बंद कमरे में अधिकारियों ने निर्धारित कर दिए कलेक्टर रेट, धान व बांगड़ी बेल्ट में रेट समान

सर्वविदित है कि सौत्र बेल्ट में जमीनों की मार्केट वेल्यू फिलहाल 20 लाख रुपये प्रति एकड़ से अधिक है। उसके बाद भी कलेक्टर रेट निर्धारित करते समय अधिकारियों ने उस हिसाब से बढ़ोतरी नहीं की। यहां तक की किसी गांव में नहर गुजरती है तो उस जमीन के रेट भी रेतीली जमीन के बराबर निर्धारित कर दिए। ये सब इसलिए हुआ कि अधिकारियों ने बंद कमरे में बैठकर जमीन के कलेक्टर रेट निर्धारित कर दिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Jan 2021 07:46 AM (IST) Updated:Tue, 05 Jan 2021 07:46 AM (IST)
बंद कमरे में अधिकारियों ने निर्धारित कर दिए कलेक्टर रेट, धान व बांगड़ी बेल्ट में रेट समान
बंद कमरे में अधिकारियों ने निर्धारित कर दिए कलेक्टर रेट, धान व बांगड़ी बेल्ट में रेट समान

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

सर्वविदित है कि सौत्र बेल्ट में जमीनों की मार्केट वेल्यू फिलहाल 20 लाख रुपये प्रति एकड़ से अधिक है। उसके बाद भी कलेक्टर रेट निर्धारित करते समय अधिकारियों ने उस हिसाब से बढ़ोतरी नहीं की। यहां तक की किसी गांव में नहर गुजरती है तो उस जमीन के रेट भी रेतीली जमीन के बराबर निर्धारित कर दिए। ये सब इसलिए हुआ कि अधिकारियों ने बंद कमरे में बैठकर जमीन के कलेक्टर रेट निर्धारित कर दिए। जिला प्रशासन ने एडीसी समर्वतक सिंह की अध्यक्षता में कलेक्टर रेट बढ़ाने के लिए कमेटी का गठन हुआ। कमेटी ने चंद दिनों में कलेक्टर रेट बढ़ा कर उसे पोर्टल पर अपलोड कर दिया। लेकिन अधिकारियों ने सही से मार्केट के अनुरूप कार्य नहीं किया। ऐसे में कलेक्टर रेट भी सही से निर्धारित नहीं हुए। इसका सीधा सा प्रभाव सरकार के राजस्व पर पड़ेगा।

अब अधिकारियों का कहना है कि किसी को बढ़े हुए कलेक्टर रेट से ऐतराज है तो वे इसकी शिकायत ऑनलाइन पोर्टल पर करें। इसके लिए ई-जमाबंदी नाम से पोर्टल बनाया हुआ है। वैसे ऐतराज लोगों को इस बात से हैं कि अधिकारियों से सही से रेट नहीं बढ़ाए। जो नरमा व ग्वार की खेती जिस जमीन में होती है। उस जमीन के कलेक्टर रेट तो 20 से 30 फीसद तक बढ़ा दिए। वहीं धान वाली जमीन जिसकी मार्केट वेल्यू 20 लाख रुपये से अधिक हैं। उसके कलेक्टर रेट महज 10 फीसद तक बढ़ाए है। ऐसे में रेतीली जमीन का कलेक्टर रेट 12 से 15 लाख रुपये हो गया। वहीं इतना ही सौत्र बेल्ट की धान की जमीनों का है।

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नहर व माइनर से जमीन की कीमत पर नहीं पड़ता प्रभाव

गांव के अनपढ़ किसान भी जानते है कि जहां पर भूमिगत पानी बढि़या है। वहां पर फसल अच्छी होती है। फतेहाबाद, भूना व भट्टू ब्लाक में भूमिगत जल नहर के साथ की जमीन में ही ठीक है। ऐसे में इन जमीन की कीमत गांव की अन्य जमीन से भी डेढ़ गुणा अधिक होती है। लेकिन अधिकारी कलेक्टर रेट बढ़ाते समय हमेशा से ही इस बात को नजर अंदाज कर देते है। इससे सरकार के राजस्व में बहुत अधिक नुकसान होता है। गांव बड़ोपल, धारनियां व कुम्हारिया गांव में कलेक्टर रेट 14 लाख रुपये निर्धारित किया है। इन गांवों में नहर के साथ वाली जमीन के भी यही कलेक्टर रेट है। वहीं रेतीली जमीन के भी इतना रेट निर्धारित है। जबकि धान बेल्ट के गांव गिल्लाखेड़ा में तो कलेक्टर रेट 13 लाख 50 हजार रुपये निर्धारित किया है।

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रतिया व भट्टू रतिया की जमीन का कलेक्टर रेट बराबर

भट्टू व रतिया में तहसील के गांवों की जमीन के मार्केट रेट बेशक बहुत ज्यादा अंतर है। लेकिन अधिकारियों की नजर में ऐसा नहीं है। तभी तो उन्होंने भट्टू बेल्ट की रेतीली ग्वार व सरसों वाली जमीन का कलेक्टर रेट धान व गेहूं वाली जमीन का बराबर सा रखा है। जमीन रतिया तहसील के खेती भूमि में नहर के पानी के साथ खेतों में सबमर्सिबल ट्यूबवेल लगे हुए है। उसके बाद भी रतिया तहसील के गांव बबनपुर, मेहमड़ा, भूंदड़वास, हमजापुर, सरदारेवाला, शैखुपूर सौत्र का कलेक्टर रेट 11 से लेकर साढ़े 12 लाख रुपये प्रति एकड़ है। यही रेट भट्टू तहसील के अधिकांश गांवों के है। जबकि भट्टूकलां में जमीन की मार्केट वेल्यू 13 से 15 लाख रुपये है। वहीं रतिया तहसील के इन गांवों में मार्केट वेल्यू 20 लाख से ऊपर है।

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सरकार लेती है कलेक्टर रेट की 3 से 5 फीसद शुल्क

जब कोई व्यक्ति जमीन खरीदता है तो सरकार जमीन की रजिस्ट्री फीस लेती है। यह फीस तहसील में जमीन नाम करवाने के दौरान लगती है। जो ग्रामीण क्षेत्र में महिला खरीदार से 3 फीसद तो पुरूष से पांच फीसद होती हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में ये 5 से 7 फीसद हो जाती है। बढ़े हुए कलेक्टर रेट आगामी वित्त वर्ष 1 अप्रैल से लागू होंगे।

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इसलिए बढ़ाया जाता है कलेक्टर रेट :

कोरोना काल के बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज बिल्कुल कम कर दिया है। वहीं कई बैंकों की स्थिति भी ठीक नहीं है। ऐसे में लोग अपने रुपये का इंवेस्ट प्रॉपर्टी में कर रहे है। इससे मार्केट रेट बहुत बढ़ गए है। उसी को देखते हुए सरकार ने फतेहाबाद के अधिकारियों को मार्केट रेट के अनुरूप कलेक्टर रेट बढ़ाने के निर्देश दिए थे। लेकिन पहले से चली आ रही न तो विसंगतियों को दूर किया न ही सही से कलेक्टर रेट बढ़ाए। इससे सरकार के ज्यादा फायदा नहीं होगा।

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