जायद की फसल को टिड्डी से खतरा, किसान चितित

जायद की फसल को कुछ दिन बाद किसान घर ले जाने वाले थे। अब टिड्डी दलों के राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों में आने की खबर सुनकर किसान खासे चितित हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने भी किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 06:46 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:09 AM (IST)
जायद की फसल को टिड्डी 
से खतरा, किसान चितित
जायद की फसल को टिड्डी से खतरा, किसान चितित

सुभाष डागर, बल्लभगढ़ : जायद की फसल लगभग तैयार है और कुछ दिन बाद किसान घर ले जाएंगे, पर उन्हें अब टिड्डी दल के हमले की चिता सता रही है। टिड्डी दल के राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों में आने की सूचना पाकर किसान खासे चितित हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने भी किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है।

पाकिस्तान की ओर से आए टिड्डी दलों को लेकर राज्य सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है, हालांकि अपने जिले में कभी भी टिड्डी दल के हमले का कोई इतिहास नहीं रहा है। टिड्डी छोटे एंटिना वाली और प्रवासी आदत की होती है, अकेले-अकेले या झुंड में रहती हैं और बहुभक्षी होती हैं। एक एकड़ में 10 हजार टिड्डी या फिर 5-6 प्रति झाड़ी होती हैं। ये फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देती हैं। ज्यादा टिड्डी होने के कारण कीटनाशक दवा छिड़कने की जरूरत है। जायद की फसल

जायद की फसल, जो गेहूं कटने के बाद मार्च-अप्रैल में बोई जाती है और जून तक पक कर घर या मंडियों में पहुंच जाती है जैसे समरमू्ग, सूरजमुखी, साठया (दो महीने में पकने वाला) धान शामिल हैं। ये फसल रबी के बाद और खरीफ से पहले पक जाती है। फसलों को बचाने के लिए करें छिड़काव

दवा का नाम-मात्रा प्रति हेक्टेयर

-क्लोरपायरिफास 20 फीसद ई.सी-1.2 लीटर पानी

-क्लोपायरिफास-50 फीसद ई.सी-480 मिली लीटर

-मैलाथियान 50 फीसदर ई.सी-1.85 लीटर

-डैल्टामैथरिन 2.8 फीसद ई.सी-450 मिली लीटर

-फिपरोनिल 5 फीसद एस.सी-125 मिलीलीटर

-फिपरोनिल 2.8 फीसद ई.सी.-225 मिलीलीटर

-लैम्डा-साइहैलोथ्रीन 5 फीसद ई.सी. 400 मिली लीटर

-लैम्डा-साइहैलोथ्रीन 10फीसद डब्ल्यूपी-200 ग्राम कृषि विभाग की ओर से सुझाव

कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सुझाव भी दिए हैं। विभाग के अनुसार टिड्डियों को लेकर सचेत रहकर आपसी सहयोग करें। टिड्डियों के झुंड में दिखाई देने पर ढोल या ड्रम बजाकर इन्हें फसलों पर बैठने से रोकें। टिड्डियों की फसल में उपस्थिति या आसपास के इलाकों में प्रवेश की जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी व कीट विज्ञान विभाग कृषि विश्वविद्यालय हिसार को दें। रेतीले टिब्बों व इलाकों में अगर टिड्डियों के झुंड (पीले रंग की टिड्डियां) जमीन पर बैठी दिखाई दें, तो उस स्थान को चिन्हित कर तुरंत सूचित करें। टिड्डियां अगर झुंड में न होकर अलग-अलग हैं तथा इनकी संख्या कम है, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। फसल पर अनावश्यक कीटनाशकों का प्रयोग फसलों पर न करें। सोशल मीडिया पर टिड्डी दल के बारे में अनावश्यक सूचना न फैलाएं और किसान भ्रमित न हों। जेठाती मूंग पकाव पर है। हरा चारा, कपास आदि की फसल अब लगाई हुई हैं। यदि टिड्डी दल आ गया, तो किसानों को मोटा नुकसान होगा। कोरोना के चलते पहले ही सब्जी सस्ती बिक रही हैं।

-विपिन महेश्वरी उर्फ मोनू, प्रगतिशील किसान चांदपुर टिड्डी दल से फसल को बचाने के लिए जो कीटनाशक दवा के छिड़काव करने के सुझाव दिए हैं, किसान उसी मात्रा के अनुसार छिड़काव करें। कृषि विभाग के वैज्ञानिक पूरी तरह से किसानों के साथ इस पर ध्यान रखे हुए हैं।

-डॉ.अनिल कुमार, उपनिदेशक जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फरीदाबाद अपने जिले में टिड्डी दल के आने की पूर्व में कोई भी हिस्ट्री नहीं है। इसके अलावा खेतों से फसल भी कट चुकी है, थोड़ी बहुत मूंग, सब्जी की फसल जरूर है। प्रशासन इस बारे में अलर्ट मोड पर है और जो भी उचित प्रबंध हैं, वो किए जा रहे हैं।

-यशपाल यादव, जिला उपायुक्त

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