धीर सिंह ने एक साल में 830 पौधे लगाकर किया पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण के लिए कई लोग भी पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से कार्य करते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही काम करने में जुटे हैं ढिगावा मंडी के धीर सिंह नेहरा।
संवाद सूत्र, ढिगावा मंडी : पर्यावरण संरक्षण के लिए कई लोग भी पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से कार्य करते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही काम करने में जुटे हैं ढिगावा मंडी के धीर सिंह नेहरा। इन्होंने अनूठी तकनीक अपना कर एक चौथाई पानी के प्रयोग से ही पौधों को सींचा। उन्होंने ना केवल पौधरोपण ही किया बल्कि इन पौधों को परिवार के सदस्य की तरह मानते हुए इनकी देखभाल भी की। कोरोना महामारी के एक साल के दौरान धीर सिंह नेहरा की अथक मेहनत का नतीजा आज हरे-भरे पेड़ पौधों के रूप में उनके सामने आ चुका है। धीर सिंह नेहरा ने पौधरोपण की शुरुआत गुगा मंदिर से 5 साल पहले जब उन्होंने वहां पहला पौधा रोपा, उसके बाद 2020 में क्षेत्र में लॉकडाउन लगने के बाद निर्माणाधीन कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में 650, गांव के मंदिरों में 80, पावर हाउस प्रांगण में 100 पौधे लगाकर अनूठी तकनीक अपना कर चौथाई पानी के प्रयोग से ही पौधों को सींचा।
उन्होंने एक सप्ताह में दो बार पौधों में पानी डाला, उसके लिए उन्होंने अपने तीन कर्मचारियों के साथ मिलकर वाटर सप्लाई वाली गाड़ी में पानी भर कर पाइप से हर एक पौधे में सीमित मात्रा में पानी डालकर हरा-भरा बना दिया। धीर सिंह नेहरा ने बताया कि पर्यावरण में लगातार बदलाव हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई है। पेड़ों की अत्यधिक कटाई से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। तापमान बढ़ने का प्रभाव संपूर्ण जीवों पर पड़ रहा है। पर्यावरण को संतुलित करने का एकमात्र विकल्प पेड़-पौधे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पौधारोपण के साथ उनका संरक्षण करना भी अनिवार्य है। देखभाल के बिना अधिकांश पौधे लगाने के कुछ दिनों के बाद ही सूख जाते हैं। पौधों का पेड़ बनने तक उनका संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। पौधा बड़ा होकर पर्यावरण के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के बिना जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है।