महेंद्रगढ़ से दादरी में प्रवेश के बाद तीन दलों में बंटा टिड्डी दल
बीते काफी समय से दादरी जिले के आसपास मंडराने वाले टिड्डी
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : बीते काफी समय से दादरी जिले के आसपास मंडराने वाले टिड्डी दल ने शनिवार को आखिरकार जिले में प्रवेश कर लिया। कृषि अधिकारियों के अनुसार टिड्डी दल से दिन के समय फसलों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन रात के समय टिड्डी के तीनों दलों के एकत्रित होने व फसलों पर बैठने की संभावना के चलते कृषि विभाग के अधिकारी व किसान अलर्ट रहे और रात के समय टिड्डी से निपटने की रुपरेखा तैयार करने में जुटे रहे।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों के दौरान टिड्डी दल ने दादरी जिले के साथ लगते जिला महेंद्रगढ़ व झज्जर में प्रवेश कर लिया था। ये दल जिले के काफी करीब पहुंच गए थे लेकिन दादरी में दस्तक देने से पहले ही हवा का रुख बदलने के कारण खतरा टल गया था। शनिवार को महेंद्रगढ़ जिले के सतनाली की ओर टिड्डी दल ने प्रवेश किया। खबर लिखे जाने तक यह दल तीन दलों में बंट चुका था और करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा व चौड़ा मुख्य दल बिरहीं-छपार की सीमा से आगे बढ़ रहा था। इसके अलावा दो छोटे दल नांधा-बेरला व छिल्लर क्षेत्र में मौजूद थे। रात को किया जाएगा छिड़काव: डा. सिहाग
दादरी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के टीए डा. जितेंद्र सिहाग ने कहा कि टिड्डी दल से दिन के समय नुकसान की संभावना कम है। लेकिन रात के समय टिड्डी फसलों पर बैठती है और इस दौरान फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि रात के समय टिड्डी एक विशेष हार्मोन छोड़ती है जिसकी गंध से आसपास में बिखरे हुए दल एकत्रित हो जाते है। उन्होंने कहा कि दिनभर से कृषि विभाग के अधिकारी दल के साथ बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि शनिवार रात को टिड्डी दल के बैठने पर दवा का छिड़काव किया जाएगा। जिसके लिए विभाग के पास 1470 लीटर दवा का मौजूद है। जिसके छिड़काव के लिए फायर ब्रिगेड की चार गाडि़यों के अलावा दर्जनों ट्रैक्टर चालित स्प्रे मशीनों की सहायता ली जाएगी। किसान बोले हुआ है नुकसान
शाम के समय टिड्डी दल गांव अटेला पहुंचा था। किसानों के अनुसार टिड्डी दल ने उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाया है। किसान विरेंद्र सांगवान, संदीप, गुलाब, मीर सिंह, सतबीर, प्रहलाद इत्यादि ने कहा कि टिड्डी दल के आने की सूचना पहले से ही मिल चुकी थी। जिसके चलते वे अलर्ट थे और उन्होंने अपने स्तर पर दवा का छिड़काव व शोर-शराबा कर टिड्डी को फसलों पर बैठने से रोकने का प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद फसलों को कुछ नुकसान हुआ है।