धोखे से जमीन नाम करवाने का आरोप, मामला दर्ज

संवाद सूत्र रतिया गांव तामसपुरा के किसान की हुई संदिग्ध मौत के मामले को लेकर पुलिस ने मृ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Jul 2020 01:19 AM (IST) Updated:Wed, 29 Jul 2020 01:19 AM (IST)
धोखे से जमीन नाम करवाने का आरोप, मामला दर्ज
धोखे से जमीन नाम करवाने का आरोप, मामला दर्ज

- हुसैनाबाद के नवाब मंजूर हसन की बेटी कुमकुम अंतिम तौर पर 10 साल पहले 2010 के फरवरी महीने में पैतृक घर आई थीं

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अरुण साथी, शेखपुरा : हिंदी फिल्मों की चर्चित नायिका बिहार के शेखपुरा जिले की बेटी कुमकुम के मंगलवार को मुंबई में निधन की खबर आने के बाद शेखपुरा में मायूसी छा गई। उनका असली नाम जेबुनिस्सा था। कुमकुम शेखपुरा शहर से सटे हुसैनाबाद गाव की रहने वाली थी।

वह हुसैनाबाद के नवाब मंजूर हसन की बेटी थी। उनकी उम्र 86 साल थी। हुसैनाबाद के नबाब के पौत्र तथा कुमकुम के भतीजे सैयद अशद रजा ने बताया फूफी कुमकुम के निधन का समाचार आते ही समूचे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। कुमकुम अंतिम तौर पर 10 साल पहले 2010 के फरवरी महीने में पैतृक घर हुसैनाबाद आई थीं। तब उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से भी परिवार के सदस्य के रूप में बातचीत की थीं। अपनी फिल्मी कॅरियर की बातें साझा की थीं। बताया था कि कैसे उन्हें फिल्मी दुनिया में संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा था कि मुंबई की व्यस्ततम दिनचर्या और फिल्मी दुनिया में उनकी उपस्थिति के बावजूद वे बिहार में बिताया अपना बचपन नहीं भूल सकतीं।

बचपन से सजने-संवरने की थीं शौकीन - उनके भतीजे अशद रजा ने बताया कि वे शुरू से अदाकारी की शौकीन थी। घर के बुजुर्ग बताते थे कि सज-संवरकर रहना उनका शौक था। गाव-देहात का माहौल और खानपान भी उन्हें लुभाता था। यहा आने पर बिहारी व्यंनजनों की डिमाड करती थीं। बिहार की खाने पीने की मशहूर चीजें वे मुंबई से फोन कर मंगवाती थीं। अशद बताते हैं कि हुसैनाबाद में बचपन बीतने के बाद फूफी मुंबई चली गई तथा वहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद हिंदी सिनेमा से जुड़ गईं। हे गंगा मईया तोहरे चुनरी चढ़ाईबो से फिल्मी कॅरियर शुरू करने वाली कुमकुम ने लगभग सौ फिल्मों में काम किया था।

कोलकाता के इंजीनियर से की थी शादी - सिने जगत से जुड़ने के बाद कुमकुम ने मुंबई में कार्यरत कोलकाता के इंजीनियर से शादी की। अपनी पहली फिल्म है हे गंगा मईया तोहरे चुनरी चढ़ाईबो में कुछ सीन हुसैनाबाद में भी फिल्माया गया था। 2010 में हुसैनाबाद आई कुमकुम ने गाव में खंडहर हो रहे अपने पूर्वज की विरासत को संरक्षित करने की घोषणा की थी। मगर जीते-जी वे यह काम नहीं कर पाई। भतीजे अशद राजा ने बताया फूफी कुमकुम कुछ महीने पहले दुबई गई थी। वहा से लौटने के बाद बीमार हो गई। बीमारी की अवस्था मे ही मंगलवार को मुंबई के बाद्रा में उनका निधन हो गया। संतान के नाम पर कुमकुम की एक पुत्री है।

कुमकुम के पूर्वज मक्का से हिदुस्तान आए थे -मक्का में राजपाट का परित्याग करके समसुद्दीन फैयाज रफ्त हिदुस्तान आए थे। कुमकुम के भतीजे अशद रजा बताते हैं तब हिदुस्तान पर मुगलों का शासन था। मुगल बादशाह शाह आलम ने समसुद्दीन फैयाज को अपने साथ रहने का काफी अनुरोध किया मगर उन्होंने इसे ठुकरा दिया। बाद में समसुद्दीन के पोते बहादुर अली इब्राहिम ने सबसे पहले शेखपुरा के पास आकर हुसैनाबाद को अपना आश्रयस्थल बनाया। बाद में बहादुर अली को कुछ इलाके की जिम्मेवारी देकर नबाबी प्रदान कर दी गई।

झारखंड तक फैली थी रियासत :

हुसैनाबाद नबाब का क्षेत्र समूचे मुंगेर जिले के साथ उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तथा मौजूदा झारखंड के गिरिडीह एवं हजारीबाग तक फैला था। हुसैनाबाद नबाब के दिल में अपने रियासत के लोगों के साथ पशु-पक्षी के प्रति भी इतनी अधिक संवेदना थी कि एक बार सर्दी के मौसम में रात में जब शेखपुरा के पहाड़ों पर सियारों के रोने की आवाज सुनी तो अपने कर्मियों से सियारों के लिए सैकड़ों कंबल बंटवाने को कह दिया। कुमकुम के परिवार में अभी उनके तीन भतीजे हैं।

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