युग धर्म का ¨चतन करे मनुष्य : मोरारी बापू

फरीदाबाद में पहली बार मोरारी बापू की रामकथा का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने शिरकत की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 May 2018 08:58 PM (IST) Updated:Sat, 26 May 2018 08:58 PM (IST)
युग धर्म का ¨चतन करे मनुष्य : मोरारी बापू
युग धर्म का ¨चतन करे मनुष्य : मोरारी बापू

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू का कहना है कि मौजूदा समय में मानस के लिए युग धर्म का ¨चतन जरूरी है, क्योंकि युग धर्म निजधर्म और परधर्म से भी बड़ा व सार्थक है। सेक्टर-12 के हुडा मैदान में मानव रचना शिक्षण संस्थान के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा के शुभारंभ मौके पर मोरारी बापू ने कहा कि चूंकि यह कथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नजदीक हो रही है, इसलिए मनुष्य को युग धर्म पर ¨चतन-मनन के ज्यादा सार्थक मायने सामने आएंगे। वैसे भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने युग धर्म को जुग धर्म कहा है। जुग का अर्थ है जोड़ी। इसलिए नौ दिवसीय इस कथा में युग धर्म पर ही संवाद किया जाएगा।

युगधर्म में मोरारी बापू ने नौ युगलों के रूप में राजा-प्रजा, पति-पत्नी, भाई-भाई, पिता-पुत्र, अध्यापक-छात्र, जीव-शिव, गुरु-शिष्य, बहन-भाई और श्रोता-वक्ता को शामिल किया। बापू ने कहा कि ये नौ जोड़ी यदि अपना धर्म समझ लें तो विश्व शांतिमय हो जाएगा। गुरु-शिष्य और अध्यापक-छात्र को बापू ने इसलिए अलग कहा कि मौजूदा परिवेश में अध्यापक-छात्र का अलग और सदगुरु व सदशिष्य में अलग संबंध है। दोनों के संबंधों में भिन्नता है। कथा श्रवण के लिए शहर के प्रमुख उद्यमी,राजनेता और समाजसेवी भी मौजूद रहे। व्यक्ति के जीवन में प्रतिदिन आते हैं चारों युग

बापू ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रतिदिन चारों युगों का समावेश होता है। सुबह जब व्यक्ति उठता है तो उसका जीवन सत युग जैसा होता है, मगर जब वह चार घंटे बाद अपनी दिनचर्या शुरू करता है तो त्रेता युग आ जाता है, फिर चार घंटे के बाद द्वापर युग और सायं काल होते-होते कलियुग आ जाता है। यह कलियुग सुबह होने तक लंबा चलता है। मगर सब लोग यदि जुग धर्म की सार्थकता जान लें तो फिर कलियुग की कालअवधि अपने आप कम हो जाएगी। बाबा फरीद को किया याद

मोरारी बापू ने रामकथा की शुरुआत में फरीदाबाद को बसाने वाले बाबा शेख फरीद को याद किया। उन्होंने कहा कि शेख फरीद की इस नगरी में रमजान के माह में रामकथा का आयोजन हो रहा है। इसलिए उन्होंने कथा का विषय एकबार तो मानस युग धर्म की बजाए फरीद युग धर्म करने के बारे में सोचा था, मगर चूंकि उन्हें बाबा फरीद के बारे में विशेष जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने विषय मानस युग धर्म ही रखा। उन्होंने बताया कि बाबा फरीद का हजरत निजामुद्दीन औलिया और अजमेर शरीफ के हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती से भी नाता रहा है। निजामुद्दीन औलिया बाबा फरीद के शिष्य थे और मोइनुद्दीन चिश्ती बाबा फरीद के गुरु थे। सत्य-प्रेम-करुणा को अपनाएं

मोरारी बापू ने रामकथा में आए श्रद्धालुओं से कहा कि जीवन में तीन त्रिकोण आते हैं। पहला त्रिकोण सत्य-प्रेम-करुणा का है, दूसरा ¨नदा-ईष्र्या-द्वेष का है और तीसरा संत-हनुमंत-भागवंत का है। मनुष्य को पहले और तीसरे त्रिकोण को स्वीकार और दूसरे त्रिकोण का त्याग करना चाहिए। महिलाओं के लिए वर्जित नहीं है हनुमान जी की पूजा

मोरारी बापू ने महिलाओं की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि श्रद्धा-प्रेम और निष्ठा के नायक हनुमान जी की पूजा करने के लिए महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। महिलाओं को यह मिथक नहीं मानना चाहिए, मगर कोई विशेष पूजा हो तो इसमें जिद भी नहीं करनी चाहिए।

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