदेश के सभी शहरों को मॉडल सिटी बनाना चाहती हैं। इस लिस्ट में फतेहाबाद जिले के शहरों का नाम भी शामिल है। लेकिन यहां की वास्तविकता देखकर लगता नहीं कि कभी हमारा शहर भी मॉडल सिटी बन पाएगा। मॉडल सिटी बनाने में नप के अधिकारियों को अहम रोल है। लेकिन अधिकारी है कि इस ओर कोई कदम तक नहीं उठा रहे है। यही कारण है कि अब एनजीटी खुद इस मामले में आगे आ गई। जिले के अधिकारियों को पत्र लिखकर प्रत्येक नगरपरिषद व नगरपालिका की क्या स्थिति है इसकी रिपोर्ट मांग ली है। पहले तो अधिकारी यह रिपोर्ट देते हुए कतराते हुए रहे लेकिन जब दोबारा रिमांडर आया तो रिपोर्ट भी भेजनी पड़ी। जो रिपोर्ट भेजी है वो सुखदायक नहीं है। ऐसे में अधिकारियों की क्लास भी लग जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

वर्ष 2019 के जून महीने में एनजीटी के अधिकारियों ने फतेहाबाद का दौरा किया था। जिसमें फतेहाबाद को मॉडल सिटी बनाने पर विचार किया। अधिकारियों ने भी हां भर दी थी कि जो काम दिया जाएगा उस पर काम किया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। करीब 10 महीने के बाद अधिकारियों के काम की जो गति होनी चाहिए थी वो हुई नहीं है। अब एनजीटी ने जो काम किया है इसकी रिपोर्ट मांगकर अधिकारियों की सांसे सांसत में डाल दी है। अगर नप ने जो रिपोर्ट भेजी है और उस पर अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए तो कार्रवाई होनी निश्चित है।

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इनका भी मांगा रिकॉर्ड

नप के पास संसाधन

संसाधन संख्या

टाटा एस 13

रिक्शा 40

हाथ रेहड़ी 30

कर्मचारी 170

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ये हे शहर और आबादी

शहर आबादी

फतेहाबाद नगरपरिषद 1 लाख 25 हजार

टोहाना नगरपरिषद 1 लाख

जाखल नगरपालिका 35 हजार

रतिया नगरपालिका। 70 हजार

भूना 30 हजार

--------------------------------------- शहर निकलता है कूड़ा टन में

फतेहाबाद 25

टोहाना 20

रतिया 15

भूना 10

जाखल 10

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इन तीन मुद्?दों पर देना था ध्यान

-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट

-बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट

-प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट

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जरा अब इन कामों की असलियत पर डाले नजर

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट :

कचरा प्रबंधन प्लांट की घोषणा चार साल पहले की गई थी। यह प्लांट 49 करोड़ रुपये में बनने की घोषणा की थी। नगरपरिषद के अधिकारियों ने भूना रोड पर जमीन भी देख ली है। लेकिन अभी तक इसका टेंडर भी नहीं हुआ है। नप अधिकारियों ने प्रयास किया कि टेंडर हो जाए। लेकिन यह मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। ऐसे में स्थानीय अधिकारी इस पर कुछ नहीं कर सकते। लेकिन इस टेंडर के लिए प्रचार-प्रसार अवश्य कर सकते थे जो नहीं हुआ।

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प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट :

नगरपरिषद ने प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अब तक बड़े स्तर पर अभियान नहीं चलाया है। महीने में एक दिन जाते और उसके बाद अपने कार्यालय से बाहर तक नहीं निकलते। अगर इस पर सख्ती करनी है तो एक दो अधिकारियों की ड्यूटी लगानी होगी। हर दिन चालान का भय होगा तभी तो इस पर रोकथाम लगेगी। पिछले दिनों में मुख्य सफाई निरीक्षक ने पदभार भी संभाल लिया है। अब उम्मीद है कि शहर में पालीथिन पूरी तरह बैन हो जाएगा।

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बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट :

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के मामले में हम कोसों दूर है। आज तक नगरपरिषद ने किसी मेडिकल या फिर किसी अस्पताल का चालान तक नहीं किया है। कूड़े के ढेर में मेडिकल वेस्टेज नजर आ जाएगा। नियम तो ये है कि अगर कोई प्राइवेट अस्पताल संचालक द्वारा कूड़े में मेडिकल वेस्टेज डाला जाता है तो उसका चालान किया जाता है। लेकिन नप ने एक भी अस्पताल संचालक को नोटिस तक नहीं दिया है।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की पालना की जा रही है। हमारे पास जो संसाधन है उनके अनुसार ही काम किया जा रहा है। पॉलीथिन का चालान किया जाएगा। वहीं मेडिकल वेस्टेज मिला तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

:::जितेंद्र सिंह,

कार्यक्रम अधिकारी, नगर परिषद, फतेहाबाद।

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