ताराचंद महाराज पूर्ण संत, परमात्मा का साक्षात रूप थे : संत कंवर महाराज
जागरण संवाददाता भिवानी धन्य है ये भूमि जिस पर कुल मालिक ने ताराचंद महाराज के रूप में नर
जागरण संवाददाता, भिवानी: धन्य है ये भूमि जिस पर कुल मालिक ने ताराचंद महाराज के रूप में नर देह धारी। ताराचंद महाराज पूर्ण संत, पूर्ण धनी, परमात्मा का साक्षात रूप थे। जीवन की मर्यादाओं और आदर्शो को जानना चाहते हो तो उनके जीवन को जान लो। यह समर्पण उद्गार परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने अपने गुरु संत ताराचंद महाराज के 96वें अवतरण दिवस पर प्रकट किए। कंवर साहेब ने कहा कि ताराचंद महाराज की रहनी और करनी का यदि एक पल भी हम अपने जीवन में अपना ले तो हमारा कल्याण निश्चित है। उन्होंने कहा कि जबसे इंसान पैदा होता है तभी से वो सांसारिक बंधनों में बंधता जाता है। महाराज ने कहा कि संत किसी चीज को जाहिर भी नहीं करते और इंसान को चेतावनी भी दे देते हैं।
तगुरु को स्मरण करते हुए हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि आज जो बोल रहा हूं वह मेरी नहीं उन्हीं की वाणी है उन्ही का ज्ञान है। हम देखते हैं कि उन्होंने उस वक्त जो बोला था वो आज पूरा हो रहा है। हम संतों की शरण में सिर्फ अपनी सांसारिक चाह में आते हैं। कोई भक्ति के लिए नहीं आता। मैंने भी यही किया था। गुरु का धयेय इंसान की बुराइयों की तरफ देखना नहीं बल्कि उन्हें दूर करना है।
गुरु महाराज ने कहा कि वे सदैव यही हेला देते थे कि जिन रिश्तों में इंसान रहता है वो सब मतलब की यारी है। सच्चा मीत अगर कोई है तो सतगुरु। नाता एक निस्वार्थ का है और वो है परमात्मा का सतगुरु का।
गुरु महाराज ने कहा कि एक जगह पर एक ही रह सकता है या तो काल को घर में बैठा लो या दयाल को। महापुरुषों के जन्मदिवस, अवतरण दिवस तभी काम आएंगे जब उनकी बातों को जीवन में ढालोगे। इसलिए इंसान को अपना संग सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। संकल्प धारो कि हम सतगुरु के बताए रास्ते पर चल कर उन्ही के दिखाए मार्ग को और पुख्ता करेंगे। उन्होंने कहा कि इत्र बेचने वाले को इसे लगाने की आवश्यकता नहीं होती।आज हम गीत तो ताराचंद महाराज के गाते हैं, लेकिन उनके दिखाए मार्ग पर नहीं चलते तो क्या फायदा।