जहरगिरी आश्रम में बाबा शंकर गिरी की मूर्ति की हुई प्राण प्रतिष्ठा

सिद्ध पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में रविवार को 12 ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के बाद बाबा शंकर गिरी की मूर्ति स्थापित की। इससे पूर्व बाबा शंकर गिरी की मूर्ति का सभी धामों से लाए गए जल से जलाभिषेक किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 05:58 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:10 AM (IST)
जहरगिरी आश्रम में बाबा शंकर गिरी की मूर्ति की हुई प्राण प्रतिष्ठा
जहरगिरी आश्रम में बाबा शंकर गिरी की मूर्ति की हुई प्राण प्रतिष्ठा

जागरण संवाददाता, भिवानी : हालुवास गेट स्थित सिद्ध पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में रविवार को 12 ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के बाद बाबा शंकर गिरी की मूर्ति स्थापित की। इससे पूर्व बाबा शंकर गिरी की मूर्ति का सभी धामों से लाए गए जल से जलाभिषेक किया। आश्रम में महंत अशोक गिरी की अगुवाई में हवन का भी आयोजन हुआ। वहां पर पहुंचे लोगों को प्रसाद वितरित किया।

पीठाधीश्वर महंत अशोक गिरी ने बताया कि आश्रम के सेवक राकेश शर्मा व चेष्टागिरी ने मोटरसाइकिल पर 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा की। सभी धामों से जल लाया गया व आश्रम से लेकर गया हुआ जल बारह ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाया गया। सभी धामों से लाए गए जल से बाबा शंकर गिरी की मूर्ति का जलाभिषेक करने के बाद मूर्ति स्थापित की गई। उन्होंने बताया कि 23 दिन में 10 हजार किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचे सेवकों के द्वारा जल लाया गया है।

उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर्व भारत की संस्कृति ओर परम्परा का अहम त्यौहार है जिसमें गुरु, शिष्य एवं परम्परा एक पहलू है। महंत ने बताया कि आषाढ़ पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। जीवन में कोई भी व्यक्ति किसी भी मुकाम तक पहुंचता है तो इसमें गुरु के योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। गुरु की ओर से दिया गया ज्ञान ही लोगों के लिए सफलताओं की सीढ़ी बनाता है। मुख्य द्वार पर लगी सैनिटाइज मशीन

मूर्ति स्थापना पर आयोजित कार्यक्रम में शारीरिक दूरी की पालना का ख्याल रखा गया। शहर के गिने-चुने लोगों को बुलाया गया। जो व्यक्ति मंदिर में पहुंचा, उसको पहले सैनिटाइज किया गया। आश्रम के मुख्य द्वार पर सैनिटाइज करने की मशीन लगाई हुई थी जिसमें से वहां पर पहुंचने वाले हर व्यक्ति को निकाला गया। पारद शिवलिग के दर्शनों से ही हो जाती है मनोकामना पूरी

महंत अशोक गिरी ने बताया कि प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि पारद शिवलिग शुद्ध धातु का माना जाता है। शिवपुराण में पारद शिवलिग सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का कारण माना गया है जिसके कारण ही दुनिया का विस्तार हो रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बताया गया है कि पारद शिवलिग इतना लाभकारी है जिसके केवल दर्शन मात्र से ही मनुष्य की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

उन्होंने कहा कि पारद शिवलिग की पूजा करने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन-यश, समृद्धि मिलती है और उसके जन्मों जन्म के कष्ट समाप्त होते हैं। पारद शिवलिग को साक्षात भगवान शंकर का ही रूप माना गया है इसे घर में स्थापित करने से एवं नियमित पूजा करने से हर प्रकार के तंत्र-मंत्र के प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है। इस मौके पर मोहन भारती, शिवानंद सरस्वती, पूर्व चेयरमैन मामन चंद, ओमकार भारती, कर्ण गिरी,भगवान गिरी, प्रेम गिरी, सांध्य गिरी, महामंडेलेश्वर संगम गिरी, कैलाश गिरी, सिद्ध गिरी, लौटा गिरी, करण पूरी, मुकेश गौड़, प्रताप पूर्व सरपंच, सुरेश सैनी, सुभाष तंवर, गोपाल बुधिया, बंसत शास्त्री, राजेश पूरी, संजय शर्मा,सुनील बोंदिया आदि मौजूद थे।

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