फिलहाल निजी खरीद सेंटर बनाने की मंजूरी नहीं, भट्टू में स्थापित साइलो में सीधे गेहूं बेच सकते किसान

सोमवार से गेहूं की खरीद विधिवत सभी अनाज मंडियों व खरीद केंद्रों पर हो गई। अब उपायुक्त ने मार्केट कमेटी के अधिकारियों को आदेश दिए है कि वे किसानों को सीधी फसल भट्टू में स्थित साइलो में बेचने के बारे में भी बताए। अभी तक किसान साइलो में फसल लेकर नहीं जा रहे है। अडानी ग्रुप की एक कंपनी के द्वारा साइलो बनाकर एफसीआई यानी भारतीय खाद्य निगम को किराया पर दिया गया है। गोदाम की करीब 4 लाख क्विंटल गेहूं रखने की क्षमता।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 07:03 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 07:03 AM (IST)
फिलहाल निजी खरीद सेंटर बनाने की मंजूरी नहीं, भट्टू में स्थापित साइलो में सीधे गेहूं बेच सकते किसान
फिलहाल निजी खरीद सेंटर बनाने की मंजूरी नहीं, भट्टू में स्थापित साइलो में सीधे गेहूं बेच सकते किसान

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

सोमवार से गेहूं की खरीद विधिवत सभी अनाज मंडियों व खरीद केंद्रों पर हो गई। अब उपायुक्त ने मार्केट कमेटी के अधिकारियों को आदेश दिए है कि वे किसानों को सीधी फसल भट्टू में स्थित साइलो में बेचने के बारे में भी बताए। अभी तक किसान साइलो में फसल लेकर नहीं जा रहे है। अडानी ग्रुप की एक कंपनी के द्वारा साइलो बनाकर एफसीआई यानी भारतीय खाद्य निगम को किराया पर दिया गया है। गोदाम की करीब 4 लाख क्विंटल गेहूं रखने की क्षमता।

प्रदेश के कई जिलों में किसान सीधे साइलो में फसल बेच रहे हैं। इसकी वजह है कि साइलो पर किसान को फसल बेचने पर अतिरिक्त रुपये मिलते हैं।

जब गेहूं की सरकारी खरीद एफसीआई को करनी है, लेकिन मंडी में किसान व खरीद एजेंसी के बीच कड़ी का काम करने पर आढ़तियों को ढाई फीसद दामी देनी पड़ेती है। जो प्रति क्विंटल 50 रुपये है। इसके अलावा गेहूं की सफाई, बोरियों में भराई व उठान से लेकर गोदाम तक गेहूं पहुंचाने पर 50 रुपये फिर से खर्च हो जाते है। इतना ही नहीं गेहूं साफ करने व गेहूं ट्राली से उतारने के नाम पर किसान से भी रुपये जाते है। जबकि साइलो में ऐसा नहीं है। किसान को प्रति क्विंटल अतिरिक्त रुपये मिलते हैं।

------------------------------- क्या है साइलो

'साइलो' अनाज भंडारण करने की एक नवीन और अत्याधुनिक तकनीक है। साइलो स्टोरेज एक स्टील का ढाचा होता है, जिसमें चार बेलनाकार बड़े टैंक होते हैं। हर टैंक की क्षमता 12500 टन होती है। इन टैंकों में बिना बोरी के अनाज को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है। इस अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से अनाज की लोडिंग और अनलोडिंग में भी काफी लाभ होता है और रेलवे साइडिंग के जरिए अनाज की लोडिंग व अनलोडिंग की जाती है, जिससे लोडिंग अनलोडिंग में होने वाले अनाज के नुकसान में काफी कमी आती है। जिले के 100 से अधिक आढ़ती चाहते है निजी खरीद केंद्र :

जिले के 100 से अधिक आढ़ती गेहूं की खरीद अनाज मंडी में न करके वे निजी खरीद केंद्रों पर करना चाहते है। लेकिन अभी तक उन्होंने मंजूरी नहीं दी गई। उसके बाद भी अधिकांश ने अपने निजी खरीद केंद्रों पर किसानों से गेहूं मंगवाकर तोलना शुरू कर दिया। नियमानुसार बिना मंजूरी किसी भी फसल को आढ़ती मंडी के बाहर न तोल सकते और न ही बेच सकते हैं। इससे मार्केट फीस चोरी होती है। लेकिन आढ़ती कोरोना काल का हवाला देकर गत वर्ष की तरह मंजूरी मार्केट कमेटियों से मांग रहे हैं।

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मंडियों में अब तक 6 लाख क्विंटल की गेहूं की हुई खरीद :जिले की मंडियों में गेहूं की 6 लाख क्विंटल की खरीद हो गई। इनमें से सबसे अधिक हेफेड ने करीब 4 लाख क्विंटल की खरीद की है। वहीं हरियाणा वेयर हाउस ने 1 लाख क्विंटल की खरीद की है। इसके अलावा खाद्य आपूर्ति विभाग ने खरीद भी गेहूं की खरीद की। जिले की मंडियों व खरीद केंद्रों पर करीब 12 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हुई हैं जिसमें 6 लाख की खरीद हो चुकी है।

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जो किसान अपनी फसल सीधे भट्टू में स्थित साइलो पर जाकर बेचना चाहते है। मार्केट कमेटी के सचिव किसान को वहां का गेट पास जारी करना होगा। मैंने सभी मार्केट कमेटी को अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों को साइलो का फसल बेचने के लिए विकल्प दे। जो किसान सीधे अपनी गेहूं की फसल बेचना चाहता है। उसके इसकी सुविधा मिलनी चाहिए। सोमवार को जिले के सभी खरीद केंद्रों व अनाज मंडियों में गेहूं की खरीद हो गई है। मैं खरीद कार्य की लगातार निगरानी कर रहा हूं। किसानों को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।

- नरहरि सिंह बांगड़, डीसी।

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