इस्लाम का पैगाम है मुहब्बत

रमजान ऐसा महीना है जिसमें अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है। वैसे पल-पल हम सबको परवरदिगार का शुक्र

By Edited By: Publish:Fri, 01 Jul 2016 06:52 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2016 06:52 PM (IST)
इस्लाम का पैगाम है मुहब्बत

रमजान ऐसा महीना है जिसमें अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है। वैसे पल-पल हम सबको परवरदिगार का शुक्रगुजार होना चाहिए। रमजान का महीना बड़ा ही रहमतों और बरकतों वाला महीना भी है।

अल्लाह ने हमें पैदा किया, इतनी नेमतें बख्शीं, जिसे हम लफ्जों में बयान भी नहीं कर सकते। इस महीने में हम रोजा रखते हैं तो गरीबों और यतीमों की मदद का भी हुक्म है। इस तरह रमजान इंसानियत की बात करता है। रोजे के दौरान खाने-पीने का परहेज तो है ही, इस बात की भी अहमियत है कि हम अपनी इच्छाओं पर काबू रखें। भाईचारे का संदेश दें, एक-दूसरे से मुहब्बत करें। रोजा रखने से सवाब मिलता है। रोजेदार को इफ्तारी कराना भी नेकी का काम है। रमजान में जकात बांटने का हुक्म है। बाहैसियत लोग इस महीने में गरीबों में नकदी और उपहार दान करते हैं। अल्लाह और रसूल का फरमान है कि हमें शरीयत पर चलना चाहिए। हम अपने दीन को कायम रहें। अपने मुल्क की तरक्की के लिए शांति बनाए रखें। अब ईद आने वाली है। ईद पर जरूरतमंद लोगों के काम आएं। हर घर में ईद हो, हमें इसका ख्याल रखना चाहिए। अल्लाह अपने उन बंदों से राजी रहता है, जो दीन की रोशनी में ¨जदगी संवारते हैं।

-आफताब अहमद, पूर्व मंत्री, निवासी सेक्टर-21, फरीदाबाद।

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