आओ फिर बिखेरें रजनीगंधा की मीठी सुगंध

लॉकडाउन के चलते सबसे ज्यादा फतेहपुर बिल्लौच के फूल उत्पादक किसानों की जीवन शैली पर आर्थिक रूप से काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। इन किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा पर ताजा नुकसान भूल प्रगतिशील किसानों यशमोहन सैनी व आनंद कुमार ने फिर 400 एकड़ फूलों की जुताई कर दी है। करीब 250 एकड़ में दोबारा से फूलों की खेती करने के लिए बल्ब लगाए जा चुके हैं। किसान सुबह छह बजे ही खेतों पर चले जाते हैं। दिन में खेतों पर काम करने के बाद शाम को घर पहुंचते हैं। रात को घर पर सो जाना। इस तरह खेती करने से शारीरिक दूरी भी बनी हुई है और कोरोना से भी बचे हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 06:39 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:39 PM (IST)
आओ फिर बिखेरें रजनीगंधा की मीठी सुगंध
आओ फिर बिखेरें रजनीगंधा की मीठी सुगंध

सुभाष डागर, बल्लभगढ़

इंसान वही है, जो बीते बुरे पलों को भुला दे। ऐसा प्रयास करे कि फिर उसे अच्छे दिन दिखें। अब कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन को ही ले लीजिए। इसमें सर्वाधिक नुकसान फतेहपुर बिल्लौच के फूल उत्पादक किसानों को हुआ है। इनकी जीवनशैली के साथ ही आर्थिक स्तर पर भी काफी विपरीत असर पड़ा है। लाखों रुपये का नुकसान हुआ, पर प्रगतिशील किसानों यशमोहन सैनी व आनंद कुमार ने हार नहीं मानी। इसे चुनौती के तौर पर लिया। इस क्षति को भूलकर उन्होंने 400 एकड़ फूलों की जुताई कर दी है। करीब 250 एकड़ में दोबारा फूलों की खेती के लिए बल्ब लगा चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे एक बार फिर रजनीगंधा की मीठी सुगंध फिर से बिखेर सकेंगे। वे सुबह छह बजे ही खेतों पर चले जाते हैं। दिन में खेतों पर काम कर शाम को घर लौटते हैं। रात को घर पर सोना। इससे खेती में शारीरिक दूरी भी बनी रहती है और कोरोना से भी बचे हैं। फतेहपुर बिल्लौच में खासतौर से होती है खेती

फतेहपुर बिल्लौच में खासकर रजनीगंधा और ग्लेडियोलस की खेती होती है। करीब 800 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती के बाद किसान तैयार फसल दिल्ली के गाजीपुर मंडी में ले जाकर बेचते हैं। लॉकडाउन से अबकी किसानों को मोटा नुकसान हुआ। जब फूल पूरी तरह से खिलने शुरू हुए और शादी-विवाह समारोह में सजावट व गुलदस्तों के काम आने वाले थे, तभी लॉकडाउन हो गया। इससे किसानों की फसल दिल्ली के गाजीपुर मंडी में नहीं पहुंच पाई। फसल खेत में खड़ी खराब हो गई। रजनीगंधा का एक फूल 12 से 15 रुपये, तो ग्लेडियोलस का फूल 20 से 25 रुपये तक में मंडी में बिकता है। एक एकड़ में करीब 80 हजार बल्ब लगते हैं। फिलहाल इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। इतना नुकसान के बाद भी हार न मानते हुए खुद में नया उत्साह समेटे इन किसानों ने दोबारा से तैयारी शुरू कर दी है। लॉकडाउन से न तो वाहनों को आवागमन की अनुमति थी, न ही लोग घरों से बाहर निकलकर मंडी में फूल खरीदने आ सकते थे। इससे फूलों की फसल खराब हो गई।

-आनंद कुमार, किसान लॉकडाउन से हमारी लाखों रुपये की खड़ी फसल खराब हो गई। अगर उस नुकसान को लेकर सोचते रहेंगे, तो आगे काम नहीं कर पाएंगे। हमने नुकसान भुला दिया है। अब फिर अगली फसल के लिए जुटे हैं।

-यशमोहन सैनी, किसान

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