डेढ़ साल से 600 पंचों-सरपंचों को नहीं मिला 80 लाख मानदेय, आंदोलन का अल्टीमेटम
संवाद सहयोगी, बाढड़ा : उपमंडल बाढड़ा व झोझू कलां दोनों खंडों के पंच व सरपंचों सहित
संवाद सहयोगी, बाढड़ा :
उपमंडल बाढड़ा व झोझू कलां दोनों खंडों के पंच व सरपंचों सहित लगभग 600 पंचायत प्रतिनिधियों को पिछले 18 माह से मानदेय नहीं मिला है। पंचायत प्रतिनिधियों ने जल्द ही कोई कदम न उठाने पर आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। विकास एवं पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों को ग्रामीण जन सेवा के नाम पर अलग अलग निर्धारित मानदेय देती है। पंच को एक हजार, सरपंच को तीन हजार रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय देती है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों में पंचायत प्रतिनिधियों को वर्ष में चार बार मानदेय दिया जाता था लेकिन मौजूदा सरकार में ढाई वर्ष से अधिक लंबे समय में ग्रामीण मुखियाओं को केवल एक बार ही मानदेय मिला है। डेढ़ वर्ष का समय बीतने के बाद अब तक सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों की सुध नहीं ली है। प्रति सरपंच अब 50 हजार व प्रति पंच 18 हजार की राशि केवल बाढड़ा व झोझूकलां खंड का सरकार की तरफ बकाया है। लगभग अब एक करोड़ से अधिक के बजट की आवश्यकता है। सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष सूबे ¨सह कारीमोद, पूर्व अध्यक्ष राकेश बाढड़ा, सचिव अजीत ¨सह सिरसली, प्रेम जांगड़ा, राजेश पंचगावां, हरीकिशन, अजीत कारी इत्यादि ने बताया कि सरपंच एक जनसेवा का पद होता है। सामाजिक कार्यों के अलावा ग्रामीण योजनाओं में सरपंच को अधिकतर समय जेब से भुगतान करना पड़ता है लेकिन सरकार उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन उन्हें मानदेय नहीं देता है तो अगले सप्ताह आंदोलन की रुपरेखा तैयार की जाएगी।
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भेजी है डिमांड : बीडीपीओ
इस बारे में बीडीपीओ जितेन्द्र शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने डिमांड भेजी हुई है। अगले दो सप्ताह में लगभग साठ लाख की राशि आने की उम्मीद है जो आते ही उनकों ग्राम पंचायतों के माध्यम से ही वितरण करवा दिया जाएगा। खंड के सफाई कर्मचारियों व चौकीदारों को तीन तीन माह का मानदेय शुक्रवार को ही जारी कर दिया गया है।
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कई बार मिले अधिकारियों से
सरपंच एसोसिएशन हलकाध्यक्ष सूबे¨सह कारीमोद व एडवोकेट संजीव श्योराण ने कहा कि पिछले 18 माह से क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधि मानदेय व विकास राशि के इंतजार में है। विभाग के अधिकारी विकास योजनाओं के अस्टीमेट व मानदेय डिमांड राज्य मुख्यालय चंडीगढ़ भेज कर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। उन्होंने कहा कि वे 18 माह में तीन बार बीडीपीओ व अन्य अधिकारियों को मांगपत्र भी दे चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है।
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उपेक्षा का लगाया आरोप
इनेलो जिलाध्यक्ष नरेश द्वारका व हरियाणा लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य महेन्द्र शास्त्री ने पंचायत प्रतिनिधियों को पिछले 18 माह से मानदेय जारी न होने पर सरकार की सजग व निष्पक्ष कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्र के जिम्मेवार होते हैं। उनका इस तरह उपेक्षा या अपमान सहन नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार को इस क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों का बकाया मानदेय तुरंत जारी करना चाहिए।