शिक्षक के सीने में सेवक का दिल

By Edited By: Publish:Fri, 05 Sep 2014 01:12 AM (IST) Updated:Fri, 05 Sep 2014 01:12 AM (IST)
शिक्षक के सीने में सेवक का दिल

सुरेश सोलंकी, भटटूकलां : पुण्य कर्म करने के लिए लंगर चलाना व भंडारे लगाना जरूरी नहीं होता। जरुरतमंद की जरुरत पूरी करना सबसे बड़ा धर्म होता है। ये सोच एक सरकारी शिक्षक की है जो डयूटी में नहीं, बल्कि सेवा में भरोसा करता है। नाम है विनोद कुमार। ढाणी महताब की प्राथमिक पाठशाला में डयूटी है। वहां पढ़ने वाले कुछ मजदूर परिवारों के बच्चों को आने जाने में कठिनाई होती थी। उन्होंने उन बच्चों के लिए अपने स्तर पर वैन सेवा शुरू करवा दी। विनोद कुमार वैन का खर्च खुद की जेब से देते हैं। बकायदा खुद वैन चलाते हैं। यह सेवा पिछले दो साल से चल रही है। गाव कुकड़ावाली ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाली ढाणी महताब के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में विनोद कुमार इंचार्ज हैं। इस स्कूल में कुछ बच्चे दूर दराज की ढाणियों व ईट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के आते हैं। दो साल पहले पंद्रह बच्चे दूर दराज से पैदल चलकर पढ़ने आते थे। गर्मी, सर्दी व बारिश के मौसम में बच्चे बहुत परेशान होते थे। विनोद कुमार ने उनकी परेशानियों को देखते हुए अपने स्तर पर वैन सेवा शुरू करवा दी। चूंकि ढाणी में स्कूल होने कारण बच्चे भी कम थे। वैन सेवा शुरू होने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ गई। अब लगभग पचास बच्चे हैं। विनोद कुमार ने बताया कि इस स्कूल में अधिकतर बच्चे ईट भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के हैं। उनकी परेशानी को देखते हुए वैन सेवा शुरू की थी। इस सामाजिक कार्य की प्रेरणा तत्कालीन बीईईओ वेद सिंह दहिया से मिली। स्कूल में बच्चों की संख्या कम होने के चलते स्कूल को चला पाना मुश्किल था।

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गाव चुली बागडि़या का है विनोद

विनोद कुमार ने बताया कि उनका खुद का गाव चुली बागडि़या है, जहां से यह स्कूल 25 किलोमीटर दूर है। गांव ढिंगसरा से कुकड़ांवाली को जाने वाले रास्ते की बीच ढाणी महताब मे बना यह स्कूल खेतों में है। इस रास्ते के बीच तीन ईंट भट्ठे हैं। तीनों भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चे पहले स्कूल ही नहीं जाते थे। अब सभी बच्चे उन्हीं के स्कूल में आते हैं। उनकी वैन जाकर बच्चों को लाती है। फिर छुट्टी के बाद छोड़कर आती है।

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बॉक्स : सरपंच कर रहे सराहना

गाव के सरपंच प्रेमचन्द बताते हैं कि विनोद कुमार का यह कार्य बेहद सहरानीय है। उनकी बदौलत कई बच्चों को पढ़ने का मौका मिला है। उनके इस कार्य से दूसरे शिक्षकों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

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