बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के लिए सबक है रिसॉर्ट सोसायटी हादसा

शनिवार को ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-75 की रिसॉर्ट सोसायटी में 15वीं मंजिल से गिरकर चार साल के बालक की मौत हो गई। यह हादसा बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के लिए ¨चतित करने वाला है। इस हादसे से सबक लेते हुए उन्हें बच्चों व अपनी सुरक्षा के इंतजाम करने की जरूरत है। शहर में बहुमंजिला इमारतों में रहने का चलन बढ़ा है। लगभग 200 से अधिक बहुमंजिला इमारतें शहर में हैं। इनमें करीब ढाई लाख लोग रह रहे हैं। गगनचुंबी इमारतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसी इमारतें की समय की जरूरत भी हैं, जरूरी है कि इनमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 07:45 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 07:45 PM (IST)
बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के लिए सबक है रिसॉर्ट सोसायटी हादसा
बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के लिए सबक है रिसॉर्ट सोसायटी हादसा

फोटो-7

- जरूरी है बहुमंजिला इमारतों की रे¨लग में जाल लगाना

- बालकनी की तरफ खुलने वाले दरवाजों में लॉक लगाना जरूरी

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद

शनिवार को ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-75 की रिसॉर्ट सोसायटी में 15वीं मंजिल से गिरकर चार साल के बालक की मौत हो गई। यह हादसा बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के लिए ¨चतित करने वाला है। इस हादसे से सबक लेते हुए उन्हें बच्चों व अपनी सुरक्षा के इंतजाम करने की जरूरत है। शहर में बहुमंजिला इमारतों में रहने का चलन बढ़ा है। लगभग 200 से अधिक बहुमंजिला इमारतें शहर में हैं। इनमें करीब ढाई लाख लोग रह रहे हैं। गगनचुंबी इमारतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसी इमारतें की समय की जरूरत भी हैं, जरूरी है कि इनमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। जरूरी है रे¨लग पर जाल लगाना

आर्किटेक्ट शाश्वत सारस्वत का मानना है कि दो से अधिक मंजिल वाले मकानों में बालकनी की रे¨लग में जाल लगाया जाना चाहिए। छोटे बच्चों के लिए किसी भी डिजाइन की रे¨लग लगा लो, मगर उनके गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा। क्योंकि बच्चे कुर्सी या किसी अन्य वस्तु पर चढ़कर भी रे¨लग से नीचे झांक सकते हैं। शाश्वत का मानना है कि अगर रे¨लग पर जाल नहीं लगा है तो बालकनी में खुलने वाले दरवाजे पर ऐसा गेट लगाया जाए, जिसे बच्चे आसानी से ना खोल पाएं। बालकनी में कुर्सी, एसी का आउटर या कोई अन्य सामान भूलकर भी ना रखें। रे¨लग की ऊंचाई कम से कम चार फुट हो और यह ऊपर से अंदर की तरफ मुड़ी हो। इस तरह के डिजाइन में बच्चों के गिरने का खतरा कम होता है। रे¨लग में पत्तियों के बीच छह इंच से अधिक जगह नहीं होनी चाहिए। अगर बच्चों को अकेला छोड़ना पड़े

बहुमंजिला इमारतों में ऐसे परिवारों की संख्या भी काफी अधिक है, जिनमें पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं। मजबूरी में उन्हें दिन में बच्चों को घर में अकेले छोड़कर जाना पड़ता है। एसीपी क्राइम यशपाल खटाना का मानना है कि ऐसे मां-बाप को आया की व्यवस्था करनी चाहिए, जो पीछे से बच्चों की देखभल कर सके। इसके अलावा ऐसे परिवारों को फ्लैट में सीसीटीवी कैमरे लगवाकर लाइव फुटेज अपने मोबाइल पर देखने की सुविधा करें। हर थोड़ी देर में बच्चों को देखते रहें। किसी पड़ोसी या सोसायटी की सुरक्षा व्यवस्था से संपर्क में रहें, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत घर में भेज सकें। बालकनी की तरफ खुलने वाले मजबूत दरवाजे खिड़कियां लगवाएं। बाहर निकलते समय उन्हें अच्छे से लॉक करें, ताकि बच्चे उस तरफ ना जाएं। बच्चों को भी मोबाइल का प्रयोग सिखाएं, ताकि वे संपर्क में रह सकें। इसके अलावा सोसायटी के सभी निवासी मिलकर बच्चों की देखभाल के लिए कोई अन्य व्यवस्था भी कर सकते हैं। आखिर कहां हुई चूक :

हर मां-बाप बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरह से कोई कमी नहीं छोड़ता, मगर होनी को कौन टाल सकता है। इस हादसे में बच्चा बालकनी की रे¨लग से गिरा। रे¨लग की ऊंचाई करीब तीन फुट है। रे¨लग अंदर की तरफ मुड़ी हुई है। इस डिजाइन की रे¨लग से छोटे बच्चों का गिरना मुश्किल है। रे¨लग में लोहे की पत्तियों के बीच भी इतना स्थान नहीं कि बच्चा बाहर निकल जाए। अंदाजा है कि बच्चा बालकनी में रखी किसी वस्तु के ऊपर चढ़कर नीचे गिरा, हालांकि परिवार ने इस संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इंकार किया है। सोसायटी के निवासी रवि ने यहां बालकनी में खुलने वाले सभी स्लाइ¨डग डोर लगे हुए हैं। बच्चे इन्हें आसानी से खोल सकते हैं। इस हादसे के बाद लोगों ने अपने दरवाजों में स्लाइ¨डग लॉक लगवाने शुरू कर दिए हैं, ताकि बच्चे उन्हें खोलकर बालकनी तक ना पहुंचे।

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